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भेड़ाघाट

Saturday, May 31, 2014

साहब का काम अच्छा नहीं तो जाएगी कुर्सी

आधे अफसरों को बदलेगी शिवराज सरकार
मुख्यमंत्री के निर्देश पर तैयार हो रही कलेक्टर और एसपी की परफारमेंस रिपोर्ट
भोपाल। प्रदेश में विधानसभा और फिर लोकसभा चुनाव को सफलतापूर्वक संपन्न करवा कर प्रदेश के अधिकारियों ने फील्ड का टेस्ट तो पास कर लिया है, लेकिन अब उन्हें अपने महकमे की परीक्षा भी पास करनी होगी। जिन अधिकारियों का काम अच्छा होगा उनकी ही कुर्सी बची रहेगी। मुख्य सचिव अंटोनी जेसी डिसा इनदिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा तय किए गए फॉर्मेट के आधार पर उनके काम-काज की रेटिंग कर रहे हंै। इस रिपोर्ट कार्ड के आधार पर ही 15 जून के बाद अधिकारियों का तबादला किया जाएगा। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री और और मुख्य सचिव ने लोकसभा की आचार संहिता के दौरान ही तैयारी कर ली थी और आचार संहिता समाप्त होने के साथ ही मई के अंतिम सप्ताह में बड़े स्तर पर प्रशासनिक सर्जरी करने जा रहे थे। इस संबंध में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और मुख्य सचिव अंटोनी जेसी डिसा के बीच कई दौर की चर्चा हो चुकी थी। लेकिन कई अधिकारियों के रिपोर्ट कार्ड संतोषजनक नहीं मिलने के बाद मुख्यमंत्री ने मंत्रालय में पदस्थ प्रमुख सचिव, सचिव सहित कलेक्टरों और एसपी की परफारमेंस रिपोर्ट तैयार करने को कहा है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को वीडियो कांफ्रेंसिंग में साफ-साफ कह दिया है कि जिनकी रिपोर्ट अच्छी नहीं है वे 15 जून तक बेहतर काम करके दिखाएं।
त्रि-स्तरीय तैयार हो रही रिपोर्ट
मुख्यमंत्री ने कलेक्टरों को बदलने के लिए तीन प्रकार की सूची बनाने को कहा है। पहली सूची में पांच साल से लगातार कलेक्टरी कर रहे अफसर, दूसरी में एक जिले में दो साल से अधिक समय से पदस्थ अफसर और तीसरी सूची में उन कलेक्टरों के नाम शामिल करने को कहा है, जिन्होंने राज्य सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं, समग्र सुरक्षा अभियान जैसी हितग्राही मूलक योजनाओं में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा है कि जिन कलेक्टरों ने योजनाओं के क्रियान्वयन में बेहतर काम किया है, उनसे उनके पसंद वाले जिलों के विकल्प मांगे जाएं। उन्होंने प्रमोटी आईएएस को भी उनकी कार्यक्षमता के अनुसार जिले में पदस्थ करने की बात भी कही है। चार साल से एक ही विभाग में जमे अफसरों का होगा तबादला 30 जून से विधानसभा बजट सत्र होने वाला है। इसको देखते हुए इससे पहले फेरबदल होने की संभावना है। खबर है कि चार साल से अधिक समय से एक विभाग में जमे प्रमुख सचिवों को बदला जा सकता है। चार साल से एक