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भेड़ाघाट

Friday, April 11, 2014

543 सीटों पर खर्च होगी 70 अरब की ब्लैक मनी!

मप्र की 10 सीटों पर कालाधन तो 11 पर बंदूक के बल पर होगा मतदान
रोजाना जब्त हो रहा है 6 करोड़ का कालाधन
29 दलों से जुड़े 2200 नेताओं के खातों की हो रही पड़ताल
भोपाल। लोकसभा चुनाव में ब्लैक मनी की रोकथाम में लगी फाइनेंसियल इंटेलीजेंस यूनिट ( चुनाव आयोग के निर्देश पर ये फाइनेंशियल इंटेलीजेंस यूनिट-एफआईयू-बनी है) की माने तो इस बार देश की 543 सीटों पर करीब 70 अरब रुपए का कालाधन इस्तेमाल होने वाला है। जहां देश में उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 20 अरब तो मप्र में आयोग की तमाम सख्ती के बावजूद चुनाव में 240 करोड़ रुपए का कालाधन इस्तेमाल किए जाने की आशंका जताई गई है। एफआईयू के अनुसार,यह सारी रकम केवल प्रचार-प्रसार पर ही खर्च नहीं होगी बल्कि इनका इस्तेमाल प्रोपर्टी खरीदने में भी हो रहा है। उधर,मप्र की 10 सीटों पर जहां कालेधन से तो 11 सीटों पर बाहुबल से मतदान कराए जाने की आशंका व्यक्त की गई है। इसको देखते हुए जांच एजेंसियों से लेकर सुरक्षा एजेंसियों ने देशभर में अपना जाल बिछाया हुआ है और रोजाना करीब 6 करोड़ की ब्लैकमनी जब्त की जा रही है।
पिछले छह महीने के ट्रांजेक्शन का लेखाजोखा तैयार
चुनाव आयोग के निर्देश पर फाइनेंसियल इंटेलीजेंस यूनिट यानि एफआईयू ने नेताओं के पिछले छह महीने के ट्रांजेक्शन का लेखा जोखा निकाल लिया है, जिसका आकलन करने के बाद कालेधन के इस्तेमाल की आशंका जताई गई है। एफआईयू ने पिछले साल सितंबर से फरवरी के दौरान बैंक खातों की लेन देन की सघन जांच की है। सूत्रों के मुताबिक जिन खातों की जांच की गई उनमें से अधिकतर विभिन्न दलों से जुड़े नेताओं के थे। इस जांच में कई हैरान कर देने वाली जानकारी मिली। एफआईयू की जांच में पता चला कि सितंबर 2013 से फरवरी 2014 तक मप्र में बड़ी संख्या में वाहन और संपत्ति की खरीद फरोख्त हुई। आमतौर पर प्रदेश में बैंकों से हर रोज 5 अरब की रकम निकाली जाती है और 4.50 अरब की रकम जमा की जाती है। लेकिन सितंबर 2013 से 28 फरवरी 2014 तक औसतन 7 अरब की रकम निकाली गई और 7.70 अरब रुपए की रकम जमा की गई। वहीं उतर प्रदेश में हर रोज 19 अरब निकाला जाता है और 10.50 अरब की रकम जमा की जाती है। लेकिन इस दौरान 24 अरब की रकम निकाली गई और 23.50 अरब रुपए की रकम जमा की गई। इसके बाद बैंको का कारोबार अचानक स्थिर हो गया। जब जांच हुई तो पता चला कि देश में 84.12 लाख लोगों के एक से अधिक खाते हैं। बैंकों के कारोबार में आए अचानक बदलाव के बारे में एफआईयू ने गहनता से जांच शुरू कर दी। ऐसे खातेदारों के नाम निकाले जाने लगे तो एक और हैरान कर देने वाली जानकारी सामने थी। जांच के दौरान 29 दलों से जुड़े करीब 2200 नेताओं के खातों से किए गए लेन देन संदेह पैदा कर रहे हैं। वजह ये कि इन खास खातों में सितंबर से फरवरी के बीच हुई लेन देन की जानकारी आयकर रिटर्न में नहीं दी गई थी। कई मामलों में तो खातों की ही जानकारी आयकर रिटर्न से गायब थी। एफआईयू के लिए ये चौंकाने वाली जानकारी थी जिसके बाद उसने अपनी रिपोर्ट चुनाव आयोग को दी। आयोग ने इस संबंध में आरबीआई को पत्र लिख कर ऐसे खातों के बारे में जानकारी मांगी है। संदिग्ध लोगों को जल्द ही आयकर का नोटिस भी मिल सकता है।
