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भेड़ाघाट

Monday, August 16, 2010

सेक्स के रास्ते विकास की खोज

सेक्स का नाम सुनते ही मौज मस्ती या शारीरिक सुख की भावना मन में जागृत होती है लेकिन अब इसके मायने बदलने लगा है। सेक्स इनदिनों विकास का माध्यम बन गया है। यहां विकास का मतलब पैसा,नौकरी,प्रमोशन,पढ़ाई और कमाई से है। इसलिए अब सेक्स की मंडी में ग्राहकों की भीड़ केवल मौज मस्ती या शारीरिक सुख के लिए ही नहीं लगती। इस मंडी से खरीदा गया माल आफिस में तरक्की का मार्ग खोल देता है, चुनाव का टिकट दिला देता है, बड़े से बड़े टेंडर दिला देता है। यही कारण है कि अब सेक्स के बाजार में सिक्कों की चमक पहले से कहीं ज्यादा है और बड़ी तादाद में लड़कियां इस कारोबार की ओर आकर्षित हो रही हैं। यहीं नहीं लड़कियों को खोजने के लिए पुराने वक्त की तरह कोठों पर जाने की जरूरत भी नहीं है क्योंकि अब देह व्यापार का धंधा वेबसाइटों तक पहुंच गया है। हालांकि अश्लील वेबसाइट्स भारत में बैन हैं लेकिन इनका यहां प्रचलन सबसे अधिक है। चूंकि यह धंधा एक मजबूत नेटवर्क के तहत चल रहा है। इंफरमेशन टेक्नोलॉजी के मामले में पिछड़ी पुलिस के लिए इस नेटवर्क को भेदना खासा मेहनत वाला बन गया है।
एक जमाना था जब रेड लाइट एरिया से पकड़ी जाने वाली औरतें अपनी मजबूरियां बताती थीं, लेकिन अब पकड़ी जाने वाली अधिकतर लड़कियों के सामने मजबूरी नहीं बल्कि फाइव स्टार होटलों का ग्लैमर, सिक्कों की चमक और बढ़ती महत्वाकांक्षा है। कभी रेडलाइट एरिया और गली मोहल्लों में सिमटा यह धंधा अब बड़ी कोठियों, फार्म हाउस और बड़े होटलों तक पहुंच गया है। अब मसाज सेंटर या ब्यूटी पार्लर का भी इस्तेमाल इस धंधे में कम होता है ताकि इसमें शामिल लोगों की सामाजिक प्रतिष्ठा बरकरार रहे। रेड लाइट एरिया तक जाने में बदनामी का डर रहता है लेकिन आज के हाई प्रोफाइल सेक्स बाजार में कोई बदनामी नहीं, क्योंकि ग्राहक को मनचाही जगह पर मनचाहा माल उपलब्ध हो जाता है और किसी को कानों कान खबर तक नहीं होती। बस मोबाइल पर एक कॉल और इंटरनेट पर एक क्लिक से मनचाही कॉलगर्ल आसानी से उपलब्ध हो जाती है। हालांकि मजदूर वर्ग और लो प्रोफाइल लोगों के लिए अब भी रेडलाइट एरिया की गलियां खुली हैं लेकिन एचआईवी संक्रमण के खतरों ने वहां भीड़ कम जरूर कर दी है।
अब इस कारोबार में न केवल विदेशी लड़कियां शामिल हैं बल्कि मॉडल्स, कॉलेज गर्ल्स और बहुत जल्दी ऊंची छलांग लगाने की मध्यमवर्गीय महत्वाकांक्षी लड़कियों की संख्या भी बढ़ रही है। पुलिस के बड़े अधिकारी भी मानते हैं कि अब कॉलगर्ल और दलालों की पहचान मुश्किल हो गई है क्योंकि इनकी वेशभूषा, पहनावा व भाषा हाई प्रोफाइल है और उनका काम करने का ढंग पूरी तरह सुरक्षित है। यह न केवल विदेशों से कॉलगर्ल्स मंगाते हैं बल्कि बड़ी कंपनियों के मेहमानों के साथ कॉलगर्ल्स को विदेश की सैर भी कराते हैं।
