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भेड़ाघाट

Saturday, May 17, 2014

'मोदी पॉवरÓ मप्र में बदलेगा सत्ता समीकरण!

मंत्रिमंडल विस्तार में होगी मोदी की छाया भोपाल। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने की घोषणा के साथ न केवल उनकी ताकत में इजाफा हुआ है,बल्कि भाजपा भी मजबुत हुई है। अल्प समय में ही भाजपा में ही नहीं पूरे देश में 'मोदी पॉवरÓ छा गया है। मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में भाजपा की ऐतिहासिक जीत को 'मोदी पॉवरÓ से जोड़ कर देखा जाने लगा है। और अब जब 16 मई को 16वीं लोकसभा के चुनाव परिणाम आ रहे होंगे...उस समय जैसे-जैसे भाजपा की सीटों का ग्राफ बढ़ रहा होगा...वैसे-वैसे मप्र की राजनीति में भी सत्ता और संगठन के कई नेताओं का ग्राफ बदलेगा और बढ़ेगा। इसका असर आगामी दिनों में शिवराज कैबिनेट के विस्तार और प्रदेश भाजपा संगठन में बदलाव के तौर पर दिखेगा। इसका पूर्वानुमान लगाकर भाजपा का हर नेता मोदी के रंग में रंगा नजर आ रहा है। तमाम सर्वे रिपोर्टो में इस बार देश में मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनती नजर आ रही है। अगर भाजपा जीतती है और मोदी प्रधानमंत्री बनते हैं तो संभवत: जब केंद्र में भाजपा सरकार के गठन की प्रक्रिया चल रही होगी,उसी समय मप्र में शिवराज मंत्रिमंडल के विस्तार की भी कवायद होगी। निश्चित रूप से इस विस्तार में मोदी का असर रहेगा। ज्ञातव्य है कि मप्र मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री सहित 24 सदस्त हैं। इनमें 19 कैबिनेट और चार राज्यमंत्री। विधायकों की संख्या के मान से अभी 11 पद खाली हैं। माना जा रहा है कि बजट सत्र के पहले आठ से दस पद भर जा सकते हैं। संगठन इसके लिए विधायकों के परफार्मेंस को आधार बना रहा है, तो कई नेता संघ और मोदी से भी लगातार संपर्क में हैं। भाजपा हाईकमान के निर्देश के अनुसार रिक्त पड़े पदों को लोकसभा चुनाव के बाद भरा जाना है। पार्टी चाहती थी कि लोकसभा चुनाव में जिन विधायकों का काम उत्कृष्टï है, उन्हें मंत्रिमंडल विस्तार में तरजीह दी जाए। लोकसभा चुनाव के दौरान आचार संहिता के चलते मप्र में प्रशासनिक काम पूरी तरह ठप पड़ा है। कामकाज में तेजी लाने, विधानसभा सत्र शुरू होने और इसी सत्र में बजट लाने की तैयारी शुरू हो गई है। इसके अलावा विधानसभा चुनाव की तरह ही प्रदेश भाजपा नगरीय निकाय चुनाव में भी प्रचंड बहुमत से जीतने की कोशिश में लगी है। इन सबको देखते हुए फिलहाल मंत्रिमंडल में विस्तार को लेकर असमंजस है। हालांकि मंत्रिमंडल में शामिल होने की आस लगाए बैठे विधायकों ने लॉबिंग शुरू कर दी है। मोदी फाइनल करेंगी सूची संगठन के एक वरिष्ठ पदाधिकारी का कहना है कि लोकसभा चुनाव के पूर्व ही आलाकमान ने शिवराज सिंह चौहान को विस्तार करने के लिए हरी झंडी दे दी थी। उस समय अपेक्षाकृत विस्तार छोटा करने का निर्देश था और पांच मंत्रियों को शपथ दिलाने की अनुमति थी। जिन पांच लोगों को विस्तार में शामिल होने का मौका मिलता, उनके नामों को दिल्ली से हरी झंडी मिल चुकी थी, लेकिन उसे मिशन-29 को पूरा करने के चक्कर में रोक दिया गया। अब एक बार फिर से विस्तार की कवायद शुरू हुई है। पिछली सरकार में मंत्री रहे जिन नेताओं को इस बार मौका नहीं मिला है, वे भी विस्तार से आस लगाए बैठे