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भेड़ाघाट

Wednesday, January 15, 2014

बेदाग और तेजतर्रार अफसर बनेंगे दमदार

विनोद उपाध्याय
भोपाल। आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए फिलहाल चुस्त-दुरूस्त प्रशासन की जरूरत है,ताकि सरकार की योजनाओं का क्रियान्वयन ठीक से हो सके। इसके लिए जनवरी में एक बड़ी प्रशासनिक सर्जरी की तैयारी की जा रही है। मंत्रिमंडल के गठन के साथ ही सर्जरी का खाका तैयार होना शुरू हो गया है। 'मिशन 2014Ó और 'विजन डाक्यूमेंट 2018Ó को देखते हुए इस सर्जरी में बेदाग और तेजतर्रार अफसरों को दमदार बनाया जाएगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और मुख्य सचिव एंटोनी डीसा ने इसके लिए खाका तैयार कर लिया है।
शिवराज की ड्रीम टीम
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लगभग 8 साल के कार्यकाल को देखें तो उनकी ड्रीम टीम में शामिल अफसरों में पीके दाश, एमएम उपाध्याय,देवराज बिरदी, अरुणा शर्मा, अजय नाथ, एस आर मोहंती, के सुरेश, एपी श्रीवास्तव, राधेश्याम जुलानिया, मनोज श्रीवास्तव, संजय दुबे, अरुण पांडे, एसके मिश्रा, विवेक अग्रवाल, हरिरंजन राव, राकेश श्रीवास्तव, अजातशत्रु श्रीवास्तव, मो. सुलेमान, संजय शुक्ला, आकाश त्रिपाठी, निशांत बरवड़े, कवीन्द्र कियावत,पी नरहरि,विवेक पोरवाल,नवनीत मोहन कोठारी,केके सिंह,दीपक खाण्डेकर, बीएम शर्मा,एमबी ओझा, सीबी सिंह आदि शामिल है। अत: इन अधिकारियों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी तो सौंपी ही जाएगी,इनके अलावा क्षेत्रीय संतुलन भी बनाए रखा जाएगा,ताकि अफसरों में गुटबाजी न हो। सीएम सचिवालय में भी बदलाव बताया जाता है की संभावित प्रशासनिक फरबदल में काफी समय से एक ही विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे प्रमुख सचिव, सचिव, निगम-मंडलों के एमडी तथा कुछ कमिश्नरों व कलेक्टरों के भी बदले जाने की संभावना है। सीएम सचिवालय से भी मुख्यमंत्री एक-दो अफसरों को बदल सकते हैं और यह फेरबदल जनवरी में होने की अटकलें हैं। मंत्रालय में भी कई अफसरों को एक ही विभाग का काम संभालते काफी समय बीत गया है। पोस्टिंग में मंत्रियों की पसंद! विकास की गति में किसी तरह का व्यवधान न हो इसके लिए मंत्रियों की पसंद को भी ध्यान दिया जाएगा। खासकर राजस्व, नगरीय प्रशासन, आवास एवं पर्यावरण,वित्त,ग्रामीण और पंचायत,उद्योग एवं लोकनिर्माण विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभागों में भी मंत्रियों की इच्छानुरूप अफसरों की पोस्टिंग की जाएगी। उल्लेखनीय है कि पिछली सरकार में कई मंत्रियों और उनके विभाग के अधिकारियों के बीच टकराव की स्थिति बनी रही। इससे इन विभागों के कामकाज भी प्रभावित होते रहे। लेकिन इस बार मुख्यमंत्री सामंजस्य बिठाकर काम कराना चाहते हैं,ताकि मिशन 2014 को पूरा किया जा सके। जमे-जमाए भी होंगे इधर-उधर वर्षो से एक ही विभाग में