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भेड़ाघाट

Monday, May 26, 2014

कॉर्पोरेट वल्र्ड का हाथ थाम सकती हैं स्मिता गाटे

महाराष्ट्र में प्रतिनियुक्ति नहीं मिली तो ले सकती हैं स्वैच्छिक सेवानिवृति
फरवरी में केंद्र से वापस आते ही गईं लंबे अवकाश
भोपाल। मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कॉर्पोरेट वल्र्ड को अट्रैक्ट करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए वे प्रदेश में कई ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट का आयोजन कर चुके हैं। कॉर्पोरेट वल्र्ड की नजर में मप्र की छवि बेहतर करने के इन प्रयासों के बीच तस्वीर का एक और पहलू यह है कि इसी कॉर्पोरेट वल्र्ड में प्रदेश के कई आईएएस अफसरों की काफी पूछ है। अगर पिछले दस साल का रिकार्ड देखें तो प्रदेश के करीब दो दर्जन आईएएस अफसरों ने कॉर्पोरेट वल्र्ड का हाथ थामा है। अब हमेशा अपने मन की करने वाली 1992 बैच की आईएएस स्मिता गाटे भारद्वाज(महाभारत के कृष्ण नीतीश भारद्वाज की पत्नी) पर कॉर्पोरेट वल्र्ड की कुछ नामी कंपनियां डोरे डाल रही हैं। बताया जाता है कि अगर उन्हें दोबारा महाराष्ट्र में प्रतिनियुक्ति पर नहीं भेजा जाता है तो वे स्वैच्छिक सेवानिवृति लेकर कॉर्पोरेट वल्र्ड का हाथ थाम सकती हैं। अगर वे ऐसा करती हैं तो पिछले 10 साल में स्वैच्छिक सेवानिवृति लेने वाली मप्र की 12वीं और देश की 188 वीं आईएएस बनेंगी। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में अपनी तेजतर्रार छवि और मिलनसार व्यक्तित्व के कारण आईएएस लॉबी में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाली 1992 बैच की आईएएस और टेक्सटाइल निगम मुंबई में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ रही स्मिता गाटे भारद्वाज फरवरी में केंद्र से वापस आते ही जीएडी में अपनी ज्वाइनिंग देने के पश्चात लंबे अवकाश पर चली गई हैं। इसके लिए उन्होंने बच्चों की शिक्षा को आधार बनाया। स्मिता के इस कदम से पहले से आईएएस अधिकारियों की कमी के कारण परेशान मप्र सरकार की चिंता और बढ़ गई है। ऐसे में अब स्मिता के कॉर्पोरेट वल्र्ड के संपर्क में आने से राजनीतिक वीथिकाओं में हलचल मची हुई है। 2010 की सबसे चर्चित आईएएस मप्र कैडर की आईएएस अधिकारी स्मिता भारद्वाज वैसे तो अपने शुरूआती समय से ही चर्चा में रही हैं। लेकिन वह सबसे अधिक चर्चा में उस समय आई जब केंद्र सरकार के एक फैसले के कारण उन्होंने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधीकरण (कैट) में अपील की। दरअसल,उनको 2 फरवरी 2009 में काउंसिल की एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर के रूप में मुंबई में पांच साल के लिए प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ किया गया था। इसके कुछ माह बाद ही उन्होंने वहां पाई गई कुछ अनियमितताओं की जांच करवाने की मांग की। इस पर कपड़ा मंत्रालय ने 24 मई 2010 को उनकी प्रतिनियुक्ति समाप्त कर उन्हें वापस मूल कैडर में भेजने के आदेश जारी किए। इसके खिलाफ स्मिता भारद्वाज कैट चली गईं। कैट में केंद्र सरकार ने आश्चर्यजनक रूप से तर्क दिया कि मध्यप्रदेश की यह अफसर निजी कंपनी में प्रतिनियुक्ति पर गई हैं। केंद्र सरकार के दो वरिष्ठ आईएएस अफसरों-रीटा मेनन एवं शांतनु कंसल (कपड़ा मंत्रालय एवं कार्मिक प्रशासन मंत्रालय के तात्कालिन सचिव) के इस तर्क पर कि स्मिता भारद्वाज केंद्र सरकार की प्रतिनियुक्ति पर नहीं हैं, प्रशासनिक