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भेड़ाघाट

Saturday, May 3, 2014

मंडी में ही सड़ जाएगा 22 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा गेहूं

100 लाख मीट्रिक टन गेंहू खरीदी का लक्ष्य
गेंहू रखने के लिए पर्याप्त गोदाम और वेयर हाउस नहीं
भोपाल। फरवरी-मार्च में हुई बारिश और ओलावृष्टि से प्रदेश के 51 जिलों के 30,000 गांवों की फसल बर्बाद होने के बाद अब प्रदेश भर की मंडियों में खुले में पड़े गेंहू के बारिश में भींगने और सडऩे की संभावना बढ़ गई है। क्योंकि प्रदेश में बेमौसम की बारिश पडऩे का सिलसिला शुरू हो गया है। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि आने वाले समय में आंधाी के साथ वर्षा होगी। इससे प्रदेश की मंडियों में खुले में पड़ा करीब 22 लाख मीट्रिक टन गेंहू के भींगने और सडऩे की आशंका जताई जा रही है। प्रदेश की सभी 292 मंडिय़ों में सोसायटियों द्वारा किसानों का गेहूं खरीदा जा रहा है, जिसे केंद्रों से उठाने की जिम्मेदारी नगरिक आपूर्ति निगम की है। निगम द्वारा समय पर गेहूं नहीं उठाने से हर मंडी में सैकड़ों या हजारों क्विंटल गेंहू खुले में पड़ा है। इस गेहूं के बेमौसम बारिश की वजह से खराब होने की आशंका बन गई है। पिछले एक सप्ताह से मौसम खराब चल रहा था, परंतु गेहूं उठाने की चिंता किसी में नहीं दिखी। सोसायटी मैनेजरों का कहना है की हमारा काम खरीदने का है, माल उठाने का काम आपूर्ति निगम का है। भोपाल जिला आपूर्ति निगम के जिला प्रबंधक राजेन्द्र यादव ने बताया कि हमने काम सोना ट्रांसपोर्ट को दे रखा है। लगभग 150 गाडियां उठाने में लगी हैं। चुनाव के कारण हम गेहूं नहीं उठवा पाए थे एक दो दिन में उठावा लेंगे। वेयर हाउस मैंनेजर एसके जैन ने बताया कि हमने सभी वेयर हाउस खोल रखे हैं, परंतु ट्रांसपोर्ट संचालक कम गाडियां चला रहे हैं इसलिए माल उठाने में देरी हो रही है। 18 अप्रैल को अचानक हुई तेज बारिश से कई केंद्रों में रखा हुआ हजारों टन गेहूं पानी में भीग गया। हर साल की इस तरह आग-बारिश का अंदेशा रहता है, लेकिन इसके बावजूद खरीद केंद्रों में बचाव के पर्याप्त उपाए नहीं किए गए हैं। इससे यहां पहुंचने वाले किसानों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ा। प्रदेश में पिछले माह हुई जोरदार बारिश से फसलों का उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। सोयाबीन, चना और गेहूं में हुए नुकसान के बाद जिन किसानों की थोड़ी बहुत उपज बची हुई है, वह भी प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के चलते खराब हो सकती है। प्रदेश के कई इलाकों में हो रही बारिश को देखते हुए किसानों ने अपने खेतों में कटाई का तेज कर दिया है। वहीं जिन किसानों ने अपनी फसलें काट ली हैं, वह खरीदी केंद्रों में पहुंचने लगे हैं। प्रशासन द्वारा समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी तो की जा रही है, लेकिन उसके सुरक्षित भंडारण के काम में लापरवाही बरती जा रही है।
