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भेड़ाघाट

Tuesday, January 11, 2011

देवभूमि में देहकांड

अमूमन शांत और साफ सुथरे माहौल के लिए जाने जाने वाले प्रदेश उत्तराखण्ड में पिछले कुछ सालों में जो चीज सबसे तेजी से बढ़ी है, वो है आपराधिक द्घटनाएं। अपराधों की श्रेणी में भी एक नई अपसंस्कृति ने जन्म लिया है। यहां के शहरों में लगातार सामने आ रहे अश्लील एमएमएस कांड और उनके जरिए लड़कियों का शोषण इसी का नतीजा है। इसे यहां की संस्कृति पर एक प्रहार के तौर पर
देखा जा सकता है। कुछ दिनों पहले इस पर की गई पूर्व मुख्य न्यायाधीश के ज़ी ़ बालाकृष्णन की टिप्पणी इस सच को पुख्ता करती है भारत में पॉर्न साइटों को बंद कर देना चाहिए। इन पॉर्न साइटों का दुरुपयोग महिलाओं को ब्लैकमेल करने के लिए हो रहा है। सबसे चिंतनीय यह है कि ऋषि मुनियों की आँारती उत्तराखण्ड में यह तेजी से फैल रहा है। पिछले साल यहां पांच सेक्स क्लिपिंग ऑनलाइन हुइर्ं। कई सारे लोगों को इस आरोप में जेल में डाल दिया गया है। बावजूद इसके यह अपराआँा कम होने की बजाय बढ़ ही रहा है। युवा खासकर छात्रों की इस अपराआँा में संलिप्ता ज्यादा होने से आज की शिक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान लग गए हैं। जब शिक्षा के मंदिरों में ही अश्लीलता का बोलबाला हो जायेगा तो आने वाली पीढ़ी का चरित्र निर्माण कैसा होगा?'

पिछले वर्ष देहरादून के एक एनजीओ के कार्यक्रम में देवभूमि के बारे में यह चिंता जाहिर की थी देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन ने। पिछले तीन सालों के आंकड़ों पर अगर गौर करें तो मल्टीमीडिया के इस खेल ने देवभूमि में एक अपसंस्कृति को जन्म दिया है। आज उत्तराखण्ड का कोई ऐसा शहर नहीं बचा जहां इस अपसंस्कृति ने पैर न पसारे हों और इसकी सबसे ज्यादा शिकार स्कूली छात्राएं हो रही हैं।
इससे अपेक्षाकृत शांत माने जाने वाले उत्तराखण्ड में अपराधों की नई प्रवृत्ति उभर रही है। पिछले वर्ष ऐसे कई मामलों में आश्चर्य जनक ढंग से अध्यापकों तथा समाज के जिम्मेदार नागरिकों के नाम भी सामने आए हैं। इस वजह से पुलिस भी ऐसे मामलों की कार्रवाई में ज्यादा दिलचस्पी नहीं लेती है। इस तरह के एमएमएस को लोगों ने कमाई का जरिया भी बना लिया है। हाल ही में भीमताल में एक स्कूली छात्रा का एमएमएस ५० रुपये से लेकर १०० रुपये तक में बेचा गया।

देवभूमि में इस अपसंस्कृति का प्रवेश वर्ष २००६ में हुआ। श्रीनगर में गढ़वाल विश्वविद्यालय की एक २२वर्षीय छात्रा का तीन लोगों ने अश्लील एमएमएस बनाया। यह छात्रा एक एसटीडी की दुकान चलाने वाले युवक के बहकावे में आ गई। एक दिन दुकानदार ने लड़की को धोखे से दुकान के पीछे बने कमरे में बुलाया और उसका अश्लील एमएमएस बना डाला। इसकी आड़ में वह वर्षों तक छात्रा का शारीरिक शोषण करता रहा। एक दिन इस दुकानदार ने अपने दो दोस्तों को वह एमएमएस उनके मोबाइलों में ब्लूटूथ के जरिए भेज दिया। इसके बाद वह दोनों भी छात्रा के साथ ब्लैकमेलिंग पर उतर आए। छात्रा ने पुलिस से इसकी शिकायत भी की। लेकिन पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया। इसके बाद इन युवकों ने एमएमएस को शहर के कई लड़कों के मोबाइलों में भेज दिया। तब जाकर उच्चाधिकारियों ने मामले को गंभीरता से लेते हुए न केवल आरोपी युवकों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की बल्कि रिपोर्ट दर्ज करने में आनाकानी करने वाले पुलिसकर्मी को निलंबित भी किया।
इसके बाद श्रीनगर के पौड़ी में भी १३ मार्च २००७ को इस तरह का मामला उस समय सुर्खियों में आया जब शहर के लोग इस मुद्दे पर धरना प्रदर्शन कर रहे थे। यह एमएमएस श्रीनगर स्थित एक कॉलेज की एक छात्रा का था। इस मामले में पुलिस ने आरोपी युवक फैजल अलीम लकी को गिरफ्तार किया। उस पर छात्रा के साथ दुर्व्यवहार करने और उसकी एमएमएस क्लिप बनाने का केस दर्ज किया गया। फैजल ने पहले कहा कि लड़की उसकी दोस्त है और ये क्लिप उसकी मर्जी से बनाई गई। उसके बाद उसने कहा कि उसके फोन का मेमोरी कार्ड खो गया था। जिस व्यक्ति को यह मेमोरी कार्ड मिला उसी ने यह क्लिपिंग फैलाई होगी। पीड़ित छात्रा ने कहा कि फैजल ने उसे नशे की दवाई देकर बेहोश किया और उसके बाद एमएमएस बनाया।