हल्कों में आश्चर्य व्यक्त किया गया। कैट के न्यायाधीश जोगसिंह और सुधाकर मिश्रा की दो सदस्यीय पीठ ने कपड़ा मंत्रालय के उक्त आदेश को अवैध, असंवैधानिक और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ मानकर रद्द कर दिया। अपने 44 पेज के आदेश में कैट ने भारत सरकार की इस दलील पर आश्चर्य जताया कि स्मिता केंद्र की प्रतिनियुक्ति पर नहीं थीं। कैट ने कहा कि स्मिता भारद्वाज प्रतिनियुक्ति गाइडलाइंस के पैरा 6 (1) (1.2.1) के अनुसार एसआरटीईपीसी में मध्यप्रदेश से प्रतिनियुक्ति पर भेजी गई थी। वे प्रतिनियुक्ति के लिए पात्र हैं और इसलिए उन्हें कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) द्वारा कैडर क्लियरेंस उचित था। स्मिता भारद्वाज के पक्ष में कैट का फैसला आया। कैट मुंबई ने सिंथेटिक एंड रैयान टेक्सटाइल्स एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (एसआरटीईपीसी) की एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर स्मिता भारद्वाज (घाटे) की प्रतिनियुक्ति को समाप्त करने के कपड़ा मंत्रालय के आदेश को खारिज कर दिया। कैट ने उन्हें तत्काल प्रभाव से उसी पद पर बहाल करने के निर्देश दिए। ज्ञातव्य है कि इस कानूनी लड़ाई के चलते स्मिता भारद्वाज करीब छह माह अवैतनिक अवकाश पर रहीं थीं। मप्र सरकार के असहयोग से खफा 2 फरवरी 2009 से 1 फरवरी 2014 तक की अपनी पांच साल की प्रतिनियुक्ति अवधि से वापस मप्र आई स्मिता गाटे भारद्वाज की छुट्टी पर जाने के कारणों को खोजा जाने लगा है। बताया जा रहा है कि मूलत: महाराष्ट्र की निवासी स्मिता को जब कपड़ा मंत्रालय ने 24 मई 2010 को उनकी प्रतिनियुक्ति समाप्त कर उन्हें वापस मूल कैडर में भेजने के आदेश जारी किए थे तो न मप्र की सरकार और न ही यहां के आईएएस अधिकारियों ने उनका सहयोग किया था। अपने कैडर वाले राज्य से सहयोग न मिलने के बाद से ही वह यहां के शासन-प्रशासन से खफा हैं। दूसरा कारण यह है कि अपनी तेजतर्रार छवि के कारण वह पहले से ही यहां के वरिष्ठ नौकरशाहों की आंख की किरकिरी बनी हुई हैं। जब वह सीहोर कलेक्टर थीं तो उनके खिलाफ कई नौकरशाहों ने मोर्चा खोल रखा था और उनके खिलाफ कई अफवाहों को हवा दिया गया थ। तीसरा कारण यह बताया जा रहा है कि जिस तरह उनके पति को मप्र की राजनीति से दरकिनार कर दिया गया उससे नीतीश और वे दोनों दोबारा मप्र में नहीं रहना चाहते हैं। 10 साल में 187 पहुंचे कॉर्पोरेट वल्र्ड पिछले दस साल में देश के करीब 187 आईएएस अफसरों ने कॉर्पोरेट वल्र्ड में ज्वाइन करने के लिए केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय से अनुमति मांगी। इनमें कर्नाटक और महाराष्ट्र के 18-18,गुजरात के 15, उत्तर प्रदेश व बिहार के 12 और मध्य प्रदेश व तमिलनाडू के 11, आंध्र प्रदेश कैडर से 9,उत्तराखंड कैडर से 7, पश्चिम बंगाल कैडर से 8, राजस्थान कैडर से 4, पंजाब से 3, छत्तीसगढ़ कैडर से 6, हिमाचल प्रदेश कैडर से 6, हरियाणा कैडर से 4, केरल कैडर से 6, जम्मू कश्मीर कैडर से एक आईएसएस अधिकारी शामिल हैं। इन आंकड़ों में उन अफसरों के नाम नहीं हैं, जिन्होंने अपने रिटायरमेंट के दो साल बाद कारपोरेट वल्र्ड ज्वाइन किया है। एक आईएएस अधिकारी के प्रशिक्षण में सरकार के चार लाख रुपए खर्च होते हैं। लेकिन कुछ आईएएस अधिकारी बहुराष्ट्रीय एवं कंसल्टेंसी कंपनियों में अधिक वेतन और उच्च पद की चाहत में स्वैच्छिक सेवानिवृति ले रहे हैं।

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