हैं। गौरतलब है कि पिछली सरकार में मंत्री रही अर्चना चिटनीस, रंजना बघेल, मनोहर ऊंटवाल, नारायण सिंह कुशवाह, जगदीश देवड़ा, महेंद्र हार्डिया को इस बार मंत्रिमंडल में जगह नही मिली है। ये नेता चंद दिनों बाद होने वाले संभावित विस्तार में अपनी वापसी के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। वहीं सुरेंद्र पटवा और दीपक जोशी के राज्यमंत्री बनने के बाद अब पूर्व मुख्यमंत्री वीरेंद्र कुमार सकलेचा के पुत्र ओमप्रकाश सकलेचा भी मंत्री बनने की उम्मीद पाले बैठे हैं। सकलेचा तीसरी बार विधायक बने हैं, तो भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश सारंग के पुत्र विश्वास सारंग को भी मंत्री बनने की आस है। इसके अलावा कमलनाथ के खिलाफ छिंदवाड़ा से चुनाव लड़ रहे चंद्रभान सिंह अगर कमलनाथ की लीड को बेहद कम कर देते हैं तो उन्हें भी मंत्रिमंडल में लिया जाना तय है। वहीं कैलाश चावला, रुस्तम सिंह, केदारनाथ शुक्ला, हर्ष सिंह और तुकोजीराव पवार भी मंत्री पद की दौड़ में शामिल हैं। इनके अलावा मंत्री बनने वालों की लंबी लिस्ट है। अब अगर मंत्रिमंडल विस्तार होता है और मोदी प्रधानमंत्री बनते हैं तो सूची को वही फाइनल करेंगे। हालांकि पार्टी के सूत्र बताते हैं कि लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद मप्र मंत्रिमंडल में होने वाला संभावित विस्तार टलता नजर आ रहा है। बताया जा रहा है कि अब यह विस्तार जून में होने वाले विधानसभा सत्र और नगरीय निकाय चुनाव के बाद किया जाएगा। पार्टी की मंशा है कि नगरीय निकाय चुनावों में कांग्रेस का पूरी तरह सफाया करने के बाद ही मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाए। वहीं संघ के एक पदाधिकारी कहते हैं कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बार मप्र,छत्तीसगढ़ और राजस्थान मंत्रिमंडल का चंहरा और स्वरूप दोनों बदला जाएगा। जीत-हार तय करेगा मंत्री-विधायक का कद लोकसभा चुनाव में मंत्रियों और विधायकों का परफॉर्मेंस भाजपा हाईकमान की कसौटी पर है। 16 मई को आने वाले नतीजों के आधार पर ही आगे इनका कद बढ़ाया या घटाया जाएगा। इस बात का भी आकलन किया जाएगा कि पार्टी उम्मीदवार की बढ़त विधानसभा चुनावों की तुलना में कहां बढ़ी और कहां घटी वरिष्ठ नेताओं की तरफ से मंत्रियों और विधायकों को इसके संकेत दे दिए गए हैं। शिवराज मंत्रिपरिषद में इस समय एक तिहाई पद रिक्त हैं। केंद्र में सरकार के गठन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद माना जा रहा है कि प्रदेश में मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है। इसके अलावा ऐसे नेता जिनको टिकट नहीं मिला या वे विधानसभा चुनाव हार गए, उन्हें निगम-मंडलों और आयोगों के जरिए लालबत्ती दी जा सकती है। सूत्रों की मानें तो भाजपा संगठन को उम्मीदवारों से लगातार शिकायतें मिल रही हैं कि कई विधायक और मंत्री पार्टी उम्मीदवार के पक्ष में दिल से प्रचार नहीं कर रहे हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता फिलहाल इस पर बात करने से बच रहे हैं, लेकिन अंदरूनी स्तर पर रिपोर्ट तैयार की जा रही है। मोदी लहर में भी यदि प्रत्याशी हारता है, तो गाज स्थानीय मंत्री और विधायकों पर गिर सकती है। बताया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद यह देखा जाएगा कि पार्टी प्रत्याशियों को विधानसभावार कितने मत मिले। सागर, सीधी, जबलपुर से कुछ शिकायतें आई हैं। सागर के मामले में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और भाजपा संगठन महामंत्री ने विधायकों और जिलाध्यक्षों को हिदायत भी दी थी।
