bhedaghat

bhedaghat
भेड़ाघाट

Wednesday, January 15, 2014

योगी की क्षत्रछाया में भोगी बना 60,000 करोड़ का मालिक

भोपाल। भारतीय योग और ध्यान की परम्परा का दुनिया से परिचय कराने वाले आध्यात्मिक गुरु महर्षि महेश योगी की 6 फरवरी,2008 को मृत्यु के बाद उनकी क्षत्रछाया में पला-बढ़ा एक भोगी(गिरीश वर्मा) उनके 60,000 करोड़ के एम्पायर का छल पूर्वक मालिक बन बैठा। अब अपने कुकर्मो के कारण महर्षि महेश योगी का वह तथाकथित भतीजा गिरीश वर्मा अब भोपाल सेंट्रल जेल का कैदी नंबर 6364 है। महर्षि शिक्षा संस्थान के सर्वेसर्वा वर्मा पर संस्थान की एक महिला कर्मचारी का 16 सालों से यौन शोषण करने का आरोप है। इन आरोपों के 9 माह बाद वर्मा की गिरफ्तारी और अब वर्मा के जेल जाने के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महर्षि संस्थान की छवि धूमिल हुई है। इस घटनाक्रम के बाद महर्षि महेश योगी के सगे भतीजे अजय प्रकाश और आनंद प्रकाश भी चिंतित हैं। महर्षि महेश योगी के अनुयायियों का मानना है कि इन आरोपों से संस्थान की छवि खराब हुई है। महर्षि महेश योगी ने अपनी जन्म स्थली जबलपुर से अपनी आध्यात्मिक यात्रा शुरू की थी और पश्चिम में जब हिप्पी संस्कृति का बोलबाला था, उस वक्त महेश योगी ने 'ट्रेन्सेडेंशल मेडिटेशनÓ (टीएम) तकनीक से दुनिया को रूबरू कराया। महर्षि महेश योगी के तकरीबन 60 हजार करोड़ की संपत्ति के वारिस गिरीश वर्मा के इस सफर की शुरुआत भी वहीं से हुई थी। लेकिन देखते ही देखते महेश योगी के इस साम्राज्य को वर्मा ने इतना बड़ा कर दिया कि देखने वाले देखते रह गए। साल 2008 में जब महेश योगी की मृत्यु हुई तो वर्मा एक झटके में योगी के तमाम स्कूल, कालेज, यूनिवर्सिटी और शिक्षण संस्थान के मालिक बन गए और इस विरासत को सालों तक उन्होंने बखूबी संभाला भी। निरंकुश हो गया था वर्मा बताया जाता है कि महर्षि महेश योगी के निधन के बाद उनकी तकरीबन तकरीबन 60 हजार करोड़ की संपत्ति का वारिस बनने के बाद से ही गिरीश वर्मा निरंकुश हो गया था। जहां एक तरफ देश भर में फैली महर्षि की अन्य संपत्तियों को लेकर उनके सगे भतीजों और ट्रस्टियों में झगड़े हो रहे थे,वहीं वर्मा उनके महर्षि शिक्षा संस्थान का स्वयंभू बना हुआ था। धीरे-धीरे वह विलासिता और अय्याशी की जिंदगी जीने का आदि होने लगा। उसी दौरान 2011 में मिसरोद स्थित महर्षि शिक्षा संस्थान की पीडि़त शिक्षिका उसके संपर्क में आई और तब से वह उसका लगातार यौन शोषण कर रहा था। शिक्षिका ने 13 मार्च 2013 को राज्य महिला आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी। इस मामले में आयोग ने वर्मा को नोटिस जारी किए थे, लेकिन वह हाजिर नहीं हुए। इसके बाद महिला ने 19 मार्च 2013 को महिला थाने में वर्मा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। अगले दिन महिला के पति ने अपने बयान दर्ज कराए थे। इस संबंध में टीचर ने पहले दिए अपने बयान में कहा था कि गिरीश चंद्र वर्मा 1996 से ही