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भेड़ाघाट

Wednesday, February 24, 2010

मोहंती पर सरकार ने कसा शिकंजा


सात अरब के घोटाले के आरोपी के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश

औद्योगिक विकास निगम में हुए लगभग सात सौ चौदह करोड़ के घोटाले में फंसे तत्कालीन प्रबंधक एसआर मोहंती पर राज्य सरकार ने शिकंजा कसते हुए विभागीय जांच के आदेश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित रहने के कारण मंत्रालय में लगभग तीन वर्ष से लंबित इस प्रकरण में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हस्ताक्षर करते हुए विभागीय जांच की अनुंशा कर समयसीमा में रिर्पोट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।
उल्लेखनीय है कि औद्योगिक विकास निगम के तत्कालीन प्रबंध संचालक एसआर मोहंती ने बिना किसी नियम का पालन करते हुए देशभर की लगभग 177 कंपनियों को 714 करोड़ का ऋण बांट दिया था। इस मामले में 30.11.1998 को तत्कालीन प्रबंधक संचालक एमपी राजन ने संचालक मंडल की बैठक में यह प्रस्ताव भी पारित कराया था कि एमपीएसआईडीसी किसी भी संस्थान से 175 करोड़ के स्थान पर 500 करोड़ तक की सहायता राशि प्राप्त करें। शासन द्वारा इस प्रस्ताव के संबंध में आपत्ति भी की गई। लेकिन इन अधिकारियों ने जानबूझकर प्रस्ताव के संबंध में शासन को गुमराह करते हुए किसी तरह का अनुमोदन नहीं लिया और न ही कार्पोरेट डिपाजिट दिए जाने के लिए कोई नियम ही बनाए। इस तरह अल्प अवधि के लिए दिये जाने वाले डिपाजिट (एक वर्ष से कम अवधि के लिए) को प्रबंध संचालक द्वारा तीन वर्ष एवं पांच वर्ष तक की अवधि में तब्दील कर एमपीएसआईडीसी के तात्कालीन प्रबंध संचालक एमपी राजन एवं एसआर मोहंती ने अनाधिकृत रूप से डिपाजिट प्राप्त किया एवं उसे आईसीडी के रूप में वितरित कर दिया। जबकि प्रस्ताव में यह पारित कराया गया था कि एमपीएसआईडीसी के सरप्लस फंड का उपयोग किया जाएगा। प्रबंध संचालकों ने कार्पोरेट डिपाजिट के रूप में वितरित की जाने वाली राशि बिना सिक्योरिटी जमा कराए ही वितरित कर दी। जिसमें इस तथ्य को भी नजर अंदाज किया गया कि उपरोक्त राशि वापस होने की संभावना है या नहीं। घोटाला उजागर होने पर सरकार ने एमपीएसआईडीसी द्वारा जिन 42 कम्पनियों को आईसीडी की राशि वितरित की गई उसका मूल रिकॉर्ड जब्त किया गया एवं 23 अधिकारियों / कर्मचारियों से पूछताछ कर कथन भी लिए गए थे। मामले में तात्कालीक चेयरमैन और दोनों पूर्व प्रबंध संचालकों के अलावा जिन कंपनियों को ऋण वितरित किया गया उनमें से 17 कम्पनियों के संचालकों से पूछताछ की जा चुकी है। तत्कालीन मुख्यमंत्री उमाभारती ने लगभग सात अरब रुपए के घोटाले पर कार्रवाई करने के निर्देश देते हुए आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में प्रकरण दर्ज कराया। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने प्रकरण क्रमांक 25/04 अंडरसेक्शन 409, 420, 467, 468, 120 बी, 13 (आई) (डी) आरडब्ल्यू 13 (आईआई) पीसी-एसीटी का समावेश कर श्री मोहंती के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की। इस मामले में मुख्य सचिव विजय सिंह के दबाब में सामान्य प्रशासन विभाग ने उपसचिव सामान्य प्रशासन विभाग के माध्यम से माननीय उच्च न्यायालय में 18 जनवरी 06 को हलफनामा प्रस्तुत किया। इस मामले में एसआर मोहंती