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कतरने की अटकलें प्रदेश में चल रही मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलों के बीच यह भी चर्चा है कि लोकसभा चुनाव के दौरान जिम्मेदार नेताओं के परफार्मेंस को आधार बनाकर उनके पर कतरने की कार्रवाई भी की जाएगी। मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव के नतीजे अनेक दिग्गज भाजपाइयों के भाग्य का फैसला भी करेंगे। मिशन 29 के तहत कुछ ऐसी सीटें भी हैं जिनकी वजह से प्रदेश मंत्रिमंडल के आधा दर्जन मंत्री सहित अन्य नेता संगठन के राडार पर आ गए हैं। चुनावी नतीजे व केन्द्र में सरकार बनने के बाद संगठन स्तर पर समीक्षा का दौर शुरू होगा। नगरीय निकाय चुनावों के पहले सर्जरी किए जाने की संभावना है। लोकसभा चुनाव के दौरान सत्ता एवं संगठन के नेताओं ने प्रदेश की सभी 29 सीटों पर पूरी ताकत झोंकने के साथ ही क्षेत्रीय नेताओं के बीच जवाबदारी बांट दी थी। जिन क्षेत्रों में पार्टी को अपनी स्थिति कमजोर नजर आई वहां अतिरिक्त संसाधन जुटाने के अलावा प्रभावी नेताओं को भी सक्रिय किया गया। चुनाव के बाद पार्टी ने अपने नेटवर्क के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों से जो फीडबैक मंगाया है अब चुनावी नतीजों से उसका सत्यापन किया जाएगा। कुछ सीटें पर संगठन को अपने ही लोगों के बीच सामंजस्य बिठाने में अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ी।
इन पर थी जिम्मेदारी पार्टी के निशाने पर ग्वालियर, सागर, दमोह, खरगोन, बालाघाट, बैतूल, सतना, होशंगाबाद और खजुराहो सीटें खासतौर पर हैं। शिवराज कैबिनेट के सदस्य गोपाल भार्गव को दमोह, भूपेन्द्र सिंहठाकुर- सागर, अंतर सिंह आर्य- खरगोन, गौरीशंकर बिसेन-बालाघाट एवं विजय शाह को बैतूल संसदीय क्षेत्र की जवाबदारी सौंपी गई थी। इनके अलावा सतना, होशंगाबाद और खजुराहो के लिए भी संगठन के नेताओं को तैनात किया गया था। 16 मई को जो भी चुनाव परिणाम आएंगे उसके अनुसार इन नेताओं की जवाबदारी भी तय की जाएगी।
शिवराज ने भी गाया मोदी राग...
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा को दो तिहाई बहुमत हासिल हुआ। ज्यादातर लोगों का यह मानना है कि इस जीत के लिए मोदी को श्रेय देना मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ बेईमानी होगी। इन लोगों का यह तर्क है कि शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में जिस तरह का काम किया था उसके चलते मोदी के बगैर भी वे इतनी सीटें हासिल करने में सफल होते। लेकिन खुद शिवराज सिंह चौहान ने अपनी जीत में मोदी के योगदान के लिए उनका आभार व्यक्त किया। ऊपरी तौर पर अगर देखा जाए तो किसी को भी शिवराज सिंह द्वारा मोदी को श्रेय दिया जाना समझ में आ सकता है। नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश की जिन 15 विधानसभाओं में चुनाव प्रचार किया उनमें से 14 पर भाजपा को जीत हासिल हुई। मगर 230 सीटों वाली मध्य प्रदेश विधानसभा में जिस तरह से चौहान को दो-तिहाई से ज्यादा बहुमत मिला है उस हिसाब