उसके साथ ज्यादती करने की कोशिश में थे। लेकिन दो साल बाद यानी 1998 को उन्होंने पहली बार उसके साथ बलात्कार किया और फिर 2013 यानी 16 सालों तक उसके साथ बलात्कार करते रहे। इस दौरान उन्होंने उसके पति से उसके बैंक एकाउंट और ई-मेल की आईडी और पासवर्ड भी हासिल कर लिए और ट्रांजैक्शन करते रहे। बाद में उन्हें पता चला कि इस आईडी और पासवर्ड के माध्यम से वर्मा ने खुद को कई मेल भी किए, ताकि जरूरत पडऩे पर वह खुद को बचा सके और उन्हें ब्लैकमेल कर सके। शिकायत की जांच के तहत पुलिस ने गिरीश वर्मा व कुछ अन्य लोगों को नोटिस जारी किए थे। इनमें से सिर्फ महर्षि इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के संचालक वीएन गोस्वामी ने अपने बयान दर्ज कराए थे। बाद में दबाव बढऩे पर 27 दिसंबर को गिरीश वर्मा ने महिला थाने में अपने बयान दर्ज कराए थे। 29 दिसंबर को वर्मा के खिलाफ दफा-376, 506 के तहत मुकदमा कायम किया गया है। एफआईआर होते ही वर्मा को गिरफ्तार भी कर लिया गया। महर्षि महेश योगी संस्थान के चेयरमेन गिरीश वर्मा पर लगा यौन उत्पीडऩ का मामला संस्थान के अंतरराष्ट्रीय चेयरमेन और महर्षि महेश योगी द्वारा बनाए गए विश्व शांति राष्ट्र के महाराजाधिराज डॉ. टोनी नाडर तक पहुंच गया है। डॉ. नाडर ने गिरीश वर्मा पर लगे आरोपों की खबरों को मेल पर मंगा लिया है। ऐसे में लोगों का कहना है कि संभव है कि गिरीश वर्मा को संस्थान के सभी पदों से हटा दिया जाए।
9 माह बाद दर्ज हुई थी एफआईआर बलात्कार जैसे संगीन मामले में भी किसी शख्स के रसूख और जलवे के आगे कानून कमजोर पड़ जाता है? ये सवाल इसलिए है, क्योंकि महर्षि महेश योगी शिक्षण संस्थान के मुखिया गिरीश वर्मा के खिलाफ एफआईआर करने में भोपाल पुलिस को पूरे नौ महीने लग गए। आखिर ये देरी हुई क्यों? इसका जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है। अपने ही स्कूल में काम करने वाली एक टीचर के साथ सोलह सालों तक बलात्कार करने के इल्जाम में भोपाल पुलिस ने आखिरकार गिरीश वर्मा को गिरफ्तार कर जेल तो भेज दिया, लेकिन ये सवाल अब भी उठ रहा है कि आखिर कार्रवाई करने में पुलिस को नौ महीने से भी ज्यादा का वक्त क्यों लग गया। गुरू की पुत्र बधू है पीडि़ता जिस महिला ने वर्मा पर यौन शोषण का आरोप लगाया है उसके ससुर ने गिरीश वर्मा को संगीत की शिक्षा दी है। अब वे दृष्टिहीन हैं। महिला के पति राजेश शर्मा पिछले 12 वर्षों से गिरीश वर्मा के प्राइवेट सक्रेट्री रहे हैं। मूलत:जबलपुर निवासी राजेश शर्मा के पिता भी महर्षि संस्थान से जुडे थे। उनके पिता के म्यूजिक कॉलेज में गिरीश वर्मा बतौर शिष्य सितार वादन व गाना सीखने आता था। पिता का शिष्य होने के नाते राजेश शर्मा और गिरीश वर्मा के बीच पुराना परिचय था। महिला का आरोप है कि गिरीश वर्मा ने भोपाल से बाहर की यात्राओं के दौरान होटलों में उनका यौन शोषण किया। शर्मा का आरोप है कि गिरीश वर्मा ब्रह्मचारी नहीं, बल्कि महिलाओं के शौकीन हैं। वे न