जमे अफसरों को भी इस बार इधर से उधर किया जाएगा। इनमें जल संसाधन विभाग के पीएस राधेश्याम जुलानिया के पास विभाग की जिम्मेदारी 5 फरवरी 2010 से है, जबकि एनवीडीए में सदस्य पुनर्वास के अलावा उपाध्यक्ष का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे रजनीश वैश को भी इतना ही समय हो गया है। वे सदस्य बतौर 3 मई 2010 से काम देख रहे हैं। नगरीय प्रशासन आयुक्त संजय शुक्ला को भी काफी समय बीत गया है। यही स्थिति उच्च शिक्षा आयुक्त वीएस निरंजन की है और वे भी अपना विभाग बदलवाने के पक्ष में हैं। ऊर्जा विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे मोहम्मद सुलेमान भी कमिश्नर बनने के इच्छुक हैं। साथ ही आयुक्त उद्योग तथा एमडी ट्रायफेक, एमडी लघु उद्योग निगम, राज्य शिक्षा केंद्र आयुक्त सहित मध्य एवं पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण के सीएमडी की जिम्मेदारी संभाल रहे अफसरों का भी बदला जाना तय माना जा रहा है। सबसे ज्यादा दबाव इंदौर कमिश्नर की पोस्टिंग को लेकर बनाए जाने की चर्चा है और यह फेरबदल नए मंत्रिमंडल के गठन के बाद होगा। बीच में दो बार बदलने की अटकलों के बाद भी नहीं बदले गए पीएस लोक निर्माण केके सिंह के पास भी यह विभाग 21 अप्रैल 2010 से हैं, जबकि काफी सीनियर हो चुके जबलपुर कमिश्नर दीपक खांडेकर का भी बदला जाना पक्का माना जा रहा है। वे 1985 बैच के आईएएस हैं, जबकि उनसे जूनियर सीएम सचिवालय के अलावा अन्य विभागों में महत्वपूर्ण जबावदारी संभाल रहे हैं। इसके अलावा प्रशासनिक की नए सिरे से जमावट करने के लिए भी सीएम को कुछ ऐसे अफसरों को जिम्मेदारी देनी होगी, जिनका तालमेल नए मंत्रियों से बैठ सके। जैसे महिला एवं बाल विकास मंत्री कौन बनता है। वैसे इस विभाग के पीएस बीआर नायडु भी 23 अगस्त 2010 से विभाग का काम संभाल रहे हैं। मप्र के अफसरों का बढ़ेगा मान मध्य प्रदेश में सत्ता कांग्रेस की रही हो या भाजपा की यहां हमेशा से ही बिहारी,पंजाबी,उडिय़ा और उत्तर प्रदेश लॉबी के नौकरशाहों का राज रहा है। सत्ता के प्रति इस लॉबी का समर्पण भाव हर कोई जानता है तथा इस लॉबी के लिए यह भी प्रचारित है कि अगर इस लॉबी के नौकरशाह ठान लें तो किसी भी सरकार का बोरिया-बिस्तर बंधवा दें। शायद यह बात शिवराज जानते हैं इसलिए उनकी ड्रीम टीम में हर प्रदेश के नौकरशाह शामिल है। फिर भी उनके कार्यकाल में मप्र के मूल निवासी आईएएस अफसरों को सबसे अधिक महत्व मिलता रहा है। और इस बार की सर्जरी में भी यहां के अधिकांश अफसरों की मैदानी जमावट की जाएगी,ताकि लोकसभा चुनाव में मद्देनजर ये अफसर यहां के लोगों के साथ सामंजस्य बिठा सकें। मप्र के मूल निवासी आईएएस अफसरों में केएम आचार्य, राकेश बंसल, विनय शुक्ला, डीआरएस चौधरी, आईएस दाणी, स्वर्णमाला रावला, अजीता वाजपेयी, स्नेहलता श्रीवास्तव, जयदीप गोविंद, रजनीश वैश्य, राधेश्याम जुलानिया, दीपक खाण्डेकर,प्रभाकर बंसोड़, मनोज