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भेड़ाघाट

Tuesday, April 17, 2012

अभी तो मोहरे मिले हैं, खिलाड़ी नहीं!





आर.टी.आई. कार्यकर्ता शेहला मसूद की हत्या के तार का सिरा मिलने के साथ ही मध्यप्रदेश की राजनीति में गर्माहट आ गई है. पिछले छह महीने से परेशान सी.बी.आई. ने जब शेहला की हत्या करने के लिए सुपारी देने वाली कथित युवती जाहिदा परवेज को अचानक अपनी गिरफ्त में लिया, तो प्रदेश की राजनीतिक गलियारे में चहलकदमी तेज हो गई. इस मामले में भोपाल के स्थानीय विधायक एवं मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम के पूर्व अध्यक्ष ध्रुवनारायण सिंह पर भी शक किया जा रहा है. दूसरी ओर इस हत्याकांड में जाहिदा परवेज को मदद करने वाले शाकिब डेंजर के साथ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष का फोटो सार्वजनिक हो जाने से सांसद प्रभात झा पर अपराधियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया जाने लगा है.

सी.बी.आई. के अनुसार शेहला एवं जाहिदा पहले सहेली थी. शेहला ने ही जाहिदा को मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम में परिचय कराकर काम दिलाया था, पर वह शेहला से आगे निकल गई. पर्यटन निगम में जब जाहिदा को कोई काम मिलता था, तब शेहला आर.टी.आई. लगाती थी. इस तरह से शेहला न केवल जाहिदा बल्कि अन्य लोगों के लिए अड़चन बन रही थी. इससे परेशान होकर उसने शेहला को रास्ते से हटाने का निर्णय लिया. इसके लिए उसने स्थानीय अपराधी शाकिब से मदद ली एवं शाकिब ने कानपुर के शूटर से संपर्क साधकर इस घटना को अंजाम दिलवाया. इस कहानी के पहले यह भी कहा जा रहा था कि अवैध संबंधों के मामले को लेकर शेहला की हत्या की गई.

इस मामले में विधायक पर शक इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि वे उस समय पर्यटन निगम के अध्यक्ष थे और जिस तरह से जाहिदा की पूछपरख निगम में थी, उससे लगता है कि उस पर उनकी मेहरबानी थी. दूसरी ओर भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चे के एक कार्यक्रम में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष का फोटो शाकिब के साथ है. इसे लेकर कांग्रेस द्वारा भाजपा अध्यक्ष से इस्तीफे की मांग की जा रही है. जबकि भाजपा अध्यक्ष का कहना है कि सार्वजनिक जगहों पर जनता साथ होती है, तो भीड़ में यह पता कर पाना कठिन होता है कि कौन अपराधी है. यद्यपि भाजपा के जिला अध्यक्षों को अब यह संदेश भेजा गया है कि मंच पर चढऩे वालों की छानबीन अच्छे से कर ली जाए. फिलहाल इस मामले में सी.बी.आई. सावधानी से कदम उठा रही है एवं राजनेताओं से अभी पूछताछ करने के बजाय, सबूतों को जुटाने एवं कडिय़ों को जोडऩे में लगी है.

सी.बी.आई. को कुछ अहम सुराग भी हाथ लगे हैं और वह जाहिदा का साइको टेस्ट भी करवाने जा रही है. कानपुर के शूटर इरफान से भी कड़ी पूछताछ की जा रही है एवं उससे काफी सुराग मिलने की उम्मीद है. सी.बी.आई. जिन कारणों को हत्या के लिए बता रही है, उसके लिए जरूरी है कि निगम के उन टेंडर या वर्क ऑर्डर की स्थिति को देखा जाए, जब जाहिदा को काम मिले हैं एवं आर.टी.आई. के आवेदनों की तिथियां एवं उसमें मांगी गई जानकारियों की स्थिति, मिले जवाब आदि को जांचा जाए, तभी इस कहानी पर विश्वास कर पाना संभव होगा कि निगम के कार्यों के कारण ही शेहला की हत्या की गई. साथ ही देखा जाना जरूरी है कि इस घटना को अंजाम देने के पीछे की ताकत कौन है? विपक्ष द्वारा राजनेताओं की भूमिका की जांच की मांग एवं परिजनों द्वारा यह कहे जाना कि जाहिदा इतना बड़ा कदम नहीं उठा सकती, इस बात की ओर इशारा करता है कि अभी तो मोहरे मिले हैं, खिलाड़ी नहीं. खिलाडिय़ों को बेनकाब करने में सी.बी.आई. कितनी जल्द सफल होती है, यह गिरफ्तार किए अभियुक्तों के बयान एवं सबूतों पर निर्भर करेगा.
भोपाल से भाजपा विधायक ध्रुव नारायण सिंह के फ़ोन की कालर ट्यून 'सुख के सब साथी, दुख में न कोय', उनकी वर्तमान स्थिति पर बिल्कुल मुफीद बैठती है. बीते पखवाड़े शेहला मसूद हत्याकांड से जुड़े सनसनीखेज खुलासों के बाद भोपाल की सड़कों से रातों-रात उनके पोस्टर और होर्डिंग उतरवा लिए गए. राजधानी के लोकप्रिय युवा नेता के तौर पर पहचाने जाने वाले मध्यप्रदेश टूरिस्म डेवलपमेंट कारपोरशन के पूर्व अध्यक्ष सिंह के पोस्टरों से राजधानी के गली-मोहल्ले हमेशा पटे रहते थे. जानकारों का मानना है कि ऐसा करके प्रदेश भाजपा ने सिंह से दूरी बनाये रखने के अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं. प्रदेश भाजपा से जुड़े सूत्र बताते हैं कि 2013 के विधानसभा चुनाव के बाद किसी महत्वपूर्ण मंत्रालय की उम्मीद लगा रहे सिंह का राजनीतिक करियर अब लगभग समाप्त हो चुका है. पार्टी से जुड़े एक वरिष्ठ नेता बताते हैं, 'हत्याकांड से जुड़े खुलासों के बाद जिस तरह से उनका नाम कई महिलाओं के साथ जोड़ा जा रहा है, उससे पार्टी की छवि को काफ़ी नुकसान हो रहा है. ध्रुव को इसके लम्बे राजनीतिक दुष्परिणाम झेलने पड़ेंगे क्योंकि पार्टी किसी एक नेता के लिए अपनी राजनीतिक संभावनाओं का बलिदान नहीं करने वाली.'