कॉलगर्ल्स और दलालों का नेटवर्क दो स्तरों पर है। एक अत्यंत हाईप्रोफाइल है जिसमें फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाली और आधुनिक वेशभूषा वाली हाई फाई कॉलगर्ल हैं तो दूसरा नेटवर्क महाराष्ट्र, सिक्किम, पश्चिमी बंगाल, बिहार, नेपाल और भूटान से लाई गई बेबस लड़कियों का है। ग्राहक की मांग के अनुसार ही कॉलगर्ल उपलब्ध कराई जाती है। सेक्स के इस कारोबार में नये ग्राहक को प्रवेश बहुत मुश्किल से मिलता है। पकड़े जाने के डर से केवल पुराने व नियमित ग्राहकों को ही प्राथमिकता दी जाती है। जगह की व्यवस्था करने का रिस्क भी इस धंधे में लगे लोग नहीं लेते। यह व्यवस्था ग्राहक को स्वयं करनी होती है। ग्राहक को एक निश्चित स्थान पर कॉलगर्ल की डिलीवरी किसी मंहगी कार के माध्यम से कर दी जाती है। वहां से ग्राहक अपने वाहन से उसको मनचाहे स्थान पर ले जाता है। अमूमन यह स्थान बड़े होटल, बड़ी कोठियां या फिर फार्म हाउस होते हैं। दलाल पोर्न वेबसाइटों के जरिए एक-दूसरे से सम्पर्क साध कर अपना नेटवर्क मजबूत बनाते हैं। इंटरनेट पर हजारों ऐसी साइटें हैं जहां कॉलगर्ल्स की फोटो व उनका प्रोफाइल उपलब्ध रहता है जिन्हें देखकर ग्राहक अपना ऑर्डर बुक कर सकते हैं। दिल्ली पुलिस के उपायुक्त देवेश चंद श्रीवास्तव के अनुसार, 'विश्वसनीयता इस धंधे का प्रमुख हिस्सा है। कॉलगर्ल सीधी डील नहीं करती और किसी भी कीमत पर किसी नये ग्राहक से डील नहीं की जाती। पुराने सम्पर्क के आधार पर ही डील की जाती है। यही कारण है कि पुलिस जल्दी से इनकी पहचान नहीं कर पाती। इस धंधे में लगे लोगों के अपने कोडवर्ड हैं जिनका इस्तेमाल कर वह ग्राहकों से बातचीत करते हैं।Ó
वो जमाना गया जब किसी भी कॉलगर्ल या सेक्स वर्कर तक पहुंचने के लिए टैक्सी ड्राइवर, ऑटो चालक या किसी नुक्कड़ के पान विक्रेता को टटोलना पड़ता था, क्योंकि वेश्यावृत्ति में लिप्त महिलाओं के दलाल अक्सर इसी वर्ग के होते थे। यह दलाल ग्राहक को ठिकाने तक पहुंचाने के बाद बाकायदा वसूली करते थे। ऐसे कुछ दलाल ग्राहक और वेश्या दोनों से दलाली लेते थे जबकि कुछ केवल वेश्या से ही अपना हिस्सा मांगते थे लेकिन अब इस तरह के दलालों का जमाना गये वक्त की बात हो गई है।
सेक्स के कारोबार में अब दलालों की पहचान बदल गई है। वे हाई प्रोफाइल हो गये हैं, सेक्स कारोबारी बन गये हैं। ये सुसज्जित कार्यालयों में बैठते हैं और इनकी रिशेप्सनिस्ट ईमेल और मोबाइल पर आने वाली सूचनाओं के आधार पर कॉलगर्ल्स की बुकिंग करती है। ईमेल या मोबाइल पर ही ग्राहक को डिलीवरी का स्थान बता दिया जाता है और फिर निश्चित स्थान पर पूरी रकम एडवांस लेने के बाद कॉलगर्ल की डिलीवरी कर दी जाती है। जिस तरह व्यापारी अपने व्यापार में माल की क्वालिटी, ग्राहकों की पसंद, दुकान की ख्याति, स्टेंडर्ड आदि का ध्यान रखता है, उसी तरह सेक्स के ये कारोबारी भी अपने व्यापार को लेकर बहुत सजग हैं। वह अपने पास हर तरह का माल रखना पसंद करते हैं ताकि कोई ग्राहक खाली न लौटे। ग्राहक की पुलिस से सुरक्षा व पूर्ण संतुष्टि का भी दलाल ख्याल