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भेड़ाघाट

Saturday, March 20, 2010

पचौरी की उम्मीदों पर फिरा पानी

एक जमाने में युवा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे आनंद शर्मा ने युवा कांग्रेस के महासचिव रहे सुरेश पचौरी की उम्मीदों पर बाकायदा पानी फेर दिया है। पचौरी इस समय मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष हैं और दिल्ली आने के लिए छटपटा रहे है। पचौरी इस समय मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष हैं और दिल्ली आने के लिए छटपटा रहे है। आनंद शर्मा केंद्र सरकार में मंत्री हैं और उन्हें वाणिज्य जैसा महत्वपूर्ण विभाग दिया गया है। वे अगले महीने राज्यसभा से रिटायर हो रहे हैं और जिस हिमाचल प्रदेश से वे राज्यसभा में चुने गए हैं वहां अब कांग्रेस इस हालत मे नहीं हैं कि एक सदस्य भी राज्यसभा में ला सके।

मध्य प्रदेश में राज्यसभा की तीन सीटें जून में खाली होने वाली है। कोई भी केंद्रीय मंत्री किसी भी सदन का सदस्य हुए बगैर छह महीने तक अपने पद पर रह सकता है। आनंद शर्मा के लिए पार्टी के प्रबंधकों की राय है कि मध्य प्रदेश वाली एक राज्यसभा सीट आनंद शर्मा के लिए सुरक्षित रखी जाए। पचौरी की नजर इस सीट पर थी क्योंकि उन्होंने आजीवन राज्यसभा की ही राजनीति की हैं और लगातार 24 साल तक राज्यसभा के सदस्य रह कर गिनीज रिकॉर्ड बुक तक पहुंचे हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को याद है कि राजीव गांधी जब सत्ता में नहीं रहे थे तो पार्टी के प्रवक्ता के तौर पर आनंद शर्मा ने एक बहुत शानदार पारी खेली थी। वे आनंद शर्मा को हर कीमत पर मंत्रिमंडल में रखना चाहती है। पचौरी ने अपने मित्रों से सुझाव दिलवाया कि जुलाई में तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र और राजस्थान में राज्यसभा की सीटें खाली हो रही हैं और एक सीट अगस्त में हरियाणा में खाली होगी। पंजाब में जुलाई में जो राज्यसभा सीट खाली हो रही हैं उसे अंबिका सोनी को दिया जाना तय कर दिया गया है। सोनिया गांधी राजीव गांधी के पुराने दोस्त और साथ में पायलट रहे सतीश शर्मा का पुनर्वास करना चाहती हैं और उनके लिए उत्तराखंड की एक खाली होने वाली सीट सुरक्षित रखी गई है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सुरेश पचौरी जैसे अनुभवी मंत्री को अपने मंत्रिमंडल में लाने में कोई ऐतराज नहीं होगा क्योंकि संसदीय कार्यमंत्री के तौर पर पचौरी उनके साथ पहले भी काम कर चुके हैं और उनकी भूमिका को काफी अच्छा माना गया था। मगर मध्य प्रदेश में पचौरी के दुश्मन कम नहीं हैं और उन्होंने ही आनंद शर्मा का नाम प्रचारित किया है।
सुरेश पचौरी पार्टी संगठन में भी आने के लिए तैयार है मगर मध्य प्रदेश में पार्टी में पहले से दिग्विजय सिंह और सत्यव्रत चतुर्वेदी जैसे नेता मौजूद है और सत्यव्रत चतुर्वेदी तो अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सभी संगठनों और प्रकोष्ठो के प्रभारी भी है। इसके अलावा सत्यव्रत चतुर्वेदी और जर्नादन द्विवेदी के तौर पर दो ब्राह्मण महासचिव मौजूद हैं और पचौरी को ला कर सोनिया गांधी पार्टी पर ब्राह्मणों का वर्चस्व कायम होने का संकेत नहीं देना चाहती। इसलिए लगता है कि पचौरी को फिलहाल भोपाल में कुछ दिन भोपाल ताल की लहरे गिननी पड़ेगी।

बीसवीं सदी में देश प्रदेश की राजनीति में धूमकेतु की तरह उभरे कांग्रेस के चाणक्य कुंवर अर्जुन सिंह की स्थिति उनके ही चेलों ने बहुत जर्जर करके रख दी है। कल तक जिस राजनैतिक बियावन में अर्जुन सिंह ने गुरू द्रोणाचार्य की भूमिका में आकर अपने अर्जुन रूपी शिष्यों को तलवार चलाना सिखाया उन्ही अर्जुनों ने कुंवर साहेब के आसक्त होते ही तलवारें उनके सीने पर तान दी। कुंवर अर्जुन सिंह के लिए सबसे बडा झटका तब लगा जब इस बार उन्हें केन्द्रीय मन्त्रीमण्डल में शामिल नहीं किया गया। अब कुंवर साहेब के सरकारी आवास के छिनने की भी बारी आने वाली है। इस साल मई में उनका राज्यसभा का कार्यकाल पूरा होने वाला है। कुंवर साहेब को दुबारा राज्य सभा में नहीं भेजा जाएगा इस तरह के साफ संकेत कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केन्द्र सोनिया गांधी के आवास दस जनपथ ने दिए हैं। सूत्रों का कहना है कि अर्जुन सिंह के शिष्य दिग्विजय सिंह को अर्जुन सिंह के स्थानापन्न कराने की योजना बनाई जा रही है। यद्यपि दिग्गी राजा ने दस साल तक कोई चुनाव न लेने का कौल लिया है, पर अगर आलाकमान का दबाव होगा तो वे राजी हो सकते हैं। इसके अलावा सूबे की नेता प्रतिपक्ष जमुना देवी का नाम भी राज्यसभा के लिए लिया जा रहा है। वैसे केन्द्र में बैठे प्रतिरक्षा मन्त्री ए.के.अंटोनी,, उद्योग मन्त्री आनन्द शर्मा, खेल मन्त्री एम.एस.गिल, वन एवं पर्यावरण मन्त्री जयराम रमेश और सबसे खराब परफार्मेंस वालीं अंबिका सोनी भी इस साल राज्यसभा से रिटायर हो रहीं हैं, अत: उनके पुनर्वास के लिए अर्जुन सिंह के स्थान पर इनमें से किसी एक को पुन: राज्यसभा में भेजा जा सकता है।

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