विभाग में पदस्थ अफसरों में राधेश्याम जुलानिया प्रमुख सचिव जल संसाधन, केके सिंह प्रमुख सचिव पीडब्ल्यूडी, रजनीश वैश्य उपाध्यक्ष एनवीडीए, बीआर नायडू प्रमुख सचिव महिला एवं बाल विकास के नाम शामिल हैं। इनके अलावा जिन प्रमुख सचिवों को बदला जा सकता है, उनमें जयदीप गोविंद मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, पीसी मीणा प्रमुख सचिव आदिम जाति कल्याण, मोहम्मद सुलेमान प्रमुख सचिव ऊर्जा एवं उद्योग, अश्विनी राय प्रमुख सचिव कार्मिक एवं वाणिज्य कर, मोहन राव प्रमुख सचिव खेल एवं युवा कल्याण, एसएन मिश्रा प्रमुख सचिव आवास एवं पर्यावरण तथा नगरीय प्रशासन और मप्र भवन आवासीय आयुक्त के पद पर पदस्थ आईसीपी केसरी को प्रदेश में बड़ी जिम्मेदारी दिए जाने की संभावना है। इसी प्रकार कई आईएएस ऐसे हैं, जिन्हें प्रमुख सचिव के पद पर पदोन्नत कर ओएसडी बनाकर सचिव पद पर पदस्थ रखा था। इनमें 1988 बैच की वीरा राणा आयुक्त हस्तशिल्प विकास, 1990 बैच की अल्का उपाध्याय सीईओ एमपीआरआरडीए, वीएस निरंजन आयुक्त उच्च शिक्षा, 1991 बैच के मनु श्रीवास्तव एमडी पवार मैनेजमेंट कंपनी जबलपुर, विश्वमोहन उपाध्याय आयुक्त पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्य कल्याण एवं अरूण तिवारी आयुक्त नर्मदा पुरम संभाग के नाम शामिल हैं।
ये कलेक्टर हो सकते हैं इधर-उधर
मुख्य सचिव द्वारा तैयार की जा रही सूची में करीब दर्जन भर जिलों के उन कलेक्टरों का भी नाम है जिनको बदलना अनिवार्य माना जा रहा है। इनमें से अच्छे काम वाले अधिकारी को किसी दूसरे जिले का कलेक्टर बनाया जाएगा या प्रमोशन देकर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। इनमें इंदौर कलेक्टर आकाश त्रिपाठी, धार कलेक्टर सीबी सिंह, खरगोन कलेक्टर डॉ. नवनीत मोहन कोठारी, बड़वानी कलेक्टर शोभित जैन, बुरहानपुर कलेक्टर आशुतोष अवस्थी, उज्जैन कलेक्टर बीएम शर्मा, देवास कलेक्टर एमके अग्रवाल, आगर-मालवा कलेक्टर डीडी अग्रवाल, ग्वालियर कलेक्टर पी नरहरि, शहडोल कलेक्टर अशोक कुमार भार्गव, उमरिया कलेक्टर सुरेन्द्र उपाध्याय, छतरपुर कलेक्टर डॉ. मसूद अख्तर, भोपाल कलेक्टर निशांत बरबड़े, सीहोर कलेक्टर कवीन्द्र कियावत, राजगढ़ कलेक्टर आनंद शर्मा, विदिशा कलेक्टर एमबी ओझा, हरदा कलेक्टर रजनीश श्रीवास्तव, शिवपुरी कलेक्टर रविकांत जैन, गुना कलेक्टर संदीप यादव, मुरैना कलेक्टर नागर गोजे मदान विभीषण, श्योपुर कलेक्टर ज्ञानेश्वर बी पाटिल, रीवा कलेक्टर शिवनारायण रूपला, सीधी कलेक्टर स्वाति मीणा, सिंगरोली कलेक्टर एम सेलवेन्द्रन, सतना कलेक्टर मोहनलाल मीणा, बैतूल कलेक्टर राजेश प्रसाद मिश्रा एवं कटनी कलेक्टर अशोक कुमार सिंह के नाम शामिल हैं।
प्रमोटी फिर होंगे पावरफुल