रखते हैं ताकि वह उनका स्थायी ग्राहक बना रहे। अब कॉलगर्ल या ग्राहक से इन्हें दलाली नहीं मिलती बल्कि यह खुद सौदा करते हैं और कॉलगर्ल्स को अपने यहां ठेके पर या फिर वेतन पर रखते हैं। उस अवधि में ठेकेदार इनकी सप्लाई कर कितना कमाता है इससे इन्हें कोई मतलब नहीं होता। जिस प्रकार किसी कर्मचारी के लिए काम के घंटे व छुट्टी के दिन निर्धारित होते हैं, उसी पर ठेके या वेतन पर काम करने वाली कॉलगर्ल्स के भी काम और आराम के दिन निर्र्धारित होते हैं। काम की एक रात के बाद उनकी अगली रात अमूनन आराम की होती है लेकिन अगली रात की भी मांग हो तो इन्हें अतिरिक्त भुगतान मिलता है।
गौर करने वाली बात यह भी है कि देह व्यापार का धंधा चलाने का यह हाई फाई तरीका मध्यप्रदेश के शहरों तक पहुंच चुका है। मध्यप्रदेश के व्यापारिक शहरों में बढ़ रहे देह व्यापार के कारोबार का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सतना जैसे मझोले शहर भी ऑन लाइन देह व्यापार के कारोबारियों के निशाने पर आ गए है. बकायदा वेब पेज बना कर उसमें मोबाइल नम्बर देकर चाही गई जगह पर देह उपलब्ध करने वालों ने खुलेआम कामन चैट रूम में जाकर अपना प्रचार भी कर रहे है.
ऐसा ही एक मामला विगत दिवस जियोसिटी के एक वेबपेज में खुली सेक्स दुकान से सामने आया है. यह वेबसाइट नियत राशि अदा करने पर चाही गई जगह पर कॉल गर्ल या कॉल ब्वाय भेजने की व्यवस्था कराती है. जो शहर इस साइट में कॉल गर्ल भेजने के लिये बताए गए हैं उनमें प्रदेश की राजधानी भोपाल सहित इन्दौर जबलपुर, सतना , ग्वालियर और इटारसी हैं. यह कारोबार किस सीमा तक पहुंच गया है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस वेबपेज में संपर्क करने के लिये बकायदा दो मोबाइल नम्बर दिये हैं.
आज के समय में इन्टरनेट देह के व्यापारियों के लिये सबसे सुरक्षित स्थान माना जाने लगा है और तेजी से फल फूल रहा है. इसकी सहायता से लोग बेखौफ होकर देह का कारोबार कर रहे हैं. इसी कारोबार का नमूना है जियोसिटी में लव नाम से बना वेबपेज. इसमें शुरुआत में कॉल गर्ल और कॉल ब्वाय की दुनिया में आने का स्वागत किया गया है. फिर आगे देश के किसी भी शहर के लिये निर्धारित राशि अदा करके सुविधा लेने की बात कही गई है. संपर्क के लिये बुकिंग का समय सुबह 10 बजे से दोपहर बाद 3 बजे तक का निर्धारित किया गया है तथा रविवार का दिन अवकाश घोषित है. यहां कॉल गर्ल की दर तीन हजार से 25 हजार तथा कॉल ब्वाय की दर 25 से 80 हजार तक बताई गई है. इसके बाद नीचे उन शहरों की सूची दी गई है जहां देह की सुविधा उपलब्ध करा सकते है. इसमें देश के सभी प्रमुख नगर भी शामिल है.वहीं दूसरी ओर कॉल ब्वाय के लिये विज्ञापन भी दिया गया है . साथ ही मोनिका नामक छद्म आईडी द्वारा याहू मैसेन्जर के कामन रूम में बकायदे इस साइट का प्रचार किया जा रहा है.अंत में यह बताया गया है कि इनकी किसी भी सेवा का लाभ लेने के लिये 50 फीसदी राशि अग्रिम तौर पर उनके बैंक अकाउंट में जमा करना पड़ेगा.