रोजाना जब्त हो रहा है 6 करोड़
चुनाव आयोग के तलाशी दस्ते हर रोज तकरीबन 6 करोड़ रुपए से ज्यादा का कालाधन जब्त कर रहे हैं। आयोग की तमाम सख्ती के बावजूद चुनाव में कालाधन इस्तेमाल किए जाने की आशंका जताई गई है। आयोग के आंकड़े के मुताबिक चुनाव की तारीखों का एलान होने के बाद से 25 मार्च तक तकरीबन 120 करोड़ रुपए जब्त किए गए हैं जिनका कोई हिसाब किताब नहीं मिला है। जांच एजेंसियों के मुताबिक शेयर बाजार के जरिए भारी मात्रा में चुनावों मे इस्तेमाल करने के लिए कालाधन भारत आ चुका है। इस साल अब तक भारत में 15,000 करोड़ रुपए तक कालाधन आया है। वहीं चुनाव खत्म होने तक 45,000 से 55,000 करोड़ रुपए तक का कालाधन भारत में आने की आशंका है। विदेशों से आ रहा यह कालाधन एफआईआई के पार्टिसिपेटरी नोट्स के जरिए भारत में लाया गया है।
मप्र में पकड़ाया 15 करोड़ का कालाधन
आचार संहिता लागू होने के बाद से अब तक मप्र में करीब 15 करोड़ रुपए की सामग्री और नकदी बरामद हो चुकी है। जिसमें विदेशी मुद्रा भी है। भोपाल के राजा भोज विमानतल पर तैनात आयकर इंटेलीजेंस यूनिट ने 6 अपै्रल को एयर कार्गो के जरिए आ रही 1 करोड़ 40 लाख रुपए मूल्य की विदेशी मुद्रा पकड़ी है। यह करेंसी इस व्यवसाय से जुड़े एक कारोबारी की बताई गई है जो कि एयर कार्गो के जरिए दिल्ली से भोपाल लाई गई थी। आयकर विभाग ने मामले की पड़ताल शुरू कर दी है मुद्रा कारोबारी का नाम अभी उजागर नहीं किया गया है। इसके अलावा एयर कार्गों से आ रहा 80 तोला सोना भी बरामद किया है। यह सोना बंगलुरु से दिल्ली के रास्ते भोपाल पहुंचाया गया है।
60,000 करोड़ रुपए के नकली नोट
चुनाव में नकली नोटों का इस्तेमाल रोकने के लिए नेशनल इंवेस्टिगेटिव एजेंसी (एनआईए) ने अपनी निगरानी बढ़ा दी है। एनआईए के ताजा आंकड़ों के अनुसार, करीब 60,000 करोड़ रुपए के नकली नोट भारत आ चुके हैं। चुनाव में बड़े पैमाने पर नकली नोट का इस्तेमाल होने की आशंका है। वहीं पकड़े जाने के डर से 500 और 1000 के नकली नोट की आवक कम हो रही है, लेकिन 10, 20 और 50 के नकली नोट बाजार में लाए गए हैं।
चुनाव पर खर्च होंगे 50 हजार करोड़
फाइनेंशियल इंटेलीजेंस यूनिट शोध संस्था सीएमएस के अनुसार चुनाव के दौरान काले धन का इस्तेमाल कोई नई बात नहीं है। इस बार के लोकसभा चुनाव भी इससे अलग नहीं दिख रहे। इस बार चुनाव के दौरान होने वाले अनुमानित 50 हजार करोड़ रुपए खर्च की एक तिहाई से अधिक की राशि काला धन हो सकता है। 50 हजार करोड़ रुपए की यह राशि भारत में किसी भी चुनाव में सर्वाधिक है। शोध संस्था सीएमएस के अध्ययन के अनुसार विभिन्न राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय दलों द्वारा लोकसभा चुनाव में 15 से 20 हजार करोड़ रुपए खर्च करने का अनुमान है। उम्मीदवार निजी रूप से 10 हजार से 15 हजार करोड़ रुपए खर्च कर सकते हैं। इन आंकड़ों में आधिकारिक और बिना लेखा के होने वाला खर्च शामिल है। अगर फाइनेंशियल इंटेलीजेंस यूनिट और सीएमएस के आंकड़ों को मिलाएं तो करीब 69.50 अरब रूपए प्रोपर्टी और अन्य संसाधन खरीदने पर खर्च किए जाएंगे। इनमें से अधिकांश वह रकम होगी,जो विदेशों से भारत लाई जा रही है।