केवल महिलाओं के साथ बाहर आते-जाते हैं, बल्कि बड़े-बड़े होटल्स में रुकते भी हैं। पीडि़ता के पति के साथ हॉलैंड में गिरीश वर्मा ने किया था कुकृत्य 15 साल तक लगातार पीडि़ता को हवस का शिकार बनाने के आरोपी महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय के कुलाधिपति गिरीश वर्मा उसके पति राजेश शर्मा के साथ भी एक बार कुकृत्य कर चुके हैं, उस वक्त राजेश की उम्र 19 साल थी। आरोप है कि गत 1992 में यूरोप के हॉलैंड में घटित इस कुकृत्य का खुलासा खुद राजेश शर्मा ने मीडिया के सामने किया। राजेश ने बताया कि 1987 में उन्होंने महर्षि संस्थान ज्वाइन किया था, 1992 में गिरीश वर्मा के पिता का देहांत हो गया था। महर्षि ने खुद गिरीश वर्मा, उसकी मां और बहनो को हॉलैंड स्थित महर्षि यूनिवर्सिटी बुलवाया था। वर्मा परिवार के साथ 19 वर्षीय राजेश शर्मा भी हॉलैंड के रौरमुंड के स्टेशन 24 के बाद पडऩे वाले फ्लोडरोव इलाके स्थित महर्षि विश्वविद्यालय गया था। पीडि़त ने बताया कि होटल के कमरे में गिरीश वर्मा ने नशीली चीज खिलाकर उनके साथ कुकृत्य किया था। हालांकि घटना का विरोध जताने के बाद वर्मा ने दूसरी बार कभी कोशिश नहीं की। वर्मा ने पति-पत्नि को दिखाया बाहर का रास्ता पुलिस को दी गई शिकायत की मानें तो गिरीश वर्मा पर इल्जाम लगाने वाले पति-पत्नी सालों से उनके यहां काम कर रहे थे, लेकिन एक दिन अचानक उनका इस्तेमाल करने के बाद वर्मा ने उन्हें संस्थान से बाहर का रास्ता दिखा दिया। महर्षि महेश योगी संस्थान की ओर से जारी हुआ मात्र एक बयान: इतना सबकुछ होने और यौन शोषण के इल्जाम में गिरफ्तार हो कर जेल चले जाने के बावजूद महर्षि महेश योगी संस्थान की ओर से गिरीश वर्मा के हक में मात्र एक बयान जारी किया गया है। इस बयान में वर्मा को ना सिर्फ बेगुनाह बताया गया है, बल्कि ये भी कहा गया है कि बलात्कार का ये आरोप उनके दुश्मनों की साजिश के सिवा और कुछ भी नहीं। विरासत मे मिली थी अरबों की संपत्ति
वर्मा की दौलत की चमक देखकर आपकी आंखें भी चौंधिया जाएगी, उनके पास जमीन इतनी है कि पैमाइश मुश्किल हो, कारें इतनी कि गिनना दुश्वार हो जाए और नौकर-चाकर इतने कि पहचान नामुमकिन है। बलात्कार के इल्जाम में जेल जाने वाले महर्षि महेश योगी यूनिवर्सिटी के चांसलर गिरीश वर्मा आडम्बर ऐसा था कि शासन-प्रशासन भी उनसे खौफ खाता था। महर्षि महेश योगी यूनिवर्सिटी के चांसलर गिरीश वर्मा को विरासत में ही अरबों की दौलत मिली, लेकिन वर्मा ने देखते ही देखते इस दौलत का दायरा और भी बड़ा कर लिया। 16 राज्यों में है वर्मा के स्कूल आज हालत ये है कि वर्मा देश के 16 राज्यों में मौजूद 148 स्कूलों का संचालन खुद करते हैं और कई आश्रमों के मालिक हैं। लेकिन अब इन्हीं गिरीश वर्मा पर आईपीसी की धारा 376 यानी बलात्कार और 506 यानी जान से मारने की धमकी देने का मामला दर्ज हो चुका है और फिलहाल वह जेल में है। आखिर हैं कौन ये गिरीश वर्मा गिरीश वर्मा महर्षि महेश योगी के दूर के भतीजे हैं। चूंकि हालैंड में गिरीश ने महर्षि के काफी वक्त गुजारा है, इसलिए उनकी प्रभाव साफ दिखता है। वैदिक धर्म की स्थापना और योग की शिक्षा के लिए गिरीश वर्मा ने ब्रह्मचर्य व्रत लिया था। 