धार्मिक नगरी हरिद्वार में वर्ष २००७ में एक एमएमएस में गुरुकुल कन्या महाविद्यालय के अध्यापक को आपत्तिजनक हालत में कॉलेज की कुछ कर्मचारियों के साथ दिखाया गया। बाद में यह मामला न केवल पुलिस की फाइल में दर्ज हुआ बल्कि न्यायालय में भी गया। वर्ष २००८ में देहरादून के एक प्रतिष्ठित कॉलेज की छात्रा का एमएमएस खूब प्रचारित हुआ। इस पर जब बवाल मचा तो पुलिस ने तहकीकात की। लेकिन जब तक छात्र-छात्रा दोनों ही कॉलेज से पढ़ाई पूरी करके जा चुके थे। यह एमएमएस प्रेमनगर कांड के नाम से जाना गया। वर्ष २००८ में हरिद्वार में बीएचईएल के सेक्टर-५ स्थित स्टेडियम के पीछे वन क्षेत्र में एक युवती का एमएमएस बनाया गया। यह मामला मीडिया में आया तो पुलिस सचेत हुई। स्पेशल टॉस्क फोर्स ने पड़ताल की तो वन विभाग के एक अधिकारी और गार्ड की संलिप्ता उजागर हुईं। बाद में इस मामले में दो लोगों परमजीत सिंह और छतर सिंह को जेल भेजा गया।

वर्ष २००९ में कई एमएमएस बहुप्रचारित हुए इनमें चमोली की एक कॉलेज की छात्रा का मामला खूब उछला। चलती कार में ही छात्रा का अश्लील एमएमएस बनाया गया जिसमें चार युवक शामिल थे। बाद में जब यह क्लिप सर्कुलेट हुई तो छात्रा ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई। जिसमें दो लोगों को पुलिस ने जेल भेजा। मई २००९ में देहरादून में भी ऐसा ही एक प्रकरण सामने आया जिसमें एक स्कूल की छात्रा का बस कंडक्टर ने एमएमएस बनाया। यह छात्रा रोज उस बस से अपने स्कूल आया-जाया करती थी। छात्रा को बस कंडक्टर ने पहले अपने प्रेम जाल में फंसाया और बाद में उसकी अपने मोबाइल से क्लिपिंग बना डाली। कुछ दिनों बाद जब छात्रा दूसरे स्कूल में चली गई तो कंडक्टर ने छात्रा पर संबंध बनाने का दबाव बनाया। यही नहीं बल्कि उसने उसे एमएमएस प्रचारित करने और इंटरनेट पर डालने की धमकी तक दी। तंग आकर छात्रा ने यह बात अपने परिजनों को बता दी। परिजनों ने पुलिस के समक्ष गुहार लगाई लेकिन कंडक्टर पुलिस के हाथ नहीं लगा। देहरादून में ही दिसंबर २००९ में एमएमएस से परेशान होकर एक महिला ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। महिला ने एक आर्मी अफसर को आरोपी ठहराते हुए कहा कि उसने उसकी अश्लील फिल्म बना ली है और उसे ब्लैकमेल करने लगा है। फिलहाल यह आर्मी अफसर अब जेल की हवा खा रहा है।