जून का महीना प्रशासनिक सर्जरी के लिहाज से बहुत अहम रहने वाला है। प्रदेश में प्रशासनिक अफसरों के ऊपर से शुरू हुए तबादलों का असर, नीचे तक होगा। प्रशासनिक फेरबदल की जद में अपर कलेक्टर, कुछ डिप्टी कलेक्टर और तहसीलदार भी आने वाले हैं। यह सारी उठापटक 15 जून के आसपास होने की संभावना है। सरकार इस सर्जरी में भी कई महत्वपूर्ण जिलों की कमान प्रमोटी आईएएस को सौंप सकती है। जिसमें भोपाल,इंदौर,उज्जैन,ग्वालियर जैसे जिले भी शामिल हैं। हालांकि इन जिलों कलेक्टर के लिए इस बार पदस्थापना डायरेक्ट-प्रमोटी आईएएस अफसरों में उलझती नजर आ रही है। जिलों की पदस्थापना के मामले में अपनी स्थिति मजबूत कर चुके प्रमोटी आईएएस अफसरों की निगाहें अब इन जिलों पर हैं, वहीं मंत्रालय में निर्णायक भूमिका निभाने वाले अफसर इस पद को डायरेक्ट आईएएस के पाले में ही रखना चाहते हैं। इंदौर कलेक्टर बनने के इच्छुक अफसरों की सूची में पी. नरहरि व विवेक पोरवाल के बाद अब प्रमोटी आईएएस सीबी सिंह कवींद्र कियावत का नाम भी जुड़ गया है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान 15 जून के बाद कलेक्टरों की पदस्थापना में बदलाव की बात कह चुके हैं। इसके पहले इस सूची में कुछ और नाम बढ़ सकते हैं। प्रमोटी अफसरों की लॉबी इन दिनों पावरफुल है। इसी का नतीजा है कि पिछले पांच साल में इन अफसरों ने जिलों में पदस्थापना के रिकॉर्ड तोड़ दिए। इसी दौर में कई बड़े जिलों की कमान भी प्रमोटी अफसरों को मिली।
एक दर्जन आईपीएस के होंगे तबादले!
राज्य सरकार आईएएस के साथ ही आईपीएस अफसरों के तबादलों में भी आईएएस पदस्थापना वाला फार्मूला अपनाएगी। 15 जून के बाद एक दर्जन से ज्यादा पुलिस अधीक्षकों का तबादला होना लगभग तय है। भोपाल जिले के पुलिस अधीक्षकों को भी बदले जाने की सुगबुगाहट तेज हो गई है। उधर तबादला नहीं चाहने वाले अधिकारी भी इन दिनों सक्रिय हो गए है। मुख्यमंत्री ने साफ कर दिया है कि जिन पुलिस अधीक्षकों ने पिछले दिनों अच्छा काम नहीं किया उनका तबादला किया जाएगा। मुख्यमंत्री के इस निर्देश के बाद पुलिस अधीक्षकों में हड़कंप मच गया है। वे अपना काम सुधारने के प्रयास में लग गए है। वहीं पुलिस मुख्यालय ने इन अधिकारियों के काम-काज का ब्यौरा एकत्रित करना शुरू कर दिया है। इस बार जिलों की कमान में नान आईपीएस अधिकारियों को फिर से मौका मिल सकता है। भोपाल जिला मुख्यालय के एसपी शशिकांत शुक्ला को किसी जिले की कमान सौंपी जा सकती है। या फिर उन्हें भोपाल में मैदानी पदस्थापना दी जा सकती है। जबकि एसपी ट्रैफिक टी.अमोंग्ला अय्यर का भी तबादला किया जा सकता है। उनके बैच तक के कुछ अन्य अधिकारियों को भी जिले की कमान सौंपी जा सकती है। इनके अलावा सतना और झाबुआ में एसपी का पद खाली है। सतना में केसी जैन बतौर एसएसपी पदस्थ है, जबकि झाबुआ में एसपी सिंह एसएसपी हैं। दोनों का तबादला तय है। दोनों जिलों में एसपी की नियुक्ति की जाएगी। 