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भेड़ाघाट

Wednesday, May 25, 2011

सिंधिया घराने ने मप्र सरकार पर डाली अड़ी

विनोद उपाध्याय
विरासत के लिए सिंधिया घराने में छिड़ी जंग का लुत्फ उठा रही मध्य प्रदेश सरकार की बोलती बंद कर दी है उसी की सांसद यशोधराराजे सिंधिया ने। आजादी के बाद राजपाठ छिनने के बावजूद हुकूमत पर हावी ग्वालियर का सिंधिया राजघराना अब राज्य सरकार से अपना हक मांगने पर उतर आया है। दरअसल, पचपन साल पहले जब नया मध्यप्रदेश बना था तब सिंधिया घराने की प्राविडेंट इन्वेस्टमेंट कंपनी भी उसमें मर्ज हो गई थी। अब राज्य के वित्त विभाग का हिस्सा बन चुकी इस कंपनी के शेयर की हिस्सेदारी यशोधराराजे सिंधिया मांग रही हैं। इससे मप्र.सरकार सांसत में है। ग्वालियर की भाजपा सांसद यशोधरा राजे सिंधिया ने सिंधियाराज घराने की द प्राविडेन्ट इन्वेस्टमेंट कम्पनी जो अब मप्र सरकार के वित्त विभाग के अधीन है, के शेयर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मांग कर इस कम्पनी में हड़कम्प मचा दी है।
वित्त विभाग ने इस अप्रिय स्थिति से निपटने के लिये यशोधरा को जवाब दिया है कि वे पहले सभी उत्तराधिकारियों की सहमति प्रस्तुत करें तब वह सिंधिया घराने के शेयरों का विधिवत वितरण कर देगी। वित्त विभाग ने बड़ी चतुराई से यह चाल चली है क्योंकि उसे मालुम है कि आजादी के बाद भी ग्वालियर को खुद की जागीर समझने वाला सिंधिया घराना, ग्वालियर और यहां की बदौलत देशभर में बनाई अपनी जागीरों को लेकर आपस में लड़ता रहता है। पहले बड़े सिंधिया यानी माधवराव सिंधिया और विजयाराजे सिंधिया में दशकों तक विभिन्न कारणों से अबोला रहा। इन अबोले और रंजिश की एक बड़ी वजह सिंधिया खानदान की पैतृक संपत्ति भी थी। अब इतिहास खुद को दोहराता दिख रहा है। अब एक ओर हैं माधवराव के बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया और दूसरी ओर हैं उनकी बुआ यानी माधवराव की बहन और नेपाल के शमशेर जंग बहादुर राणा की पत्नी उषा राजे सिंधिया, राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में विधायक वसुंधरा राजे सिंधिया और ग्वालियर से सांसद यशोधरा राजे भंसाली (सिंधिया)। दांव पर लगी है ग्वालियर सहित देशभर में फैली करीब 20 हजार करोड़ की संपत्ति।
ताजा झगड़ा तब शुरू हुआ, जब सिंधिया ने अपने कब्जे वाली कुछ संपत्ति को बेचने के लिए सौदा करना शुरू किया। इसकी भनक लगते ही उनकी तीनों बुआ एक हो गईं और ग्वालियर में अतिरिक्त सत्र एवं जिला न्यायाधीश (एडीजे) की अदालत में एक अर्जी दायर कर सौदे पर रोक लगवाने की मांग की। इस पर उन्होंने स्टे भी ले लिया। सिंधिया घराने के पास ग्वालियर में छोटे-बड़े महल, हवेली हैं। इनकी कीमत आज की तारीख में सात हजार करोड़ रुपए से ज्यादा है। इसी तरह मुंबई, दिल्ली और पुणे में भी इस घराने के पास हजारों करोड़ की संपत्ति है। एक नामी टेक्सटाइल्स कंपनी में भी भारी भरकम निवेश है। ज्योतिरादित्य सिंधिया ज्येष्ठाधिकार के तहत खुद को सिंधिया परिवार का एकमात्र वारिस होने का दावा पेश कर चुके हैं। लेकिन 2001 में विजयाराजे की मौत के बाद उनके विश्वस्त और तत्कालीन निज सचिव संभाजी राव आंग्रे ने एक वसीयत पेश की है। इसमें उन्होंने अपने बेटे माधवराव सिंधिया