प्रति मतदाता खर्च होंगे 400 रुपए
सीएमएस के अध्यक्ष एन भास्कर राव ने कहा कि चुनाव में खर्च होने वाली राशि में से करीब एक तिहाई काला धन है। इनमें से बड़ी राशि 'नोट के बदले वोटÓ में इस्तेमाल की जा सकती है। लोकसभा चुनाव में इस बार करीब 81.4 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। 30 हजार करोड़ रुपए की राशि को खर्च करने पर यह प्रति मतदाता 400 रुपए आता है। अध्ययन में कहा गया है कि इसमें मीडिया अभियान का खर्च करीब 25 प्रतिशत है।
सख्ती के बावजूद नहीं कर रहे परहेज
चुनाव आयोग की सख्ती के बावजूद उम्मीदवार लोकसभा चुनाव में कालेधन का इस्तेमाल करने से परहेज नहीं कर रहे हैं। हाल यह है कि चुनाव की घोषणा होने के बाद पहले बीस दिन में ही चुनाव आयोग ने रोजाना छह करोड़ रुपए से अधिक की राशि जब्त की है।
आयकर विभाग ने कसी कमर
लोकसभा चुनाव में कालेधन की आवाजाही रोकने आयकर विभाग ने मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में व्यापक स्तर पर तैयारी की है। दोनों राज्यों के प्रमुख नगरों और सीमावर्ती जिलों में अफसरों की टीम तैनात की गई है। इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और रायपुर से हवाला कारोबारियों के अहम सुराग मिले हैं। इनमें इंदौर व रायपुर ज्यादा संवेदनशील माने गए हैं, यहां नकदी का सर्वाधिक फ्लो बताया गया है। बड़े लेन-देन की जानकारियां भी विभिन्न एजेंसियों के जरिए मंगाई जा रही है।
हवाला करोबारी हैं निशाने पर
चुनाव के मद्देनजर आयकर विभाग ने विभिन्न जांच एजेंसियों की मदद से हवाला कारोबारियों को निशाने पर लिया है। हाल ही में अफसरों की टीम ने ग्वालियर और छत्तीसगढ़ में दो-तीन ऐसे मामलों का खुलासा किया है जो हवाला कारोबार से संबद्ध बताए जा रहे हैं। दोनों ही राज्यों की कुल 40 लोकसभा सीटों पर विभाग की टीमें उम्मीदवारों द्वारा किए जा रहे खर्च का ब्यौरा एकत्र करने के साथ ही कालेधन की आवाजाही पर भी नजर रखे हुए है।
जुटाई जा रही जानकारियां
विभाग ने खर्च के लिहाज से ऐसी सीटें भी चिह्नित की हैं जहां पैसा पानी की तरह बहने की संभावना है इसलिए हवाला कारोबारियों के बारे में जानकारियां जुटाई जा रही हैं। विभागीय सूत्रों का कहना है कि चुनाव के दौरान बड़ी मात्रा में कालाधन यहां से वहां भेजा जाता है। यह पैसा प्राय: हवाला कारोबारी ही एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाते हैं। इसमें पैसे को यहां से वहां नहीं ले जाया जाता बल्कि हवाला कारोबारी अपने संपर्क के जरिए कमीशन लेकर देश के किसी भी कोने में पैसा भेज देते हैं।
मप्र में 240 करोड़ का खेल
मप्र में वैसे तो हर सीट पर ब्लैकमनी लगाई जा रही है,जो करीब 240 करोड़ हो सकती है। लेकिन चुनाव आयोग ने 29 में से 10 सीटों पर कालेधन के सर्वाधिक इस्तेमाल की आशंका जताई है। प्रदेश में इंदौर,गुना,सागर,खजुराहो,सतना,जबलपुर,छिंदवाड़ा,विदिशा,मंदसौर और रतलाम संसदीय सीट पर सर्वाधिक ब्लैकमनी लगाई जाएगी। इसमें इन क्षेत्रों के व्यापारी,उद्योगपति,माफिया नेताओं का सहयोग कर रहे हैं। वहीं 11 सीटों पर बाहुबल से चुनाव प्रभावित किए जाने की खबर है। प्रदेश में बालाघाट के साथ भिंड, मुरैना और ग्वालियर सीटों को चुनाव आयोग ने कानून व्यवस्था के नजरिए से अति संवेदनशील माना है, लेकिन पुलिस प्रशासन की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में 11 लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जिन पर बाहुबलियों, नक्सलियों और डकैतों का प्रभाव है। इनमें से अधिकांश सीटें उत्तरप्रदेश की सीमा से लगी हुई हैं, जहां उत्तरप्रदेश से होने वाली घुसपैठ के कारण बाहुबल से चुनाव लडऩे की परंपरा बन गई है।