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भेड़ाघाट

Wednesday, May 11, 2011

अफसरों की एशगाह बना पर्यटन निगम

पर्यटन निगम से चालीस फीसदी के रियायती गोल्डन कार्ड से लुत्फ

भोपाल। भले ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश को आने वाले समय में स्वर्णिम बनाने का प्रयास करें परन्तु अफसरों का स्वर्णिम मप्र तो पहले से ही बना हुआ है। उन्हें उच्च पदों पर आसाीन होने के कारण पहले से ही भारी भरकम सरकारी सुविधायें पहले से ही मिली हुई हैं परन्तु इसके अलावा वे मप्र पर्यटन विकास निगम का चालीस प्रतिशत रियायती गोल्डन कार्ड लेकर पर्यटन निगम की होटलों और उनके खानपान का जमकर लुत्फ उठा रहे हैं। सरकारी धन एवं सुविधाओं से बने पर्यटन निगम की होटलों को तो आम लोगों की पहुंच से दूर रखने के लिये पहले से ही भारी भरकम दरें निर्धारित की हुई हैं परन्तु अफसरों को इसका लाभ देने के लिये या उनका एशगाह बनाने के लिये उन्हें जमकर रियायतें दे रखी हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि पर्यटन निगम ने गरीब वर्ग के लोगों के लिये विभिन्न धार्मिक एवं प्राकृतिक पर्यटन केद्रों पर एक भी आउटलेट नहीं बनाया है जबकि राज्य की शिवराज सरकार एकात्म मानववाद का नारा देकर अंतिम पंक्ति पर बैठे व्यक्ति को सरकारी योजनाओं, कार्यक्रमों एवं गतिविधियों का लाभ देने का नारा लगाती है।
पर्यटन निगम को अफसरों की एशगाह बनाने का भडाफोड़ किया है एक एनजीओ संस्था जनसंवेदना ने। इस एनजीओ के प्रमुख राधेश्याम अग्रवाल ले सूचना के अधिकार का कानून के तहत पर्यटन निगम से अफसरों को रियायती कार्ड देने सम्बन्धी जो जानकारी हासिल की वह चौंकाने वाली है। इसमें लोकायुक्त से लेकर चीफ सेके्रटरी, डीजीपी, आयकर आयुक्त, मेजर जनरल और भारतीय वन सेवा के लोग तक भी शामिल हैं। कई महिला आईएएस एवं आईपीएस अधिकारी भी इस रियायत का लुत्फ उठाने में पीछे नहीं हैं। यही नहीं आयकर छापे में करोड़ों रुपये निवास से मिलने पर निलम्बित आईएएस अधिकारी अरविन्द जोशी को भी पर्यटन निगम ने इस साल गोल्डन रियायती कार्ड जारी किया हुआ है।
सूचना के अधिकार कानून के तहत लगे आवेदन पर पर्यटन निगम ने जानकारी दी है कि उसने अफसरों को गोल्ड कार्ड जारी किये हैं जिसमें पर्यटन निगम के होटलों के कक्षों में ठहरने हेतु चालीस प्रतिशत तथा खानपान पर तीस प्रतिशत की छूट दी जाती है। ऐसे गोल्डन कार्ड वर्ष 2009-10 तथा वर्ष 2010-11 दोनों में जारी किये गये हैं।
ये अफसर उठा रहे हैं गोल्डन कार्ड का लुत्फ :
राकेश साहनी, आभा अस्थाना, अनुराग जैन, वीरा राणा, प्रवेश शर्मा, प्रशांत मेहता, सुमित बोस, अंशु वैश्य, दिलीप मेहरा, अवनि वैश्य, एपी श्रीवास्तव, डीपी तिवारी, आईएस दाणी, एसपीएस परिहार, पद्मवीर सिंह, डीएस राय, सुधा चौधरी, मनोज झालानी, आरके स्वाई, अरविन्द कुमार जोशी, स्नेहलता श्रीवास्तव, रंजना चौधरी, एके अग्रवाल, मोहम्मद सुलेमान, केके सिंह, एएन अस्थाना, शहबाज अहमद, आलोक दवे, डीबी गंगोपाध्याय, एचएस पाबला, सुहास कुमार, पीके शर्मा, अनिल जैन, सुखराज सिंह, अरविन्द कुमार, एसके राउत, एमपी जार्ज, एमआर कृष्णा, डीजी कपाडिया, आईएस चौहान, पवन कुमार जैन, विजय कुमार, विजय रमन, संजीव कुमार सिंह, वीके पंवार, संजलय राणा, एमपी द्विवेदी, यूसी सारंगी, एमबी सागर, आरके दिवाकर, स्वराज पुरी, सीपीजी उन्नी, ओपी रावत, राजेन्द्र कुमार, रमन कक्कड़, यूके लाल, अन्वेष मंगलम, वीके सिंह, रमेश शर्मा, ओपी गर्ग, आईएन कंसोटिया, आरसी छारी, डीसी जुगरान, पंकज राग, आरपी कपूर, एससी बेहार, निर्मला बुच, केएस शर्मा, अलका उपाध्याय, अशोक दोहरे, हेमंत सरीन, महेश शर्मा, विश्वमोहन उपाध्याय, एसपी डंगवाल, एमके मोघे, आरपी शर्मा, एससी शर्मा, डीएस सेंगर, जेएस माथुर, एसआर मोहन्ती,एम मोहन राव, देवेन्द्र सिंघई, एम नटराजन, जयदीप गोविन्द, एएस जोशी, राकेश बंसल, राकेश अग्रवाल, राकेश बहल, वीआर खरे, डीएस माथुर, सरबजीत सिंह, मनोज झालानी, एके दुबे, शिखा दुबे, विनोद चौधरी, शिवनारायण द्विवेदी, अशोक दास, एसके मितना, अजीता वाजपेई, एआर पवार, शैलेन्द्र श्रीवास्तव, एमएम उपाध्याय, जब्बार ढाकवाला,केसी गुप्ता, विपिन दीक्षित, आरएस नेगी, एमएस राणा, एके रेखी, वीणा घाणेकर, वीरेन्द्र सिंह, आईएम चहल, केके तिवारी, आरबी सिंह, टी धर्माराव, राजन एस कटोच, शैलेन्द्र सिंह, विनोदानन्द झा, एसके वेद, राजेन्द्र मिश्रा, अजय कुमार शर्मा, के नायक, मेजर जनरल वायएस नेगी, जगदीश प्रसाद, आरके गर्ग, ललित कुमार सूद, आर परशुराम, एमआर आसुदानी, एससी वर्धन, अनिमेश शुक्ल, एसएन मिश्रा, पुरुषोत्तम शर्मा, एके राणा, आरबी सिन्हा, सुशाील कुमार लूथरा, पीपी नावलेकर, जीके सिन्हा, एमपी सिंह, पीएम शर्मा तथा एसपी शुक्ला।
क्या कहना है पर्यटन निगम का :
उच्च पदों पर बैठे सरकारी प्रमुखों को रियायती दर का गोल्डन कार्ड देने के बारे में पर्यटन निगम के अफसर चुप्पी साधे हैं। एक अफसर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि हम तो ऐसी किसी भी रियाय के खिलाफ हैं परन्तु मंत्रालय में बैठे शासन के लोगों के दबाव में ऐसा करना पड़ता है।

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