2001 बैच के ग्वालियर एसपी प्रमोद वर्मा, बड़वानी एसपी जेएस कुशवाह का तबादला हो सकता है। दोनों अधिकारी इस साल डीआईजी बनने वाले हैं। इनके अलावा सिंगरौली एसपी डी. कल्याण चक्रवर्ती, टीकमगढ़ एसपी अमित सिंह, मुरैना एसपी इरशाद वली, भिंड एसपी अशीष, खंडवा एसपी मनोज शर्मा, डिंडौरी एसपी आरके चौबे, धार एसपी बीएस चौहान, होशंगाबाद एसपी आईपी कुलश्रेष्ठ और छिंदवाड़ा एसपी पुरुषोत्तम शर्मा का तबादला भी हो सकता है।
दिल्ली की राह पकडऩे को तैयार दर्जन भर आईएएस
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद से ही कई अफसर दिल्ली की राह पकडऩे की तैयारी कर रहे हैं। करीब एक दर्जन से ज्यादा आईएएस व आईपीएस अफसरों ने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए पहले से ही आवेदन कर रखा है,लेकिन राज्य सरकार इन्हें छोडऩे को तैयार नहीं है। वर्तमान में केंद्र सरकार में प्रदेश के लगभग चार दर्जन आईएएस प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ हैं। इसके साथ ही केंद्र में जाने के इच्छुक अफसरों में एसीएस स्कूल शिक्षा एसआर मोहंती, लंबे समय से इंतजार कर रहे आशीष उपाध्याय, जीएडी के कार्मिक प्रमुख सचिव अश्वनी कुमार राय, अशोक बर्णवाल आदि अफसरों के भी नाम शामिल हैं। वैसे आशीष उपाध्याय का नाम प्रवीण गर्ग, एसपीएस परिहार, नीरज मंडलोई और पंकज राग के पहले से चल रहा है, लेकिन राज्य सरकार उन्हें केंद्र में भेजने तैयार नहीं है। क्योंकि एक बार केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर जाने के बाद मध्यप्रदेश लौटने में आईएएस अफसर की रूचि नहीं रहती। पिछले कई वर्षों में केंद्र में गए अंशु वैश्य, उदय कुमार वर्मा, सुमित बोस, ओपी रावत, डीआरएस चौधरी तथा पदमवीर सिंह आदि प्रतिनियुक्ति से ही रिटायर हो गए। वैसे श्रीमति वैश्य और उदय कुमार वर्मा को एक साल से ऊपर हो गया है, जबकि प्रशासनिक अकादमी मसूरी में पदस्थ रहे पदमवीर सिंह 28 फरवरी और सुमित बोस 30 मार्च को रिटायर हुए हैं, जबकि केंद्र सरकार में सचिव के रूप में पदस्थ स्वर्ण माला रावला 11 अक्टूबर 2006 से कार्यरत हैं और इनकी मप्र में वापसी जल्दी होने की संभावना है। इसी बीच राष्ट्रपति भवन और फिर जद्दा में काउंसिल जनरल के रूप में पदस्थ रहे 96 बैच के मप्र कैडर के आईएएस फैज अहमद किदवई ने जीएडी में अपनी ज्वाइनिंग दे दी है।
केंद्र में पदस्थ आईएएस