उत्तरप्रदेश और मप्र के सीमावर्ती जिलों में लोगों की आपस में रिश्तेदारियां हैं। ऐसे में चुनाव मैदान में उतरे उम्मीदवारों की मदद के लिए लोगों की आवाजाही होती है। इस कारण सीधी, सतना, रीवा, टीकमगढ़, भिंड, मुरैना, ग्वालियर, शहडोल में उत्तरप्रदेश के बाहुबल और डकैतों का असर पड़ता है। वहीं मंडला, बालाघाट में नक्सलियों का और इंदौर में स्थानीय बाहुबलियों का प्रभाव दिखाई देता है।
अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी वीएल कांताराव के अनुसार, मप्र के लिए उप्र संवेदनशील तो है। इसी के चलते कलेक्टरों को बॉर्डर सील करने के लिए कहा गया है। साथ ही विशेष चौकसी बरतने के भी निर्देश दिए गए हैं। चुनाव आयोग के लिए उत्तरप्रदेश की सीमा से सटी मप्र की लोकसभा सीटों पर बाहुबलियों से निपटना सिरदर्द बन गया है। इसकी वजह दोनों राज्यों में चुनाव की तारीखें अलग-अलग होना हैं। ऐसे में आशंका बनी हुई है कि यूपी से बाहुबली घुसपैठ कर प्रदेश में चुनाव प्रभावित कर सकते हैं। प्रदेश की 11 संसदीय सीटों पर 10 और 17 अप्रैल को मतदान होना है, वहीं प्रदेश से लगी यूपी की लोकसभा सीटों पर 24 और 30 अप्रैल को चुनाव हैं। इन हालात में प्रदेश के पहले और दूसरे चरण में होने वाले मतदान में बाहुबलियों की घुसपैठ की आशंका बनी हुई है। वहीं मंदसौर लोकसभा सीट पर धन-बल के उपयोग की आशंका है।
20 कंपनियां करेंगी नक्सलियों से सुरक्षा
लोकसभा चुनाव से पूर्व जिले में 20 सशस्त्र सुरक्षा कंपनी ने नक्सल प्रभावित क्षेत्र के जंगलों में सर्चिंग शुरू कर दी है। सीआरपीएफ, हार्क फोर्स, बीएसएफ, सीआईएसएफ सहित अन्य सुरक्षा कंपनी जंगल के चप्पे-चप्पे की खाक छानने में लगेंगी। बालाघाट के एसपी गौरव तिवारी के अनुसार वर्तमान समय में भी सर्चिंग आपरेशन चलाए जा रहा है। नक्सल प्रभावित क्षेत्र में यह रूटीन वर्क की तरह होता है।
छग-महाराष्ट्र की सीमा सील
लोकसभा चुनाव की तैयारी के तहत पड़ोसी राज्य छत्तीगसढ़ और महाराष्ट्र की सीमा को सील कर दिया गया है। छत्तीसगढ़ की सीमा जिले के लंाजी, बैहर, बिरसा तहसील से लगी हुई है। पूर्व से ही मध्य प्रदेश को शरर्णीथली मनाने वाले नक्सली छग में चले सर्चिंग अभियान के दौरान नक्सलियों की भारी खेप जिले के सीमा के भीतर प्रवेश कर सकती है। ऐसे में चुनाव की तारीख नजदीक आने से पूर्व आपरेशन सर्चिग चलाए जाना शांति पूर्ण चुनाव करवाने की दुष्टि से बहुत अधिक महत्पूर्ण माना जा रहा है। छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र में नक्सली गतिविधि और बालाघाट के सीमावर्ती होने और भौगोलिक स्थिति को देखते हुए एसपी गौरव तिवारी ने पहले ही 50 कम्पनी (5 हजार जवान) और 2 हैलीकाप्टर की मांग चुनाव आयोग से की थी। इसी के तहत अब तक 20 कपंनी उपलब्ध हो चुकी हंै। चुनाव से 20 दिन पहले सुरक्षा की दृष्टि से इसे बेहतर माना जा रहा है।
