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भेड़ाघाट

Monday, February 22, 2010

नर्मदा पर बांध से पर्यावरण को नुकसान

नर्मदा पर बांध से पर्यावरण को नुकसान

भारत सरकार द्वारा गठित एक समिति की रिपोर्ट के मुताबिक सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड, गुजरात सरकार व नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र सरकार द्वारा शर्तों के घोर उल्लंघन के चलते पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है।

भारत सरकार के पर्यावरण व वन मंत्रालय ने, नर्मदा घाटी में सरदार सरोवर और इन्दिरा सागर जैसे विवादास्पद बांधों के सुरक्षा उपायों को ध्यान में रखते हुए, भारतीय वन सर्वेक्षण के पूर्व महानिदेशक डाक्टर देवेन्द्र पाण्डेय की अध्यक्षता में 10 सदस्यों की एक विशेष समिति नियुक्त की थी। इस समिति ने अब दोनों बांध परियोजनाओं के सुरक्षा उपायों से जुड़े अपने सर्वेक्षण और अध्ययन की दूसरी अन्तरिम रिपोर्ट मंत्रालय को पेश की है, जिसमें जलग्रहण-क्षेत्र ट्रीटमेंट, लाभ-क्षेत्र विकास, वहन-क्षमता, क्षतिपूरक-वनीकरण, जीव-जन्तुओं और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असरों से संबंधित कई चौंकाने वाले तथ्य उजागर हुए हैं। साथ ही ऐसे कई अहम पर्यावरण पहलुओं को भी प्रकाशित किया गया है, जिनका अनुपालन नहीं हुआ है।

इस रिपोर्ट के मुताबिक सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड, गुजरात सरकार व नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र सरकार द्वारा शर्तों के घोर उल्लंघन के चलते पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है। सरदार सरोवर और इन्दिरा सागर बांध परियोजनाओं को 1987 में सशर्त पर्यावरणीय मंजूरी मिलने के 23 साल बाद भी इन सबका अनुपालन नहीं हुआ है। जब तक ऐसा नहीं होता तब तक लाभों की प्राप्ति, टिकाऊ प्रवाह, पर्यावरणीय लागत और क्षति का न्यूनीकरण या हानिपूर्ति सम्भव नहीं है।

समिति ने सुझाव दिया है कि इन दोनों परियोजनाओं के जलाश्य को तब तक नहीं भरा जाए जब तक कि इनके जलग्रहण-क्षेत्र का पूरी तरह ट्रीटमेंट न हो जाए, जब तक कि जीव-जन्तुओं के संरक्षण के लिए मास्टर प्लान तैयार करने और वन्य जीवन अभ्यारण्य तैयार करने सहित बची हुई बहुत सारी आवश्यकताएं पूरी न हो जाएं। समिति मानती है कि नहर के नेटवर्क निर्माण का काम और आगे न किया जाए और यहां तक कि मौजूदा नेटवर्क से भी सिंचाई की अनुमति तब तक न दी जाए जब तक कि जल प्रबंध के अलावा लाभ-क्षेत्र के विभिन्न पर्यावरणीय मानदण्डों का पालन साथ-साथ न पाए। यह रिपोर्ट केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय द्वारा 11,000 करोड़ रुपये (6777 करोड़ रुपये सरदार सरोवर परियोजना की नहरों के लिए और 4,000 करोड़ रुपये सरदार सरोवर के लाभ-क्षेत्र विकास के लिए) दिये जाने के निर्णय पर भी गंभीर सवाल उठाती है, जिसे अभी तक अंतिम रूप से मंजूरी नहीं दी गई है।

गौर करने लायक बात यह है कि गुजरात सरकार सरदार सरोवर बांध में 17 मीटर ऊंचे गेट लगाकर ऊंचाई को 122 मीटर से बढ़ाकर 138.68 मीटर करने की राजनैतिक मांग कर रही है, जबकि रिपोर्ट का सुझाव इसके बिल्कुल विपरीत है। दूसरी तरफ नर्मदा बचाओ आन्दोलन ने न केवल बहुत सारे पर्यावरणीय उपायों के उल्लंघन को उजागर किया है बल्कि कई पुनर्वास के फर्जीवाड़ों का भी पर्दाफाश किया है। नर्मदा बचाओ आन्दोलन की रिपोर्ट कहती है कि सरदार सरोवर के डूब क्षेत्र में 2 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं, जबकि हजारों आदिवासी परिवारों ने अपनी जमीन और घरों को खो दिया है, फिर भी उनका पुनर्वास नहीं हुआ है।

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