1998 में महर्षि महेश योगी ने हॉलैंड में विश्व शांत ट्रस्ट की स्थापना की थी। महर्षि जी ने पूरी दुनिया को एक शांति राष्ट्र के रूप में मानते हुए इस लक्ष्य की स्थापना के लिए अपने 40 अनुयायियों को राजा बनाते हुए डॉ. टोनी नाडर को महाराजाधिराज बनाकर भव्य समारोह में इनका राज्याभिषेक किया था। टोनी नाडर ने उसी समय गिरीश वर्मा को अंतरराष्ट्रीय शिक्षा मंत्री बनाते हुए उनका शपथ समारोह किया था। तभी से गिरीश वर्मा महर्षि महेश योगी द्वारा स्थापित शिक्षण संस्थानों की कमान संभाले हुए हैं। महलनुमा कोठी में रहता है वर्मा बताया जाता है कि महर्षि के निधन के बाद गिरीश और महर्षि के सगे भतीजों अजय और आनंद से विवाद भी हुआ। बाद में समझौते के रूप में गिरीश वर्मा को सभी शिक्षण संस्थानों और अजय-आनंद को अन्य संस्थानों की जिम्मेदारी मिली। अजय-आनंद ने दिल्ली में घर बनाया तो दूसरी ओर ब्रह्मचारी गिरीश वर्मा ने भोपाल में भोजपुर रोड पर पांच एकड़ में महलनुमा घर बनाया। इसमें उसकी सेवा में लगभग 40 से अधिक कर्मचारी और 30 से अधिक कारें हैं। वर्मा की महलनुमा कोठी के लिए वर्ष 2005 में जमीन खरीदी गई थी, जो वर्मा और उनकी बहन के नाम पर है। इसका निर्माण वर्ष 2006 में शुरू हुआ और कोठी 2008 में बनकर तैयार हो गई। वर्ष 2009 से वर्मा ने आसपास की पांच एकड़ जमीन और खरीद ली। वर्तमान में तकरीबन 11 हजार वर्गफुट में बनी कोठी दो मंजिला है। पूरी कोठी में सफेद मार्बल का काम हुआ है। जबकि कोठी के ऊपर पीतल का कलश लगाया गया है। वर्मा ऊपर की मंजिल में रहते हैं। दोनों मंजिल पर ड्राइंग और डायनिंग रूम के अलावा चार कमरे बने हैं। पहली मंजिल पर जाने के लिए लिफ्ट लगी है। कोठी के गार्डन में जयपुर से मंगाया हुआ सफेद मार्बल का फव्वारा लगाया है। गार्डन के आसपास विभिन्न कलाकृतियां लगी हैं। महंगी गाडिय़ों का शौकिन है वर्मा आज हालत ये है कि इतने स्कूल कॉलेजों के अलावा इस संस्थान के पास नोएडा जैसे खास इलाके में तकरीबन 12 सौ एकड़ की जमीन है। जबकि देश विदेश में कई जगहों पर करोड़ों की दूसरी चल-अचल संपत्ति। भोपाल में वर्मा खुद जिस महल में रहते हैं, उसकी चकाचौंध देखते ही बनती है। यहां 40 से ज्यादा नौकर-चाकर चौबीसों घंटे उनकी सेवा में लगे होते हैं और वर्मा की गाडिय़ों का गैराज इतना बड़ा है कि उनके नजदीकी लोगों को भी इसकी सही-सही थाह नहीं है। वर्मा के गैराज में मर्सिडीज, बीएमडब्ल्यू और ऑडी समेत अनगिनत महंगी गाडिय़ां शामिल है। वर्मा की संपत्ति पर डालें एक नजर -148 स्कूल - दो यूनिवर्सिटी - हजारों एकड़ की जमीन - अनगिनत बेशकीमती गाडिय़ां - दर्जनों महल और आश्रम - 60 हजार करोड़ की दौलत भक्तों के झगड़े में फंसी गुरु की विरासत भावातीत ध्यान गुरु महर्षि महेश योगी की भारत में करीब 60,000 करोड़ रु. की विशाल संपत्ति ने उनके वारिसों और अनुयायियों के बीच वर्षों से लड़ाई चल रही है। उनकी संपत्ति में ज्यादातर जमीन है। 