और पोते ज्योतिरादित्य सिंधिया को बेदखल कर दिया था। इसके अलावा इस वसीयत में उन्होंने अपनी दो तिहाई संपत्ति अपनी बेटियों को देने और एक तिहाई संपत्ति 1975 में बनाए एक ट्रस्ट को दान में देने की घोषणा कर दी थी। विजयाराजे के ही वकीलों ने 2001 में मुबई में एक और वसीयत पेश की। इसमें भी उन्होंने अपने बेटे-पोते को संपत्ति से वंचित कर दिया था। उन्होंने अपने नियंत्रण वाली सारी संपत्ति अपनी बेटियों को दे दी थी। हालांकि ये दोनों वसीयत कानूनी झमेले में फंसी हैं। अब दोबारा संपत्ति के लिए शुरू इस जंग पर दोनों पक्ष मुंह खोलने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में वित्त विभाग ने यशोधरा से सभी उत्तराधिकारियों की सहमति मांग कर फिलहाल तो इस मामले को शांत करने में सफलता तो अर्जित कर ली है लेकिन यह बात यही रूकने वाली नहीं हैं।
ज्ञातव्य है कि द प्राविडेन्ट इन्वेस्टमेंट कम्पनी की स्थापना सन 1926 में सिंधियाराज घराने के हिज हाईनेस महाराज जीवाजीराव सिंधिया द्वारा मुम्बई में की गई थी। ग्वालियर राज्य एवं अन्य निकायों के पास उपलब्ध धन का विनियोग मुम्बई में सर शापुरजी ब्रोचा एवं उनकी मृत्यु के पश्चात एफ.ई.दिनशा द्वारा किया गया। बाद में यह कम्पनी वर्ष 1956 में बने मप्र में संविलियत कर दी गई तथा यह मप्र के वित्त विभाग की सरकारी कम्पनी बन गई। उक्त कम्पनी की कुल अंश पूंजी 49 लाख 66 हजार रुपये की है जिसमें चालीस शेयर सिंधिया राजघराने को आवण्टित हैं। इस कम्पनी का मुख्यालय मुम्बई में है जिसके पास मुम्बई के कफ परेड में बेशकीमती एडविर्ड विला भवन तथा केरल में हजारों एकड़ में फैला बीनाची टी स्टेट है।
यशोधरा राजे सिंधिया शिवराज सरकार के पहले कार्यकाल में पर्यटन मंत्री थीं तथा उन्होंने बीनाची स्टेट के कुछ हिस्से में पर्यटन निगम को रिसोर्ट बनाने की अनुमति दिये जाने का प्रस्ताव दिया था। परन्तु सरकार ने इसे स्वीकार नहीं किया था। इससे यशोधरा लम्बे समय से खिन्न चल रही थीं। अब लम्बे समय बाद उन्होंने प्राविडेन्ट इन्वेस्टमेंट कम्पनी में जमा सिंधिया राज घराने के चालीस शेयरों के आवण्टन की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मांग कर दी। उनके इस लिखित आग्रह पर मुख्यमंत्री ने वित्त विभाग से जवाब मांगा जिस पर विभाग ने यशोधरा की मांग को नामंजूर करते हुये लिखा है कि पहले यशोधरा सभी उत्तराधिकारियों की संयुक्त सहमति प्रस्तुत करे, इसके बाद वह सिंधिया राज घराने के सभी उत्तराधिकारियों जिनमें राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे सिंधिया और केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी शामिल हैं,को चालीस शेयरों का व्यक्तिश: बराबर-बराबर आवण्टन किया जायेगा।
यहां यह उल्लेखनीय है कि प्राविडेन्ट इन्वेस्टमेंट कम्पनी सिंधिया राज घराने के चालीस शेयरों पर हर साल डिविडेन्ट भुगतान करती है जो मुश्किल से पांच-छह हजार होता है। यशोधरा इन शेयरों के व्यक्तिश: आवण्टन की मांग कर एडवर्ड विला और बीनाची स्टेट में मालिकाना हक चाह रही हैं। लेकिन वित्त विभाग इसके लिये तैयार नहीं है। अब यशोधरा को सिंधिया राज घराने के सभी उत्तराधिकारियों की संयुक्त सहमति लेनी होगी।

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