श्रीवास्तव, शिखा दुबे, संजय बंदोपाध्याय, अनुराग जैन, एसडी अग्रवाल, राजेश राजौरा, मलय श्रीवास्तव, एसके वेद, मधु हाण्डा, पीके पाराशर, मनोज गोविल, सतीश चंद्र मिश्रा, विश्वमोहन उपाध्याय, अरुण तिवारी, एसके मिश्रा, सुधा चौधरी, पंकज अग्रवाल, केसी गुप्ता, रघुवीर श्रीवास्तव, ओमेश मूंदड़ा, प्रदीप खरे, सीमा शर्मा, अरुण पाण्डेय, वीके बाथम, वीके कटेला, नीरज मण्डलोई, हीरालाल त्रिवेदी, अंजू सिंह बघेल, एसबी सिंह, राकेश श्रीवास्तव (छग), अरुण भट्ट, हरिरंजन राव, मनीष रस्तोगी, चंद्रहास दुबे, एसके पॉल, अरुण कोचर, जेएस मालपानी, सूरज डामोर, सचिन सिन्हा, अशोक शिवहरे, रामकिंकर गुप्ता, डीडी अग्रवाल, राजकुमार माथुर, भरत व्यास, सुभाष जैन, डीपी अहिरवार, संजीव झा, अमित राठौर, अजातशत्रु श्रीवास्तव, विजय कुरील, राजकुमारी खन्ना, शिवानंद दुबे, पीजी गिल्लौरे, राजकुमार पाठक, जगदीश शर्मा, रामअवतार खण्डेलवाल, मनीष सिंह, राघवेन्द्र सिंह, मधु खरे, जीपी श्रीवास्तव, केके खरे, एसएन शर्मा, विनोद बघेल, गीता मिश्रा, आकाश त्रिपाठी, केपी राही, राजेन्द्र शर्मा, महेन्द्र ज्ञानी, पुष्पलता सिंह, एसएस बंसल, जीपी कबीरपंथी, आरपी मिश्रा, उर्मिला मिश्रा, अनिल यादव, शशि कर्णावत, केदार शर्मा, संतोष मिश्रा, योगेन्द्र शर्मा, रजनी उईके, शोभित जैन, विवेक पोरवाल, कवीन्द्र कियावत, एमके अग्रवाल, सुनीता त्रिपाठी, मनोहर दुबे, शिवनारायण रूपला,जयश्री कियावत, एसपीएस सलूजा, नीरज दुबे, अशोक सिंह, केसी जैन, एसएस कुमरे, नवनीत कोठारी, चतुर्भुज सिंह, बृजमोहन शर्मा, निशांत बरबड़े, लोकेश जाटव, राहुल जैन, डीएस भदौरिया, श्रीमन शुक्ला, एसके सिंह, भरत यादव, विशेष गढ़पाले आदि शामिल हैं। सरकार की नीति से नौकरशाही में गुटबाजी जनवरी में होने वाली संभावित प्रशासनिक सर्जरी में सरकार को क्षेत्रीय संतुलन का ध्यान रखना होगा। क्योंकि वर्तमान में नौकरशाही में असंतोष है। राज्यवार विभिन्न लॉबियों में बंटी प्रदेश की नौकरशाही में असंतोष की पहली वजह है मप्र लॉबी का सरकार में बढ़ता वर्चस्व। मप्र में संभवत: पहली बार प्रशासनिक सत्ता दूसरे राज्यों के निवासी नौकरशाहों के हाथों से निकलकर मप्र में पले-बढ़े और पढ़े-लिखे नौकरशाहों के हाथों में आ रही है। अब तक प्रदेश में बिहारी, उडिय़ा, पंजाबी और उत्तर प्रदेश लॉबी का राज था और इन्हीं लॉबियों के अधिकारी सरकार के सबसे अहम पदों पर पदस्थ किए जाते थे, लेकिन लंबे समय बाद इस स्थिति में बदलाव आया है। सरकार में टॉप टू बॉटम के ज्यादातर अहम पदों पर मप्र,राजस्थान और उत्तर प्रदेश लॉबी के अफसर जमे हुए हैं। मप्र कैडर में प्रमुख सचिव और इससे अधिक वेतनमान के कुल 87 आईएएस अधिकारी हैं। इनमें 33 प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली में केन्द्र सरकार को अपनी सेवाएं दे रहे हैं। दो प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी अरविंद जोशी और टीनू जोशी सस्पेंड हैं। बाकी बचे 