हमारे नेता न जाने किस मिट्टी के बने हैं। उनकी तबियत कब खराब हो जाय यह भगवान भी नहीं जानते। चुनाव के दिनों में जेठ की दोपहरी हो या फिर माघ की आधी रात उनकी तबियत तनिक भी नासाज हो जाए,क्या मजाल। यही कुछ हाल अन्य रसूखदार बिरादरी वालों का भी है। लेकिन न जाने क्या विडम्बना है कि जब हमारे रसूखदार एसी कमरे में बैठकर कोई गलत कार्य कर जाते हैं और उनके उसी एसी कमरे में उन्हें पकडऩे पुलिस पहुंचती है तो उनकी तबियत अचानक खराब हो जाती है,वह भी दिल के रास्ते।
हाल ही में मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री और विधायक कमल पटेल पर एक युवक की हत्या के साक्ष्य मिटाने के आरोप के तहत सीबीआई ने गिरफ्तार किया और जब उन्हें जेल भेजा गया तो वे अचानक बीमार हो गए। वैसे पटेल पहले मंत्री नहीं हैं जो अरेस्ट होने के बाद अचानक बीमार पड़े हैं। उनसे पहले भी कई राजनीतिज्ञ और रसूख वाले इस सोची-समझी बीमारी का बहाना बना चुके हैं। पेश है पेनफुल रिलीफ के ऐसे ही कुछ खास मामलों पर हमारी एक रिपोर्ट।
गोवा के पूर्व पर्यटन मंत्री पचेको पर अपनी गर्लफ्रेंड के मर्डर का आरोप लगा। काफी दिनों तक जनाब बचते फिरते रहे। अग्रिम जमानत के लिए लंबी कवायदें कर डालीं मगर उन्हें निराशा ही हाथ लगी। हारकर सरेंडर करना पड़ा। इनका संबंध टोरैडो नाम की महिला से था। अचानक यह महिला मृत अवस्था में पाई गई। इसके बाद से पचेको के लिए मुसीबतों का दौर शुरू हो गया। पुलिस ने कहा कि वह अपनी इस क्लोज फ्रेंड की मौत में शामिल हैं। इसकी बिनाह पर पचेको को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने के लिए पीछे पड़ी तो पचेको गायब हो गए थे। अग्रिम जमानत लेने की तमाम कोशिशें नाकाम होने के बाद उन्होंने ज्यूडिशियल सेशन कोर्ट में सरेंडर कर दिया। मगर कोर्ट में सुनवाई के दौरान ही वे अनईजी फील करने लगे और उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया और उन्हें आईसीयू में ले जाया गया। अभी भी उनका इलाज चल रहा है।
कर्नाटक के मंत्री रहे हरातुलु हलप्पा का किस्सा भी कम दिलचस्प नहीं है। इनकी नीयत अपने ही दोस्त की बीवी पर खराब हो गई। फिर क्या पूरी साजिश बनाकर उसकी इज्जत लूटने की कोशिश की, मगर दोस्त ने रंगे हाथों पकड़ लिया। इसके बाद उन्हें इस्तीफा भी देना पड़ा और उसके बाद उन्होंने सीआईडी के सामने सरेंडर कर दिया। बाद में पुलिस ने उन्हें अरेस्ट कर लिया। कस्टडी में हलप्पा ने सीने में दर्द की शिकायत की। बाद में मजिस्ट्रेट ने जेल अथॉरिटीज को उन्हें जरूरी मेडिकल फैसिलिटीज मुहैया कराने का आदेश दिया।
निर्दल विधायक रहते हुए झारखंड के मुख्यमंत्री बनकर इतिहास बनाने वाले मधु कोड़ा ने कमाई के मामले में भी इतिहास बना दिया। उनके ऊपर हजारों करोड़ रुपए के घोटाले का मामला सामने आया। इसके बाद तो मानों तूफान सा मच गया। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की लगातार रेड के बाद कोड़ा बीमारी का बहाना बनाकर एक हॉस्पिटल में एडमिट हो गए। इस तरह वे किसी भी तरह की पूछताछ से बचे रहे। हॉस्पिटल में एडमिट होकर लंबे समय तक वे आईटी डिपार्टमेंट को चकमा देने में कामयाब रहे।
सत्यम घोटाले के सूत्रधार रामालिंगा राजू का मामला भी कुछ ऐसा ही है। सत्यम मामले में अरेस्ट होने के बाद वे बीमार पड़े और हॉस्पिटल में एडमिट हुए। हॉस्पिटल में उनके साथ वीआईपी जैसा ट्रीटमेंट किया गया। उस दौरान पब्लिश हुई एक रिपोर्ट की मानें तो रामालिंगा राजू उस जगह पर थे जिसे वहां के स्टाफर वीआईपी सेक्शन के नाम से बुलाते हैं। उन्हें अटैच्ड बाथरूम के साथ एक अलग कमरा मिला हुआ था। वहां पर डॉक्टर्स उनकी हर पल निगरानी कर रहे थे। साथ ही बेटा और वाइफ भी मौजूद थे। इतना ही नहीं उनकी सिक्योरिटी के नाम पर पांच पुलिसकर्मी भी कमरे के बाहर हमेशा तैनात रहते थे। जाहिर सी बात है सजा के इस रूप-स्वरूप पर किसी भी क्रिमिनल को रस्क हो सकता है।
बरसों पहले एक नाम खूब सुर्खियों में था। यह थे कभी यूपी गवर्नमेंट में मिनिस्टर रहे अमरमणि त्रिपाठी। मधुमिता शुक्ला नाम की लड़की के साथ उनके एक्स्ट्रामैरिटल अफेयर्स की बात सामने आई। कहा गया कि वह उनके बच्चे की मां बनने वाली थी इसलिए उसका मर्डर कर दिया गया। अमरमणि त्रिपाठी को अरेस्ट किया गया। अरेस्ट होने के बाद अमरमणि ने अपने सीने में दर्द की शिकायत की और उन्हें फौरन हॉस्पिटल ले जाया गया। हालांकि लाख कोशिशों के बावजूद वह सजा के शिकंजे से बच नहीं पाए।
ऐसा ही मामला उस समय सामने आया जब इंदौर का प्रख्यात भू-माफिया बॉबी झाबड़ा पुलिस गिरफ्त में आया।
Tuesday, July 27, 2010
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