ध्रुव नारायण सिंह की जाहिदा परवेज़ से पुरानी मित्रता थी और उन्होंने ही जाहिदा को बिना ज़रूरी डिग्रियों के मध्यप्रदेश टूरिस्म में रजिस्टर्ड आर्किटेक्ट के तौर पर शामिल भी करवाया था

बाघ बचाओ अभियान के तहत आयोजित एक प्रदर्शन में शेहला मसूद (दायें)हाल ही में सीबीआई ने राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित शेहला मसूद हत्याकांड से जुड़े अहम खुलासे किये हैं. जांच एजेंसी के अनुसार भोपाल के एक प्रतिष्ठित मुस्लिम परिवार की बहू जाहिदा परवेज ने अपनी महिला सेक्रेटरी के साथ मिलकर, प्रेम और व्यापार, दोनों की अपनी प्रतिद्वंद्वी शेहला मसूद का भाड़े के हत्यारों द्वारा क़त्ल करवा दिया. सीबीआई का कहना है कि 36 वर्षीय जाहिदा को शेहला मसूद की ध्रुव नारायण सिंह से बढ़ती नजदीकियां पसंद नहीं थीं. मध्यप्रदेश टूर्जि्म से मिलने वाले तमाम ठेकों में शेहला का बढता दखल भी जाहिदा को रास नहीं आ रहा था. ध्रुव नारायण सिंह की जाहिदा परवेज़ से पुरानी मित्रता थी और उन्होंने ही जाहिदा को बिना ज़रूरी डिग्रियों के मध्यप्रदेश टूरिस्म में रजिस्टर्ड आर्किटेक्ट के तौर पर शामिल भी करवाया था. सूत्रों के अनुसार जब शेहला ने जाहिदा को मिलने वाले ठेकों से जुड़ी जानकारियां सूचना के अधिकार के तहत मांगनी शुरू कर दीं तो जाहिदा के काम में तमाम अड़चनें आने लगीं. हालांकि इस मामले में सीबीआई ने अभी तक ध्रुव नारायण सिंह को गिरफ्तार नहीं किया है पर उन्हें तलब कर उनसे सघन पूछताछ की जा रही है. पिछले दिनों दिल्ली में उनका पोलिग्राफी टेस्ट भी हो चुका है. सीबीआई अधिकारियों का कहना है कि मामले की तहकीकात जारी है और फिलहाल ध्रुव को क्लीन चिट नहीं दी गई है.

शेहला मसूद हत्याकांड के केंद्र में उलझे ध्रुव नारायण सिंह मध्यप्रदेश के प्रभावशाली और अमीर राजनीतिक परिवार से जुड़े हैं. ध्रुव के पिता गोविन्द नारायण सिंह मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं और उनके दादा अवधेश प्रताप सिंह विंध्यप्रदेश के पहले प्रधानमंत्री थे. पर अपनी खानदानी कांग्रेसी पृष्ठभूमि से इतर ध्रुव का राजनीतिक झुकाव भाजपा की तरफ रहा. उनके एक पुराने मित्र तहलका से बातचीत में कहते हैं, 'ध्रुव को राजनाथ सिंह का वरदहस्त प्राप्त था. वही ध्रुव को राजनीति में लेकर आए. यों तो पार्टी में उनके खिलाफ एक मजबूत लॉबी हमेशा से काम करती रही पर अब उनके प्रतिद्वंदियों को उनके खिलाफ एक मज़बूत आधार मिल गया है. आखिर राजधानी की 'मध्य भोपाल' सीट से कई लोग टिकिट पाना चाहते थे. फिर इतनी कम उम्र में उन्हें एमपीटीडीसी के अध्यक्ष का जो पद मिला था, उसके लिए भी बहुत मारा-मारी थी.' पर अपनी साफ़-सुथरी छवि के लिए पहचाने जाते रहे ध्रुव नारायण सिंह का 'लेडीज मैन' में हुआ यह रूपांतरण त्वरित नहीं है. पिछले 2 दशकों से ध्रुव को करीब से जानने वाले उनके एक मित्र बताते है, 'उन्होंने एक ब्राह्मण लड़की से प्रेम विवाह किया और पिछले 25 सालों में अपनी पत्नी के सिवा कभी किसी दूसरी महिला को नहीं देखा. पर पिछले 3 -4 सालों में जैसे ही वे रियल-एस्टेट के धंधे में आए, तब से उनकी संगत में कुछ नए लोग जुड़े. ये लोग ज़मीनों की संदिग्ध खरीद-फरोक्त के साथ-साथ ठेकों से जुड़े काम-काज के लिए आने वाली तमाम महिलाओं से मित्रता बढ़ाने वाले लोग थे. ध्रुव को भी पता था कि ये ठीक लोग नहीं है पर उन्होंने उनसे मेल-जोल जारी रखा और इस भयानक हत्याकांड में बिना-वजह उलझ गए.'

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