इस समय केंद्र में प्रदेश के करीब 41 आईएएस पदस्थ हैं। इनमें विश्वपति त्रिवेदी, डॉ राजन एस कटोच, आर रामानुज, विमल जुल्का, स्वर्ण माला रावला, पीडी मीना, अमिता शर्मा, प्रवेश शर्मा, जेएस माथुर, राघवचंद्रा, स्नेहलता श्रीवास्तव, स्नेहलता कुमार, विजया शुक्ला शर्मा, आलोक श्रीवास्तव, रश्मि शुक्ला शर्मा, एम गोपाल रेड्डी, दिलीप के सामंतराय, इकबाल सिंह बैस, अनिल श्रीवास्तव, अनिल कुमार जैन, प्रमोद कुमार दास, मनोज झालानी, गौरी सिंह, एसपीएस परिहार, प्रवीण गर्ग, शैलेंद्र सिंह, संजय बंदोपाध्याय, अनुराग जैन, मलय श्रीवास्तव, पंकज राग, मनोज गोविल,दीप्ति गौर मुखर्जी, पल्लवी जैन गोविल, ई रमेश कुमार, सचिन सिंहा, केरोलिन खोंगवार, निकुंज श्रीवास्तव, नीरज मंडलोई, डॉ पवन शर्मा, जॉन किग्सली एआर, सोनाली बायंणकर आदि के नाम शामिल हैं।
दो दर्जन आईपीएस-आईएफएस भी केंद्र में
केंद्र में मप्र के दो दर्जन आईपीएस पदस्थ हैं। वहीं आईएफएस की संख्या इस साल बढ़कर 20 पहुंच गई है। वर्तमान में आईपीएस कैडर के यशोवर्धन आजाद, एसए इब्राहिम, डॉ. आनंद कुमार, श्रीमती राना मित्रा, वीके जौहरी, आलोक कुमार पटेरिया, संजीव सिंह, मुकेश कुमार जैन, सुशोवन बेनर्जी, एसके झा, आलोक रंजन, अनंत कुमार, राजा बाबू सिंह, चंचल शेखर, जयदीप प्रसाद, योगेश देशमुख, ए. साई मनोहर, एसके मिंज, अंशुमान यादव, साजिद फरीद सापू और दीपिका सूरी जैसे आईपीएस पदस्थ हैं, लेकिन पिछले दो दशक से मप्र के आईएफएस केंद्र में जाने से बचते रहे। इस साल कुछ अफसर जरूर केंद्र में गए हैं, लेकिन जो भी अफसर एक बार चला जाता है, फिर दिल्ली से लौटने का नाम नहीं लेता। इनमें सबसे ज्यादा समय से डॉ. राजेश गोपाल 2007 से पदस्थ हैं। इसके बाद अन्य अफसरों ने केंद्र में जाना प्रारंभ किया है।
आईएफएस केंद्र में हैं डॉ. राजेश गोपाल डायरेक्टर टाइगर प्रोजेक्ट, डॉ. शिवेंदु श्रीवास्तव रीजनल डायरेक्टर, बीएमएस राठौर संयुक्त सचिव, अनिल के उपाध्याय, राकेश भूषण सिन्हा संयुक्त सचिव कृषि मंत्रालय, असीम श्रीवास्तव वाइल्ड लाइफ, डॉ. धर्मेंद्र वर्मा डायरेक्टर फारेस्ट एजुकेशन, अमिताभ अग्निहोत्री, हिम्मत सिंह नेगी, विजय एन. अंबाडे, श्रीमती संजुक्ता मुदगल, चरणजीत सिंह ग्रामीण विकास मंत्रालय, डॉ. रेनु सिंह एडीजी अकादमी देहरादून, संजय मजूमदार ग्रामीण विकास मंत्रालय में वाटर रिसोर्स का काम देख रहे हैं, जबकि डायरेक्टर एनीमल के रूप में शिवप्रसाद शर्मा, वैज्ञानिक के रूप में शुभाराजन सेन, सीएफ देहरादून के रूप में श्रीमती कंचन देवी, एडीजी आईसीएफआर देहरादून के पद पर पंकज अग्रवाल, डायरेक्टर पंचायती राज के पद पर शशि मलिक और मप्र भवन में अतिरिक्त कमिश्नर के रूप में प्रकाश उन्हाले पदस्थ हैं।
बिगड़ा कैडर मैनजमेंट वैसे प्रदेश के आईएएस अफसरों का कैडर मैनेजमेंट पहले से ही बिगड़ा हुआ है। प्रमोशन के चलते उच्च स्तर के लगातार पद बढ़वाए जाते रहे हैं। एक समय सीएस वेतनमान के तीन ही पद स्वीकृत थे, लेकिन वर्तमान में 6 हो गए, प्रमुख सचिव के 9 पदों से बढ़कर 23 हो चुके हैं और इन पर 42 अधिकारी पदस्थ है। इसी तरह सचिव, विभागाध्यक्ष तथा एमडी के 2 पद स्वीकृत होने के विपरीत 45 से ज्यादा आईएएस पदस्थ हैं, जबकि जिलों की संख्या 52 होने पर भी जूनियर आईएएस जिप सीईओ के मात्र 22 पद स्वीकृत हैं और इन पर भी अधिकारी पदस्थ नहीं है।