2012 में कुछ लोगों पर आरोप लगाए गए थे कि उन्होंने जमीन के अवैध सौदे किए हैं और संपत्ति हथियाने के लिए फर्जी ट्रस्ट बनाए हैं। भारत को प्रख्यात बीटल्स से परिचित कराने वाले इस भागवत पुरुष की फरवरी, 2008 में मौत हो गई और वे अपने पीछे देशभर में 12,000 एकड़ से ज्यादा जमीन छोड़कर गए। इनमें दिल्ली, नोएडा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और गोवा में कई प्रमुख जगहों पर जमीन शामिल है, जो फिलहाल योगी द्वारा 1959 में स्थापित आध्यात्मिक पुनरुद्धार आंदोलन (एसआरएम फाउंडेशन) के नियंत्रण में है। योगी ने कई सोसाइटियों की स्थापना की थी जिनमें एसआरएम फाउंडेशन और उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा स्थित महर्षि ग्लोबल यूनिवर्सिटी सबसे ऊपर हैं। महर्षि शिक्षा संस्थान, महर्षि वेद विज्ञान विद्यापीठ, महर्षि गंधर्व वेद विद्यापीठ और महिला ध्यान विद्यापीठ जैसे चार अन्य शैक्षणिक संस्थान भी हैं जो देश के 16 राज्यों में 148 स्कूल चला रहे हैं। नीदरलैंड के व्लोड्रोप में निधन के तुरंत बाद ही योगी के शिष्यों और सोसाइटियों के सदस्यों के बीच संपत्ति पर नियंत्रण को लेकर तनाव शुरू हो गया था। अपने को उनका असल उत्तराधिकारी बताने वाले दो गुटों ने एक-दूसरे पर जमीन से संपन्न सोसाइटियों पर नियंत्रण के लिए स्वांग रचने का आरोप लगाया। एक तरफ योगी के भतीजे व एसआरएएम फाउंडेशन इंडिया के चेयरमैन 54 साल के आनंद प्रकाश श्रीवास्तव, एसआरएम फाउंडेशन के 46 साल के सचिव अजय प्रकाश श्रीवास्तव और शैक्षणिक ट्रस्टों के चेयरमैन 58 साल के ब्रह्मचारी गिरीश चंद्र वर्मा हैं। वे 12 सदस्यीय एसआरएम फाउंडेशन के एक सदस्य 64 साल के जी. राम चंद्रमोहन के खिलाफ खड़े हैं। राम चंद्रमोहन के साथ छत्तीसगढ़ के रियल एस्टेट एजेंट और योगी के शिष्य 51 साल के विजय धावले और जालंधर स्थित एनजीओ इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन के प्रमुख 55 साल के उपेंद्र कलसी हैं। जनवरी 2012 में श्रीवास्तव बंधुओं ने दिल्ली हाइकोर्ट में एक याचिका दायर कर महर्षि समूह द्वारा स्थापित कई सोसाइटियों के स्वामित्व वाली जमीन की बिक्री पर रोक लगाने की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि चंद्रमोहन और उनके सहयोगी फर्जी दस्तावेजों के सहारे सोसाइटी की जमीन पर अवैध तरीके से कब्जा करना चाहते हैं। दूसरी तरफ, चंद्रमोहन का दावा है कि श्रीवास्तव परिवार एसआरएम फाउंडेशन बोर्ड के सभी सदस्यों की मंजूरी लिए बिना गुरु की जमीन को खुद बेच रहा है। एक तरफ जहां महर्षि महेश योगी की अपार संपत्ति को लेकर उनके वारिशों में जंग छिड़ी हुई है,वहीं गिरीश वर्मा संस्थान के अंतरराष्ट्रीय चेयरमेन और महर्षि महेश योगी द्वारा बनाए गए विश्व शांति राष्ट्र के महाराजाधिराज डॉ. टोनी नाडर को