से 15 में से 14 विधानसभा की जीतें कुछ खास मायने नहीं रखतीं। यहां यह भी महत्वपूर्ण है कि मध्यप्रदेश में मोदी की जनसभाओं में से ज्यादातर में बहुत कम जनता उन्हें देखने-सुनने के लिए आई। और शिवराज उन इलाकों में भी विजयी रहे जिनमें मुस्लिम मतदाताओं की संख्या बहुत ज्यादा थी। फिर बिना किसी अहम के शिवराज ने संगठन को एक सूत्र में पिराने के लिए लोकसभा चुनाव में भाजपा को जिताकर नरेंद्र मोदी की सरकार बनाने का संदेश देते फिरे। ऐसा लग रहा था कि आडवाणी को शिवराज ने स्वयं अपना कंधा उपलब्ध करा दिया है, क्योंकि आडवाणी अपने मध्यप्रदेश दौरों के दौरान ही शिवराज की तारीफों के पुल बांध रहे थे। यह सब नरेंद्र मोदी के भाजपा चुनाव समिति का अध्यक्ष घोषित किए जाने के परिणाम माना जा रहा था। आडवाणी पिछले आम चुनावों की तरह इस बार भी भाजपा के झंडाबरदार बनने को लालायित थे और स्वयं को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार मानकर चल रहे थे। लेकिन पार्टी ने पहले तो चुनाव समिति की कमान मोदी के हाथों में दे दी और फिर प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार भी उन्हें घोषित कर दिया। जले भुने आडवाणी को शिवराज के रूप मोदी से मुकाबिल होने लायक एक अस्त्र नजर आया और वे शिवराज को भी प्रधानमंत्री पद के लिए उपयुक्त बताने लगे। बड़े पद की लालसा किस नेता में नहीं होती। शिवराज ने भी गुजरात में नरेंद्र मोदी के कारनामे की तरह मध्यप्रदेश में भाजपा को लगातार तीसरी बार जिताकर सत्ता दिलाने का श्रेय हासिल किया है। स्वाभाविक है वे अपने आपको मोदी के मुकाबिल समझें। लेकिन, शिवराज भी 'अबकी बार मोदी सरकारÓ का नारा देते रहे।
कैलाश,उमा,प्रभात होंगे दमदार
संभावना जताई जा रही है कि अगर मोदी प्रधानमंत्री बनते हैं तो कैलाश विजयवर्गीय,उमा भारती और प्रभात झा जैसे नेताओं का कद बढ़ सकता है। राज्य के वरिष्ठ मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की मोदी से निकटता किसी से छिपी नहीं है। विधानसभा चुनाव से पूर्व विजयवर्गीय ने राजनीति से ब्रेक लेने की भी बात कही थी, लेकिन जल्द ही वे अपनी बात से पलट गए थे। बताया जाता है कि उन्हें मोदी ने सक्रिय रहने को कहा था। हालांकि उनकी बात को उनके बेटे को राजनीति में स्थापित करने से जोड़ा जा रहा था। इंदौर में एक कार्यक्रम के दौरान मोदी कैलाश विजयवर्गीय से अपनी निकटता भी जाहिर कर चुके हैं। राज्य के सत्ता समीकरण बदलने में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा भी कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। वहीं प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती केंद्र में मंत्री बनने के साथ ही प्रदेश में अपनी हैसियत बढ़ाने की कोशिश करेंगी। इनके अलावा प्रहलाद पटेल,नरोत्तम मिश्रा और कांग्रेस से भाजपा में आए विधायक संजय पाठक भी मोदी की गुड लिस्ट में हैं।
संगठन का होगा कायाकल्प