पर्याप्त वेयर हाउस नहीं प्रदेश में 100 लाख मीट्रिक टन गेंहू खरीदी का लक्ष्य रखा गया है,लेकिन इनको रखने के लिए पर्याप्त वेयर हाउस और गोदाम नहीं है। एक जिले में खरीदे जा रहे गेंहू को रखने के लिए कम से कम 60 से 80 वेयर हाउस चाहिए,लेकिन व्यवस्था हो पाई है 30-40 की ही। हालांकि अधिकांश जिलों में जिला प्रशासन द्वारा गेहूं की खरीदी के लिए केंद्रों में वारदानों की पर्याप्त व्यवस्था करा ली गई है, ताकि खरीदी प्रभावित न हो सके। मगर कई केंद्रों में अनाज के हिसाब से बरसाती की व्यवस्था तक नहीं की गई है। नागरिक आपूर्ति निगम जिला सागर के प्रबंधक एमपी मिश्रा बताते हैं कि में अब तक करीब साढ़े 7 लाख क्विंटल से ज्यादा गेहूं की खरीदी हो चुकी है और प्रतिदिन 60 हजार क्विंटल गेहूं का उठाव किया जा रहा है। अब तक कुल खरीदी का 82 प्रतिशत माल का भंडारण हो चुका है। मौसम को देखते हुए पहले केंदों के बाहर रखे हुए माल को अंदर किया जा रहा है, जिस कारण थोड़ी परेशानी हुई होगी। रतलाम जिले के कुछ क्षेत्रों में गत दिनों हुई मावठे की बारिश के बावजूद रतलाम मंडी में समर्थन मूल्य पर खरीदा गया गेंहू खुले में ही रखा हुआ है। परिवहन व्यवस्था की कमजोरी के कारण यह स्थिति निर्मित हो रही है। मंडी में अभी तक एक लाख चौसठ हज़ार से ज्यादा बोरी गेंहू की अभी तक खरीद हुई है। लेकिन इनमें से गोदामो में कुल एक लाख बारह हज़ार बोरी ही पहुचाई जा सकी है। पचास हज़ार से ज्यादा बोरी अभी भी मंडी के अन्दर खुले में ही रखी है।
कई मंडियों में अनाज तौलने तक की जगह नहीं
नागरिक आपूर्ति निगम की सरकारी खरीद योजना के अंतर्गत मंडी में गेंहू की भरपूर आवक हो रही है। यही हाल प्रदेश की अन्य मंडियों का भी है। किसानों की आफत कम नहीं हो रही है। अब वे अपना अनाज बेचने के लिए परेशान हो रहे हैं। समर्थन मूल्य खरीदी केंद्रों में किसानों की भीड़ है, पर अनाज नहीं तुल रहा। जिससे उन्हें केंद्र के आसपास खेतों में रात बिताना पड़ रही है। विदिशा जिले के ग्राम सौंथर, सांकलखेड़ा कला, सांकलखेड़ा खुर्द आदि खरीदी केंद्रों में बड़ी संख्या में किसान अपने अनाज की तुलाई का इंतजार कर रहे हैं। बताया जाता है अनाज मंडियों में गेंहू की भारी मात्रा होने और समय पर गेंहू की बोरियों के न उठने से किसानों और आढ़तियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अनाज मंडी में चारों और गेहू की फसल के ढेर ही ढेर लगे हुए हैं। अनाज मंडी में सरकारी एजेंसियों द्वारा खरीद की गई गेंहू की बोरियों का उठान न होने से पूरी मंडी भरी पड़ी है। किसानों और आढ़तियों में जिला प्रशासन और सरकार के खिलाफ भारी रोष है। यही नहीं कई जगह तो बरसात के कारण अनाज मंडी में पड़ा गेंहू भींग रहा है और बरसात के कारण गेंहू में नमी बढ़ जाने से किसानों के गेंहू की खरीद नहीं की जा रही है। गेंहू के उठान के न होने से किसानों का और सरकार