विश्वास में लेकर उनकी 60 हजार करोड़ की विरासत का मालिक बन बैठा है। अब महेश योगी के बारे में श्री श्री रविशंकर के गुरु महर्षि महेश योगी जब 91 साल की उम्र में स्वर्ग सिधारे तो उनके संस्थान के पास छह अरब डॉलर की संपत्तियां थी और एक छोटा मोटा देश बसाने लायक जमीन हॉलैंड और जर्मनी की सीमा के पास मौजूद थी। उन्होंने एक निजी मुद्रा भी इजाद की थी और उसे कई देशों मे मान्यता भी मिली थी। रुपए और डॉलर की तरह इस मुद्रा का नाम राम था। एक राम की कीमत पांच रुपए थी। ये वे महेश योगी थे जिन्होंने योग की कई विधियों को जोड़ कर भावातीत ज्ञान यानी ट्रांसडेंटल मेरिडेसन की रचना की थी और पश्चिमी देशों में इसकी धूम मचा दी थी। टाइम पत्रिका के कवर पर उनकी जीवनी छपी थी और इतनी सारी दौलत होने के बाद भी महेश चंद्र श्रीवास्तव उर्फ महेश योगी कहा करते थे कि मैं तो योगी हूं और मेरी पोशाक में कोई जेब नहीं है। पैसा मैं कहां रखूंगा? महेश योगी जबलपुर में जन्में थे। इस शहर की खासियत है कि इसमें दुनिया को रजनीश कुमार जैन उर्फ भगवान रजनीश उर्फ ओशो दिए, महेश योगी दिए और यहीं के स्वामी प्रज्ञानंद भी पूरे संसार में घूम कर अपना ठीक ठाक आध्यात्मिक साम्राज्य बना चुके हैं। महेश योगी ने पहले भारत में नाम कमाया और फिर अमेरिका रवाना हो गए। तब तक वे योग की कक्षाओं के लिए फीस नहीं लेते थे। कक्षाओं और टीवी चैनलों में ठहाके लगाने के कारण उन्हें हंसमुख गुरु भी कहा जाता था। ज्योर्तिमठ के शंकराचार्य ब्रह्मनंद सरस्वती के शिष्य रहे महेश योगी ने अपने भावातीत योग को ट्रेडमार्क करवा लिया था। जैसे बाद में उनके शिष्य होने का दावा करने वाले रविशंकर ने सुदर्शन क्रिया को ट्रेडमार्क करवाया। महेश योगी के बारे में बहुत सारी बाते प्रचलित है। मगर जब उनका निधन हुआ तो दुनिया भर के अखबारों ने खबर का शीर्षक यही दिया कि बीटल्स के गुरु नहीं रहे। बीटल्स दुनिया के इतिहास में अब तक का सबसे पॉप बैंड रहा है और पचास से ले कर सत्तर के दशक तक अंग्रेजी संगीत के प्रेमी उनके नाम की कसमे खाया करते है। बीटल्स महर्षि महेश योगी के आश्रम में काफी समय रहे और बाद में यह आरोप लगा कर गए कि खुद को ब्रह्मचारी कहने वाले महर्षि ने उनके साथ आई एक युवती पर हाथ डाला था। महर्षि ने पूरी दुनिया घूमी और उनकी पहली विदेश यात्रा रंगून की थी। एक भी पैसा नहीं रखने वाले महेश योगी के पास इतना पैसा है कि दिल्ली, ऋषिकेश, भोपाल और कई जगहों पर किराए पर कोठियां ली गई हैं और लगभग बीस साल से उनमें कोई नहीं रहता लेकिन किराया वक्त पर पहुंचता रहता है। बीच में उन्होंने एक हिंदी अखबार भी निकाला था जो कब का बंद हो चुका है मगर इसके पत्रकारों को वेतन अब तक मिलता है। महेश योगी ने महर्षि वेद विश्वविद्यालय के अलावा कई अंर्तराष्ट्रीय विश्वविद्यालय खोले और उनमें मुख्य पढ़ाई योग या बाबा के ध्यान की नहीं बल्कि मैनेजमेंट की होती है। जल्दी ही अकिंचन योगी निजी विमानों में उडऩे लगे और दुनिया की