ने हलफनामा प्रस्तुत करने के दिन 18 जनवरी 06 ही माननीय उच्च न्यायालय में आवेदन लगाकर जल्दी सुनवाई करने का निवेदन किया। राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा श्री मोहंती के पक्ष में हलफनामा प्रस्तुत करने से उच्च न्यायालय ने भी मोहंती के पक्ष में निर्णय दिया। न्यायालय द्वारा अरबों रुपए के घपले में फसे सुधी रंजन मोहंती को क्लीन चिट देने की जानकारी जब समाचार पत्रों द्वारा प्रमुखता से प्रकाशित हुई तब मुख्यमंत्री ने अपना स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि उन्हें अंधेरे में रखते हुए शपथपत्र तैयार कर न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। बताया जाता है कि इस अरबों रुपए के घोटाले में प्रदेश के तत्कालीन मुख्य सचिव ने बिना मुख्यमंत्री को विश्वास में लिए ही उच्च न्यायालय में शपथपत्र प्रस्तुत कराया था। इससे खिन्न होकर मुख्यमंत्री ने तत्कालीन मुख्य सचिव को बुलाकर अप्रसंन्नता व्यक्त करते हुए नाराजगी जाहिर की और मुख्य सचिव बदल दिया। चूंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इसके चलते हो रही देरी को ध्यान में रखते हुए शासन ने आदेश देकर श्री मोहंती के विरुद्ध पुन: कार्रवाई आरंभ करने कि निर्देश दिए हैं।
कम्पनियों को वितरित ऋण की सूची
1. एस. कुमार पॉवर कार्पोरेशन 4475.00 लाख, 2. मोडक रबर एंड टेक्सरीज 325.00 लाख, 3.प्रोग्रेसिव इक्सटेंशन एंड एक्सपोर्ट 675.00 लाख, 4. सूर्या एग्रो लिमि. 1475 लाख, 5. एलपिन इंडस्ट्रीज लिमि. 2845 लाख, 6. स्नोकम इंडिया लिमि. 2800 लाख, 7. किलिक निक्सोन लिमि. 1500 लाख, 8. स्टील ट्यूब ऑफ इंडिया लिमि. 1700 लाख, 9. एसटीआई प्रोड्क्स 800 लाख, 10. सोम डिस्टलरीज लिमि. 1475 लाख, 11. सोम डिस्टलरीज एंड बेवरीज 700 लाख, 12. सोम पॉवर लिमि. 200 लाख, 13. सिद्धार्थ ट्यूब्स लिमि.1450 लाख, 14. भानू आयरन एंड स्टील कम्पनी 1000 लाख, 15. रिस्टसपिन साइट्रिक्स लिमि. 1100 लाख, 16 आईसर आलोयस एंड स्टील 1050 लाख, 17. आइसर एग्रो लिमि. 200 लाख, 18. हेरीटेज इंवेस्टमेंट 70 लाख, 19. आइसर फाइनेंस प्राइवेट लिमि. 250 लाख, 20. एईसी इंटरप्राइज लिमि. 1010 लाख, 21. एईसी इंडिया लिमि. 150 लाख, 22. राजेंद्र स्टील लिमि. 855 लाख, 23. भास्कर इंडस्ट्रीज लिमि. 669.50 लाख, 24. अर्चना एयरवेज लिमि. 300 लाख, 25. माया स्पिनरर्स 200 लाख, 26. गजरा बेवल गेयर्स 100 लाख, 27. बीएसआई लिमि. 100 लाख, 28. पसुमाई ऐरीगेशन 50 लाख, 29. जीके एक्जिम 2400 लाख, 30. गिल्ट पैक लिमि. 150 लाख। कुल- 30074.50 लाख। 1. एनबी इंडस्ट्रीज लिमि. 3000 लाख, 2. सूर्या एग्रो आइल्स लिमि. 1500 लाख, 3. फ्लोर एंड फूड्स लिमि. 40 लाख, 4. स्टील ट्यूब्स ऑफ इंडिया लिमि. 878.11 लाख, 5. एसटीआई प्रोड्क्स लिमि. 155 लाख, 6. एसटीएल एक्सपोर्ट लिमि. 165.86 लाख, 7. भानू आयरन एंड स्टील कम्पनी 440 लाख, 8. जमुना ऑटो इंडस्ट्रीज 400 लाख, 9. वेस्टर्न टोबेको 350 लाख, 10. सरिता साफ्टवेयर इंडस्ट्रीज 300 लाख, 11. केएन रिसोर्सेज 27.01 लाख, 12. इटारसी ऑयल एंड फ्लोर्स लिमि. 126.13, 13. गजरा बेवल गेयर्स 50 लाख, 14. गरहा यूटीब्रोक्सेस लिमि. 134.55 लाख, 15. बैतूल आयल एंड फ्लोर्स 80 लाख, 16. पोद्दार इंटरनेशनल 72.60 लाख, 17. महामाया स्टील 100 लाख। कुल-7819.26 लाख।

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