एनवीडीए के उपाध्यक्ष का पद पिछले दो साल से खाली एनवीडीए के उपाध्यक्ष का पद पिछले दो साल से खाली है और पीएस स्तर के अफसर को प्रभारी उपाध्यक्ष बनाकर काम चलाया जा रहा है। यही स्थिति व्यापमं के अध्यक्ष की है, यह पद भी सीनियरटी के कारण सीएस वेतनमान का स्वीकृत है, मगर वर्तमान में अध्यक्ष प्रमुख सचिव स्तर के अफसर को बना रखा है, जबकि इसके विपरीत सरकार ने नान कैडर पदों पर आईएएस अफसरों की भरमार कर रखी है। प्रदेश में मुख्य सचिव वेतनमान के कैडर में केंद्र सरकार से छह पद स्वीकृत हैं। साथ ही नान कैडर के छह पदों पर भी प्रमोशन दिया जा सकता है, लेकिन सरकार कैडर के पद खाली रख नान कैडर पदों पर अफसरों को पदस्थ करने में जुटी हुई है। सीएस वेतनमान में मुख्य सचिव के अलावा अध्यक्ष राजस्व मंडल, महानिदेशक प्रशासन अकादमी, अध्यक्ष माध्यमिक शिक्षा मंडल, अध्यक्ष व्यावसायिक परीक्षा मंडल तथा उपाध्यक्ष नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण का पद शामिल है, परंतु जब से तत्कालीन उपाध्यक्ष ओपी रावत केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर गए हैं, तभी से उपाध्यक्ष का काम पीएस रजनीश वैश को प्रभारी बनाकर चलाया जा रहा है, जबकि रावत को केंद्र में गए दो साल से ज्यादा समय बीत गया है और वे रिटायर भी हो गए। व्यापमं के तत्कालीन अध्यक्ष डीके सामंतराय के भी केंद्र में चले जाने से पहले इसका अतिरिक्त प्रभार अध्यक्ष माशिमं अध्यक्ष देवराज बिरदी के पास रहा और अब सरकार ने पीएस वाणिज्यिकर से हटाए गए एपी श्रीवास्तव को अध्यक्ष बना दिया है। बिना कैडर के पद पर सीनियर होने के बावजूद सरकार ने एसीएस देवेंद्र सिंघई को संचालक आदिम जाति अनुसंधान बना रखा है। इसके पहले इस पद पर एसीएस प्रशांत मेहता को बनाया गया था।
यह अफसर नॉन कैडर पदों ंपर पदस्थ एसीएस के केंद्र से स्वीकृत नहीं होने के बावजूद नान कैडर पदों पर पदस्थ अफसरों में एसीएस योजना आर्थिक सांख्यिकी अजिता वाजपेयी पांडे, एसीएस उद्योग पीके दाश, एपीसी तथा एसीएस एमएम उपाध्यक्ष, एसईएस पंचायत एवं ग्रामीण विकास अरूणा शर्मा, एसीएस वित्त अजयनाथ, एसीेस स्कूल शिक्षाएसआर मोहंती, एसीेस अल्पसंख्यक तथा पिछड़ा वर्ग कल्याण, एसीेस ग्रामोद्योग एवं जनशिकायत राकेश अग्रवाल के नाम शामिल हैं।
यह अफसर कॉडर पदों पर पदस्थ मुख्य सचिव एन्टोनी डिसा अध्यक्ष राजस्व मंडल स्वदीप सिंह डीजी अकादमी आईएस दाणी अध्यक्ष माशिमं देवराज बिरदी उपाध्यक्ष एनवीडीए पीएस रजनीश वैश अध्यक्ष व्यापमं पीएस एपी श्रीवास्तव

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