द्वारा खरीदा गया गेंहू भींग कर खऱाब हो रहा है। अनाज मंडी में गेंहू की फसल लेकर आए एक किसान ने बताया कि पिछले कई दिनों से अपनी गेंहूू की फसल को अनाज मंडी में लाए हुए हैं लेकिन उनकी गेंहू की फसल खरीदी नहीं जा रही। अनाज मंडी में गेंहू की बोरियों के उठान न होने के कारण अनाज मंडी चारों और से ठसाठस भरी पड़ी है और किसानों को अपनी गेंहू की फसल को अनाज मंडी में डालने के लिए कोई जगह नहीं मिल रही। विदिशा जिले के ग्राम सौंथर में अंडिया, करैया, रोड़ा, भाटखेड़ी, सतपाड़ा, करारिया आदि गांव के किसान परेशान हो रहे हैं। ग्राम भाटखेड़ी के किसान रामबाबू शर्मा, बृजेश आदि ने बताया कि केंद्र में तुलाई के लिए चार कांटे लगे हैं, लेकिन तुलाई बंद है। केंद्र में बारदाना नहीं है। समिति कर्मचारी कहते हैं कि जब तक तुला हुआ माल नहीं उठेगा, तब तक तुलाई नहीं होगी। ऐसी ही नौबत ग्राम सांकलखेड़ाकला एवं सांकलखेड़ा खुर्द के केंद्रों में है। किसानों ने बताया कि सांकलखेड़ा कला में दो तुलाई कांटे हैं, पर बारदाना नहीं होने से अनाज नहीं तुल रहा है। ग्राम खेरूआ, कोठीचारखुर्द, चिड़ोरिया, सूखासेमरा, बमूरिया आदि गांवों के किसान अनाज बेचने के लिए खरीदी केंद्रों के आसपास खेतों में रूके हुए हैं। किसानों ने बताया कि ग्राम सांकलखेड़ा खुर्द केंद्र के तौल कांटों पर भी अनाज की तुलाई नहीं हो रही है। जिससे वे कई दिनों से परेशान हो रहे हैं। उधर,सहायक जिला खाद्य अधिकारी जीएस रघुवंशी के मुताबिक बारदानों की सिलाई न होने से माल नहीं उठ पाया है। कुछ केंद्रों पर गठानें भेजी गई है। केद्रों में तौल कांटे बंद रहने की सूचना नहीं है।
गोदामों में भी सड़ता है अन्न मध्यप्रदेश में जहां हजारों बोरी गेंहू बिना किसी रखरखाव से सड़ता ही है,वहीं यहां के गोदामों में भी हर साल हजारों टन अन्न सड़ जाता है। प्रदेश सरकार बड़ी शान से सीना चौड़ा कर बताती है कि उसने इस साल सबसे ज्यादा गेंहू खरीदा है। पर पिछले दिनों एकाएक आई बरसात ने इस गर्व भरे दावे को 'सड़ाÓ दिया। प्रदेश के इटारसी, होशंगाबाद, पिपरिया, सीहोर, नरसिंहगढ़, हरदा जैसे छोटे शहरों में लाखों टन अनाज अस्थाई शेड में रखा-रखा सड़ जाता है। अनाज सडऩे की यह प्रक्रिया गम्भीर अपराध की श्रेणी में नहीं आती, परिणामत: किसी भी अधिकारी कर्मचारी को इस बात की चिन्ता नहीं करनी पड़ती की उसे कोई सजा कभी मिल पाएगी। सरकारें अनाज सडऩे के मामले को एक सहज वृत्ति मानती है। जिस देश में करोड़ों लोग पेट भर भोजन न कर पाते हों वहां सरकारी गोदामों में हजारों टन अन्न की बर्बादी शर्मसार करने वाली है। सरकारी गोदामों में अनाज के बर्बाद होने का यह पहला मामला नहीं। पिछले कई वर्षो से यह शर्मनाक सिलसिला कायम है। 2007 से लेकर एक जुलाई 2013 की स्थिति के अनुसार भारतीय खाद्य निगम के विभिन्न गोदामों में 87,708 टन गेंहू और चावल खराब हो चुका है।

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