देश के विख्यात तकनीकी विश्वविद्यालय आईआईटी रुड़की का नाम भी ११ अगस्त २००९ को एमएमएस कांड में जुड़ गया। यहां के कॉलेज की मैनेजमेंट कमेटी ने खुद इस एमएमएस को देखा। लोगों में जब इसका जबरदस्त विरोध हुआ तो कॉलेज प्रशासन ने एक तीन सदस्यीय जांच टीम का गठन किया। एमएमएस में दिखाया गया व्यक्ति कॉलेज का स्टाफ है और क्लर्क की पोस्ट पर तैनात है। बाद में यह मामला पुलिस के पास भी गया। लेकिन पुलिस ने जांच के नाम पर लीपापोती कर दी। १८ अगस्त २००९ को रुड़की में ही १६ साल की एक छात्रा के साथ ग्यारहवीं के एक छात्र ने पहले बलात्कार किया और उसके बाद उसका एमएमएस बना लिया। यह मामला तब प्रकाश में आया जब छात्र ने यह एमएमएस सर्कुलेट कर दिया। अपनी बदनामी होती देख लड़की ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने इस मामले में शाहनवाज और वसीम नाम के दो युवकों को गिरफ्तार किया। पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार करने के साथ ही जिस होटल में एमएमएस बना,उसके मालिक के खिलाफ भी कार्रवाई की। बताया जाता है कि होटल मालिक ने कमरा बुक करते समय आरोपी युवकों से कोई पहचान पत्र या डिटेल नहीं ली थी।

मई २०१० में हल्द्वानी की एक हाई प्रोफाइल कॉलगर्ल का अश्लील एमएमएस चर्चा में रहा। चौंकाने वाली बात यह थी कि इस एमएमएस में स्थानीय युवा कांग्रेस के दो नेताओं और एक पुलिसकर्मी की संलिप्ता उजागर हुई थी। 'दि संडे पोस्ट' ने एसओजी और कांग्रेसी नेताओं की इस करतूत को 'क्लिपिंग का कारनामा' नामक समाचार से प्रकाशित किया था। इसके बाद एक पुलिसकर्मी को सस्पेंड करने के आदेश भी हुए। लेकिन न ही इस आदेश का आज तक पालन हुआ है और न एमएमएस में दिखाए गए नेताओं पर कोई कार्रवाई हुई। एसएसपी एमएस बग्याल ने नैनीताल की सीओ अरुणा भारती को इस मामले का जांच अधिकारी नियुक्त किया था। सात माह बाद भी जांच सात कदम आगे नहीं बढ़ी है। पिछले दिनों रामनगर में भी इस प्रकार की एक द्घटना सामने आयी, जहां एक नामी पब्लिक स्कूल से ताल्लुक रखने वाले एक युवक ने अपनी प्रेमिका के साथ अंतरंग क्षणों का वीडियो बना डाला। जब यह क्लिपिंग किसी दूसरे व्यक्ति के हाथ लगी तो उसने एमएमएस के रूप में इसका आदान-प्रदान करना शुरू कर दिया। पर उक्त युवक द्वारा पुलिस के सामने अपना गुनाह कबूलने के बाद भी उसे चेतावनी देकर छोड़ दिया गया।

२०१० के अंतिम माह दिसंबर में नैनीताल जिले के भीमताल में भी एक स्कूली छात्रा का एमएमएस अचानक सुर्खियां बन गया। एक ३०-३५ साल के युवक ने इसे अंजाम दिया था। बताया जाता है कि भीमताल, भवाली के अलावा हल्द्वानी और नैनीताल में स्कूली छात्रा का यह अश्लील एमएमएस ५० रुपये से लेकर १०० रुपये में बेचा गया। बागेश्वर जिले में राजेन्द्र थापा नाम के अध्यापक ने गुरु-शिष्य की गरिमा को ही तहस-नहस कर डाला। अपने स्कूल में आठवीं की एक छात्रा का अश्लील एमएमएस बना कर वह दो साल तक उसका दैहिक शोषण करता रहा। किसी तरह वह एमएमएस अध्यापक के मोबाइल से किसी दूसरे व्यक्ति और देखते ही देखते पूरे बागेश्वर में फैल गया। पीड़ित छात्रा के बताने पर उसके परिजनों ने आरोपी अध्यापक के खिलाफ थाने में मामला दर्ज कराया। फिलहाल अध्यापक जेल की सलाखों के पीछे है।

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