मोदी के प्रधानमंत्री बनते ही प्रदेश भाजपा संगठन का भी कायाकल्प होगा। इसलिए निचले स्तर पर पार्टी की कमजोरियां दूर कर उसे सशक्त बनाने की कवायद शुरू होगी। नगरीय निकाय चुनाव तक बदलाव का रोडमेप तैयार कर लिया जाएगा। संगठन में कसावट लाने नए ऊर्जावान लोगों को जोडऩे पर भी काम होगा। इसलिए निकाय चुनाव के पहले ही जिलाध्यक्षों से लेकर अन्य पदाधिकारियों के कामकाज की समीक्षा कर ली जाएगी। साथ ही संगठन में कसावट लाने के लिए कुछ उत्साही और ऊर्जावान कार्यकर्ताओं को जोड़ा जाएगा। डेढ साल पहले 16 दिसंबर 2012 को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने जब कमान संभाली थी तब उन्होंने अपनी टीम में भी ज्यादा फेरबदल नहीं किया था। विधानसभा चुनाव के बाद अनेक पदाधिकारियों की भूमिकाएं भी बदल गईं, इसलिए सत्ता और संगठन के प्रमुख इस दिशा में गंभीरता से सोच रहे हैं। वैसे भी पार्टी में अनेक महत्वपूर्ण पद रिक्त पड़े हैं उनकी पूर्ति के साथ-साथ नई कार्ययोजना पर भी अमल शुरू कर दिया जाएगा।
बड़ी प्रशासनिक सर्जरी की भी तैयार
प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलों के बीच एक बड़ी प्रशासनिक सर्जरी की भी तैयारी की जा रही है। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता समाप्त होने के बाद मई के अंतिम सप्ताह में बड़े स्तर पर प्रशासनिक सर्जरी होने की संभावना है। इस संबंध में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और मुख्य सचिव अंटोनी जेसी डिसा के बीच पहले दौर की चर्चा हो चुकी है। इसमें मंत्रालय में पदस्थ प्रमुख सचिव, सचिव सहित दो दर्जन से अधिक कलेक्टरों को बदले जाने के संकेत मिले हैं।
त्रि-स्तरीय सूची हो रही तैयार
मुख्यमंत्री ने कलेक्टरों को बदलने के लिए तीन प्रकार की सूची बनाने को कहा है। पहली सूची में पांच साल से लगातार कलेक्टरी कर रहे अफसर, दूसरी में एक जिले में दो साल से अधिक समय से पदस्थ अफसर और तीसरी सूची में उन कलेक्टरों के नाम शामिल करने को कहा है, जिन्होंने राज्य सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं, समग्र सुरक्षा अभियान जैसी हितग्राही मूलक योजनाओं में अच्छा प्रदर्शननहीं किया है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा है कि जिन कलेक्टरों ने योजनाओं के क्रियान्वयन में बेहतर काम किया है, उनसे उनके पसंद वाले जिलों के विकल्प मांगे जाएं। उन्होंने प्रमोटी आईएएस को भी उनकी कार्यक्षमता के अनुसार जिले में पदस्थ करने की बात भी कही है। प्रारंभिक दौर की चर्चा में मंत्रालय में प्रमुख सचिवों के पदभार को लेकर कोई स्पष्ट रूप से राय नहीं बन पाई।
सूची में इन कलेक्टरों के नाम
इंदौर कलेक्टर आकाश त्रिपाठी, धार कलेक्टर सीबी सिंह, खरगोन कलेक्टर डॉ. नवनीत मोहन कोठारी, बड़वानी कलेक्टर शोभित जैन, बुरहानपुर कलेक्टर आशुतोष अवस्थी, उज्जैन कलेक्टर बीएम शर्मा, देवास कलेक्टर एमके अग्रवाल, आगर-मालवा कलेक्टर डीडी अग्रवाल, ग्वालियर कलेक्टर पी नरहरि, शहडोल कलेक्टर अशोक कुमार भार्गव, उमरिया कलेक्टर सुरेन्द्र उपाध्याय, छतरपुर कलेक्टर डॉ. मसूद अख्तर, भोपाल कलेक्टर निशांत बरबड़े, सीहोर कलेक्टर कवीन्द्र कियावत, राजगढ़ कलेक्टर आनंद शर्मा, विदिशा कलेक्टर एमबी ओझा, हरदा कलेक्टर रजनीश श्रीवास्तव, शिवपुरी कलेक्टर रविकांत जैन, गुना कलेक्टर संदीप यादव, मुरैना कलेक्टर नागर गोजे मदान विभीषण, श्योपुर कलेक्टर ज्ञानेश्वर बी पाटिल, रीवा कलेक्टर शिवनारायण रूपला, सीधी कलेक्टर स्वाति मीणा, सिंगरोली कलेक्टर एम सेलवेन्द्रन, सतना कलेक्टर मोहनलाल मीणा, बैतूल कलेक्टर राजेश प्रसाद मिश्रा एवं कटनी कलेक्टर अशोक कुमार सिंह के नाम प्रस्तावित हैं।

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