52 अधिकारियों को सरकार ने उनके कामकाज के अलावा क्षेत्रवाद के पैमाने और वरिष्ठ भाजपा नेताओं की सिफारिशों पर पदस्थ किया है। सरकार के 54 विभागों में इन्हें एडजस्ट किया गया। हालांकि कई प्रमुख विभागों की कमान अब भी दूसरी लॉबियों के अफसरों के हाथों में हैं, लेकिन यह सरकार की मजबूरी है, क्योंकि प्रदेश में मप्र के निवासी वरिष्ठ अधिकारियों की भारी कमी है। इस कारण फील्ड में कमिश्नर-कलेक्टर जैसे अहम पदों पर मप्र के अफसरों की बिठाया गया है। नए साल में प्रमोट होगे तीन दर्जन आईएएस नया साल आते ही सरकार 35 आईएएस अफसरों को प्रमोशन देने की तैयारी में जुट गई है। यह प्रमोशन पीएस से एसीएस, सचिव से पीएस, अपर सचिव से सुपर टाइम स्केल तथा जूनियर अफसरों को वरिष्ठ एवं प्रवर श्रेणी वेतनमान के पदों पर दिया जाएगा और इसके लिए डीपीसी जनवरी 2014 के पहले सप्ताह में होने की संभावना है, जबकि पीएस से एसीएस के एक रिक्त हुए पद पर प्रमोशन देने डीपीसी जल्द हो सकती है, वहीं सचिव से पीएस के पदों पर प्रमोशन के लिए अफसरों को अभी इंतजार करना होगा। दिल्ली में विशेष आवासीय आयुक्त के पद पर पदस्थ 79 बैच की आईएएस स्नेहलता कुमार की सेवाएं केन्द्र में प्रतिनियुक्ति पर सौंप दिए जाने से एसीएस का एक पद रिक्त हो गया है। इस रिक्त पद पर प्रमोशन देने के लिए डीपीसी इसी माह के अंत तक होने की संभावना है और एसीएस का प्रमोशन पाने 79 बैच के दो तथा 82 बैच के दो आईएएस कतार में हैं। वैसे 79 बैच के अफसरों को प्रमोशन मिलने में कठिनाई होगी, मगर 82 बैच के आईएएस एसीएस बन सकते हैं। उधर, सचिव से प्रमुख सचिव के पद पर प्रमोशन देने के लिए पद रिक्त नहीं हैं। वर्तमान में पीएस के कैडर में 19 तथा नॉन कैडर में 19 पद स्वीकृत होने की वजह से 38 पदों की अपेक्षा 42 पर पीएस पदस्थ हैं फिर भी अधिकारी 91 बैच के आईएएस प्रमोशन पाने के लिए लॉबिंग कर रहे हैं। वैसे सरकार ने कुछ महीने पहले ही 90 बैच के अफसरों को पीएस बनाया है। यानी वर्ष 2013 में 89 तथा 90 बैच एक साथ प्रमोट हुआ है। 2001 बैच के जिन आईएएस अफसरों को प्रवर श्रेणी वेतनमान का लाभ मिलना हैं, उनमें डा. नवनीत कोठारी, पी नरहरि, लक्ष्मीकांत द्विवेदी, सीबी सिंह, अखिलेश श्रीवास्तव, एमबी ओझ, एनएस भटनागर, एनपी डहेरिया तथा आशुतोष अवस्थी का नाम हैं, जबकि लक्ष्मीकांत द्विवेदी के खिलाफ वर्तमान में विभागीय जांच लंबित है। वरिष्ठ श्रेणी वेतनमान जिन अधिकारियों उनमें 2010 बैच के आईएएस अनय द्विवेदी, तन्वी एस बहुगुणा, तरुण राठी, जीएस मिश्रा, अभिजीत अग्रवाल, कर्णवीर शर्मा, के विक्रम सिंह, अनुराग चौधरी, भास्कर लक्षाकार, आशीष सिंह तथा संमुगा प्रिया आर का नाम शामिल है। 