सबसे महंगी कार रास रॉयल्स में चलने लगे। ब्रिटिश टेलीविजन पर तो उनके चरित्र को ले कर एक सीरियल बना और दूसरे सीरियल गॉडनेस ग्रेसियस मी का प्रसारण तो बीबीसी पर हुआ। महेश योगी काफी आधुनिक गुरु थे। वे दुनिया भर मे मौजूद अपने आश्रमों में आज से बीस साल पहले सैटेलाइट डिश लगवा चुके थे और एक बड़े पर्दे पर प्रकट हो कर भक्तों से वीडियो संवाद करते थे। राजनैतिक महत्वकांक्षा उनमें इतनी बड़ी थी कि उन्होंने नेचुरल लॉ पार्टी ब्रिटेन में बनाई और 1952 के आम चुनाव में पूरे तीन सौ दस उम्मीदवार खड़े किए। इस गरीब योगी ने इस आम चुनाव पर घोषित कर के एक अरब डॉलर खर्च किया था। उस चुनाव में तो पार्टी को कोई खास सफलता नहीं मिली लेकिन 1999 में यह विजेता लेबर पार्टी के बाद कई जगह नंबर दो पर आई और चार लाख वोट प्राप्त किए। महर्षि की नजर अमेरिका की राजनीति पर भी थी। उसके लिए उन्होंने दो अरब डॉलर का फंड बनाया था और उनकी पार्टी में चालीस हजार कार्यकर्ता शामिल हो गए थे। फिर भी अमेरिका में उन्हें सफलता नहीं मिली। विश्व विख्यात टीवी इंटरव्यू एंकर लैरी किंग से उन्होंने कहा था कि मुझे एक अरब डॉलर मिल जाए तो मैं दुनिया की तस्वीर बदल दूंगा। पासपोर्ट पर पता नहीं क्यों उन्होंने अपना नाम बदल कर महेश श्रीवास्तव से महेश चंद्र वर्मा रख दिया था। एक जमाने में हॉलीवुड की नामी हीरोइन मिया फैरो ने उन पर अश्लील हरकतों का आरोप लगाया था और आश्रम छोड़ कर चली गई थी। बीटल्स भी बाद में इतने दुखी हो गए थे कि उन्होंने और खास तौर पर बीटल्स के सबसे लोकप्रिय गायक जॉन लैनन ने महर्षि का मजाक उड़ाते हुए कई गीत बनाए। बीटल्स के दूसरे साथी हैरीसन ने बाद में महर्षि से माफी मांगी। फिलहाल दुनिया में घूम कर शांति का पाठ पढ़ा रहे दीपक चोपड़ा ने एक इंटरव्यू में कहा था कि बीटल्स ऋषिकेश के आश्रम में ड्रग्स लेते थे, गांजा पीते थे और इसीलिए महर्षि ने उन्हें निकाल दिया था। मिया फैरो ने जब यह इंटरव्यू पढ़ा तो आग बबूला हो गई और उन्होंने कहा कि दीपक चोपड़ा को उतना ही बोलना चाहिए जितना उन्हें आता है। आश्रम में कभी नशीली दवाएं या गांजा नहीं पिया गया बल्कि बीटल्स बोर होने की वजह से गए और मैं इसलिए आई क्योंकि गुरु की नजरे मुझे खराब लग रही थी। महर्षि को असली चुना मध्य प्रदेश के एक राजनेता ने लगाया जो कांग्रेस की एक सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। महेश योगी ने भारत में राजनीति की शुरूआत अपने प्रदेश यानी मध्य प्रदेश से ही की और ये नेता जी उनकी पार्टी के अखिल भारतीय अध्यक्ष बन गए। उन्हें एक हैलीकॉप्टर दे दिया गया, खर्चे के लिए अपार पैसे दे दिए गए और दिल्ली और भोपाल में कोठियां दे दी गई। काफी रकम कमाने के बाद नेताजी वापस कांग्रेस में लौट आए। भोपाल की जो कोठी महर्षि की ओर से जो खरीदी गई थी वह दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटना करवाने वाली यूनियन कार्बाइड का गेस्ट हाउस था।

No comments:

Post a Comment