नक्सलियों से बूथ केप्चरिंग का खतरा
लोकसभा चुनाव 2014 के दौरान नक्सली समूह सीमावर्ती इलाकों के मतदान केंद्रों पर बूथ कैप्चरिंग जैसी घटनाओं को अंजाम दे सकते हैं। इसके लिए नए समूह बनाए जा रहे हैं जबकि बड़ी मात्रा में असलहा भी जुटाया जा चुका है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ये सूचना मध्यप्रदेश शासन पुलिस मुख्यालय को भेजते हुए एहतियात बरतने के निर्देश दिए हैं।केंद्रीय खुफिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा राज्य सरकारों से कहा गया है कि आम चुनाव के दौरान प्रभावित इलाकों में कई चरणों में सुरक्षा पुख्ता की जाए। केंद्रीय जांच एजेंसियों ने अंदेशा जताया है कि चुनाव के दौरान गड़बड़ी करने के लिए नक्सलियों ने बड़ी संख्या में असलहा जुटाया है और सघन जंगली इलाकों में ट्रेनिंग केंप चलाए जा रहे हैं। नक्सलियों का ऐसा ही एक केंप बालाघाट पुलिस ने हाल ही में ध्वस्त किया था। इस दौरान पुलिस ने बड़ी मात्रा में नक्सलियों का असलहा और बारूदी सुरंग बिछाने का सामान बरामद किया था।
रीवा,सतना और चंबल में सक्रिस हुए डकैत
मप्र के दस्यु प्रभावित क्षेत्रों के जंगलों में डकैतों की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। सुगबुगाहट का अंदाजा रीवा,सतना और चंबल क्षेत्र में डकैतों द्वारा कुछ दिनों से की जा रही घटनाओं से लगाया जा सकता है। उत्तर प्रदेश से लगी सीमा मानिकपुर व मझगवां के बीच रह-रहकर बलखडिय़ा गिरोह की मूवमेंट न केवल देखने को मिल रही है बल्कि उनके द्वारा दहशत फैलाने की नीयत से विगत एक महीने के अंदर तीन से अधिक वारदात को अंजाम भी दिया जा चुका है। चुनाव में जहां वैलेट को सजातीय नेताओं के पक्ष में लाने के लिए बुलेट का इस्तेमाल गिरोह द्वारा किया जा सकता है। पुलिस एम्बुस लगाकर जंगल सर्चिंग करने की बात करती है। सर्चिंग सिवाय सड़कों के अलाव कहीं भी होती नहीं दिखाई देती है। तराई अंचल के 29 फीसदी मतों बुलट का साया पड़ता है। स्वदेश सिंह बलखडिय़ा पर उत्तर प्रदेश सरकार ने 5 लाख एवं मप्र सरकार ने 1 लाख का दांव लगाया है। कहने के लिए तो उत्तर प्रदेश की एसटीएफ टीम उक्त डकैत के इनकाउण्टर के लिए मोर्चा सम्हाल रखी है।
उधर,रीवा रेंज के आईजी पवन श्रीवास्तव कहते हैं कि डकैत चुनाव को प्रभावित न करें इसके लिए दिशा-निर्देश दिए जा चुके हैं। सर्चिंग जारी है और लगातार तराई अंचल पर नजर बनी हुई है। मुखबिरों को और टटस करने का काम किया जा रहा है। अगर सटीक सूचना हाथ लगी तो इनकाउंटर से भी इंकार नहीं किया जा सकता। उधर,सदियों तक डकैतों के गढ़ रहे चंबल के बीहड़ों में चुनाव भी बस एक मौसम की मानिंद है। भिंड-मुरैना के बदनाम बीहड़ों में एक बार फिर डकैत सक्रिय हो गए हैं। हालांकि इन इलाकों में प्रशासन ऐसा मानता है डकैतों का वजूद अब नहीं है,लेकिन चंबल में बंदूकें अब भी गूंजती है। चुनाव आते ही छोटे-छोटे गिरोह सक्रिय हो जाते हैं और अपने सरपरस्त नेता को जिताने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार रहते हैं। इन तमाम विषम परिस्थियों के बीच चुनाव आयोग निष्पक्ष और विवादरहित चुनाव संपन्न कराने के लिए रात-दिन तैयारी कर रहा है।

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