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की बात करें तो दर्जनों वेबसाइटें ऐसी हैं, जो भोपालमें कॉलगर्ल पहुंचाने का दावा करती हैं। इंटरनेट की जरा सी जानकारी रखने वाला व्यक्ति ऐसी वेबसाइटों को मात्र एक क्लिक पर ढूंढ सकता है। सिर्फ सर्च इंजन पर अपनी जरूरत लिखकर सर्च करने से ऐसी दर्जनों साइट्स के लिंक मिल जाएंगे। कुछ वेबसाइटों पर लड़कियों की तस्वीरें भी दिखाई गई हैं। वेबसाइटों पर कालेज छात्राएं, मॉडल्स और टीवी व फिल्मों की नायिकाएं तक उपलब्ध कराने के दावे किए गए हैं। कुछेक अपने पास विदेशी कालगर्ल होने का भी दावा करते हैं। धंधा चलाने वाले शातिर संचालकों ने वेबसाइट पर ज्यादा जानकारी नहीं छोड़ी है, जिससे पुलिस के हाथ उन तक पहुंच पाएं। धंधे के संचालकों के मोबाइल फोन इस साइट पर बड़े अक्षरों में कई जगह मिल जाएंगे। इनमें से ज्यादातर मोबाइल नंबर दिल्ली के हैं। वेबसाइट पर देश के अन्य शहरों में भी कालगर्ल उपलब्ध कराने के दावे किए गए हैं। इंटरनेट माहिरों के अनुसार भारत में पोर्न साइट पर पाबंदी है। शातिर संचालक वेबसाइट आउटसोर्सिग के जरिए अपनी वेबसाइट विदेशों से बनवा लेते हैं। साइबरफ्रेम साल्युशंस के सीईओ अनूप गुप्ता के अनुसार ऐसे लोग यह वेबसाइट अकसर विदेशी सर्वर पर बनवाते हैं। इन पर भारतीय कानून के तहत रोक लगाना मुश्किल हो जाता है।
देह व्यापार के धंधे में लगे लोगों के मुताबिक जिस तेजी से भोपाल एजुकेशन हब के रूप में उभर कर सामने आ रहा है उसी तेजी से यहां देह व्यापार का कारोबार पनप रहा है। भोपाल के कॉलेजों में पढऩे वाले कई विद्यार्थी अपनी पढ़ाई का खर्च जुटाने लिए देह व्यापार करते हैं. इस तरह से पैसे कमाने वाले विद्यार्थियों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है. छोटे छोटे शहरो और कस्बों से आए विद्यार्थी एस्कोर्ट का काम करने के विकल्प को मान लेते हैं या विचार करते हैं. हाई प्रोफाइल सेक्सकर्मी को एस्कोर्ट कहा जाता है.जानकार कहते हैं आधुनिकता की चकाचौध में एक दूसरे की देखा देखी अपनी आवश्यकताओं को पूरी करने के लिए विद्यार्थियों को 'इंटरनेट पर अश्लील फि़ल्मÓ, 'अश्लील बातेंÓ और देह व्यापार जैसा काम करना पड़ता है. सेक्स से जुड़ी बातें हर जगह है. अब देह व्यापार के प्रति मध्यमवर्गीय लोग उदार हो रहे हैं और इसे करियर बनाने के लिए एक अच्छा रास्ता मानते हैं. आचरण संबंधित सारी बातें अब बिल्कुल बदल गई है.
भोपाल के एक प्रसिद्व होटल के मालिक का कहना है कि मेरे ख्याल से यहां विद्यार्थियों की स्थिति काफ़ी खराब है और इन्हें पर्याप्त मदद नहीं मिलती है.देह व्यापार में मिलने वाला अच्छा पैसा और पूरे होने वाले बड़े शौक में अब कॉलेज की लड़कियों की तादात बढ़ती ही जा रही है। पुलिस के अनुसार अपने शौक पूरा करने के लिए बड़े घराने की लड़कियां इस धंधे में सबसे ज्यादा आ रही हैं, खासकर पढ़ाई कर रही लड़कियां मां-बाप से दूर रहकर इस धंधे में जुड़ती हैं। पुलिस के मुताबिक यहां पर प्रतिदिन बड़ी तादात में लड़कियां लाई जाती हैं और हर दिन तकरीबन एक लाख से 80 हजार तक की कमाई की जाती है। यह भी पाया गया कि लड़कियों की सप्लाई दूसरे राज्यों में किया जाता था।

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