1998 बैच के आईएएस एवं इंदौर कलेक्टर आकाश त्रिपाठी, एमके गुप्ता, केन्द्र में प्रतिनियुक्ति पर जा चुके निकुंज श्रीवास्तव, केपी राही अपर आयुक्त रीवा, राजेन्द्र कुमार शर्मा उपसचिव खनिज, महेन्द्र ज्ञानी एमडी मंडीबोर्ड, पुष्पलता सिंह, एसएस बंसल अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, जीपी कबीरपंथी, राजेश मिश्रा तथा उर्मिला मिश्रा अपर सचिव से सुपरटाइम स्केल सचिव के पद पर प्रमोट हो जाएंगे। बाक्स आईपीएस अधिकारियों के प्रमोशन में अडंगा 84 बैच के आईपीएस अधिकारियों को पुलिस महानिदेशक बनने के मंसूबे पर करारा झटका लगा है। गृह विभाग ने प्रमोशन के लिए 30 साल की सेवा का को अनिवार्य कर दिया है। इससे दिसंबर में प्रमोशन देने होने वाली डीपीसी अब जनवरी 2014 में कराई जाएगी। वर्तमान में डीजी के दो पद रिक्त हैं। उल्लेखनीय है कि अधिकारी 29 साल की सेवा पूरी होने पर ही डीजी बनना चाहते थे, जबकि नियम में 30 साल की सेवा पूरी करने पर ही डीजी बनाया जा सकता है। जिस तेजी से अफसरों ने प्रमोशन के लिए गृह विभाग पर दबाव बनाया था, उसी तेजी से उन्हें झटका भी लगा है। वैसे प्रमोशन के लिए गृह विभाग ने निर्वाचन आयोग से अनुमति भी ले ली, लेकिन अब डीपीसी जनवरी 2014 में होगी। प्रदेश में आईपीएस कैडर में पुलिस महानिदेशक के तीन पद कैडर में तथा तीन पद नॉन कैडर में स्वीकृत हैं। इसके तहत डीजीपी पुलिस, डीजीपी होम गार्ड, डीजीपी पुलिस हाउसिंग में चेयरमेन का पद हैं, जबकि नॉन कैडर में डीजी लोकायुक्त, डीजी ईओडब्ल्यू तथा डीजी जेल के पदों पर पदस्थापना की जा सकती है। वर्तमान में डीजी लोकायुक्त तथा डीजी होमगार्ड का पद रिक्त है। इन दोनों पदों पर पदोन्नति पाने के लिए दौड़ में 84 बैच के पांच आईपीएस शामिल हैं। वैसे तत्कालीन एडीजी रहे विवेक जौहरी के केन्द्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर चले जाने की वजह से चार ही अफसर बचते हैं और डीजी बनने के लिए इन्होंने काफी भाग-दौड़ करते हुए निर्वाचन आयोग से डीपीसी कराने की अनुमति भी गृह विभाग को दिलवा दी, लेकिन अब इन्हें गृह विभाग से करारा झटका लगा है। क्योंकि कोई भी आईपीसी 30 साल की सेवा पूरी करने पर ही डीजी के पद पर प्रमोट हो सकता है। इसके पहले नहीं, जबकि इन अफसरों को अभी सेवा में आए 29 साल ही पूरे हुए हैं। डीजी बनने की दौड़ में एडीजी एसएएफ वीके सिंह, एडीजी रेल एमएस गुप्ता, एडीजी एवं परिवहन आयुक्त संजय चौधरी तथा डीजी के पद पर काम संभाल रहे डीजी लोकायुक्त सुखराज सिंह का नाम शामिल है। इन अफसरों ने डीजी बनने के लिए गृह विभाग पर इतना दबाव बनवाया कि विभाग भी प्रमोशन देने के लिए तैयार हो गया, लेकिन जब डीजी के पद पाने के लिए केटेगिरी यानी योग्यता देखी गई तो पता चला कि आईपीएस की नौकरी में आने के 30 साल बाद ही कोई अफसर डीजी बन सकता है। वैसे यह चारों अफसर 17 दिसंबर 1984 को आईपीएस सेवा में आए थे। इस हिसाब से दिसंबर 2013 तक इनकी सरकारी सेवा 29 वर्ष की पूर्ण हो रही है और 30 साल पूरी होने में अभी एक साल बकाया है। यानी 17 दिसंबर 2014 को इन आईपीएस अफसरों की सेवा 30 साल की पूरी होगी।

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