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भेड़ाघाट

Tuesday, March 21, 2017

घडिय़ाल के रहवास को रौंद रहा माफिया

धारा 144 के बीच भी हो रहा अवैध खनन
सोन नदी के लिए अभिशाप बना सुनहरा बालू
भोपाल, सीधी, रीवा, सिंगरौली, उमरिया। मध्यप्रदेश के अमरकंटक पहाड़ी से निकली सोन नदी उत्तर प्रदेश, झारखंड के पहाडिय़ों से गुजरते हुए वैशाली जिले के सोनपुर में जाकर गंगा नदी में मिल जाती है। 784 किमी लंबी इस नदी में जितना अवैध खनन मप्र में होता है उतना और किसी राज्य में नहीं। सुनहरे पानी और सुनहरे रेत वाली सोन नदी के मप्र के हिस्से में खनन प्रतिबंधित है। इसके बावजुद घडिय़ालों के इस रहवास को माफिया द्वारा रौंदा जा रहा है। आलम यह है की सीधी में तो इस नदी के किनारे धारा 144 लगी हुई है, लेकिन माफिया सब पर भारी पड़ रहा है। मिट्ठे पानी की यह नदी मप्र में घडिय़ालों के लिए जानी जाती है। सोन नदी देश की उन चुनिंदा नदियों में है, जहां घडिय़ाल पलते हैं। 1980-81 में वन विभाग ने घडिय़ालों की प्रचुरता को देखते हुए घडिय़ाल सेंचुरी घोषित कर दिया। तब से सोन नदी के 44 किमी के हिस्से व सहायक गोपद, बनास नदी से रेत निकासी पर प्रतिबंध लगा हुआ है। इस नदी में अवैध खनन रोकने के लिए सरकार और जिला प्रशासन ने सख्त कदम उठाए हैं, लेकिन माफिया सब पर भारी पड़ रहा है। ऊंचे बीहड़ को किया सपाट सोन नदी का प्रतिबंधित क्षेत्र रीवा संभाग के तीन जिलों सतना, सीधी और सिंगरौली की पांच तहसीलों में आता है। माफिया मिलीभगत से इस नदी में से मशीनों से रेत निकालते हैं। इसका असल सोन घडिय़ाल सेंचुरी पर भी पड़ता है। इसको देखते हुए इस नदी में खनन प्रतिबंधित है। प्रतिबंध के बाद भी हो रहे अवैध खनन को रोकने के लिए सशस्त्र बल की तैनाती और धारा 144 लगाई गई है। लेकिन इसके बाद भी प्रशासन रेत का अवैध खनन और परिवहन रोकने में नाकाम रहा है। तमाम सख्ती के दावों के बावजूद बेखौफ रेत माफिया सोन नदी के किनारों को ध्वस्त कर सड़क बना दी। जिसके जरिए सीधी के साथ ही विंध्य के पांच जिलों रीवा, सतना, सिंगरौली और उमरिया में रेत भेजी जा रही है। रेत माफिया ने भितरी (कलचा) घाट पर नदी द्वारा बनाए गए ऊंचे बीहड़ों को ढहाकर सपाट कर दिया गया। ताकि उनकी पहुंच सोन नदी पर आसान हो सके। घाट से लेकर नदी के बेड एरिया तक पहियों के निशान को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस बेरहमी तरीके से सोन नदी की कोख में पलने वाले घडिय़ाल के रहवास को रौंदा जा रहा है। पुलिस और प्रशासन की मिलीभगत सोन नदी में माफिया अवैध खनन पुलिस और प्रशासन के साथ मिलीभगत करके कर रहा है। रेत माफिया का खौफ ऐसा है कि कोई बोलने की हिम्मत ही नहीं करता। रात के वक्त वाहनों की रेलमपेल ऐसी की कोई घर से निकलने की हिम्मत ही नहीं करता। रात 11 बजे से लेकर तड़के 5 बजे तक सतना जिले के सरिया से लेकर सिहावल तक रेत की अवैध निकासी होती है। यह सब इतना संगठित और सुनियोजित है कि कुछ ही घंटों में ट्रक और डंपर भर ही नहीं बल्कि भारी मशीनें भी नदी में पहुंच जाती हैं। सोन घडिय़ाल सेंचुरी का प्रबंधन संजय टाइगर रिजर्व के हाथ है, जो पहले ही सुरक्षा को लेकर हाथ उठा चुका है। वन अधिकारियों का कहना है कि जितना अमला उनके पास है, उससे इतने लंबे नदी के हिस्से की निगरानी नहीं की जा सकती है। इन घाटों से काला कारोबार सोन नदी की रेत के काले कारोबार को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल सख्त है। वह पिछले तीन साल से लगातार सुनवाई कर रहा है और आदेश भी जारी कर रहा है। एनजीटी के निर्देश पर ही कुछ दिनों के लिए नौंवी बटालियन का सशस्त्र बल तैनात किया गया था। लेकिन वर्तमान में रेत माफिया ने भंवरसेन, बुरासिन, खैरा, सजहा, घुंघुटा, भितरी, हुनमानगढ़, दुअरा, कुर्रवाह, अमरवाह, डेम्हा, देवघटा, खड़बड़ा, सोनवर्षा, लिलवार, पमरिया, बमुरी, रामपुर, गेरूआ, केतकिन, मेढ़ौली, बघोर, नकझर, कुंकरांव आदि घाट रेत के अवैध खनन और परिवहन कर रहा है। सरपंच को जान से मारने की धमकी सोन नदी में अवैध खनन करने वाले इस कदर बेखौफ हैं कि उन्हें न पुलिस का भय है न ही प्रशासनिक कार्रवाई का। अभी हालही में सीधी जिले के रामपुर नैकिन थाना क्षेत्र के घुंघुटा गांवके सरपंच दुर्गा प्रसाद कोल ने अवैध रेत निकासी रोकने के लिए थाने में शिकायत की तो माफिया उनको हत्या की धमकी दी है। सरपंच ने यह शिकायत कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक के साथ एजीटी भोपाल में भी दर्ज कराई है। सरपंच ने बताया कि घुंघुटा, सजहा में सोन नदी से रात-दिन रेत की अवैध निकासी होती है। आरोप लगाया कि इसमें पुलिस की भी मिलीभगत है। सीएम के निर्देश पर भी नहीं रुका उत्खनन पवित्र नगरी अमरकंटक में मां नर्मदा सेवा यात्रा के शुभारंभ के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने निर्देश दिए थे कि प्रदेश की किसी भी नदी से जेसीबी लगाकर अवैध उत्खनन न करने दिया जाए पर सीएम के इस निर्देश की उमरिया जिले में धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। प्रशासनिक अमले की उदासीनता के कारण खनिज माफिया खुलेआम नदी नालों से जेसीबी लगाकर रेत का अवैध उत्खनन कर रहे हैं। इस बारे में खनिज अमले का कहना है कि पुलिस का सहयोग न मिलने के कारण वे कार्रवाई नहीं करते क्योंकि कई बार उन पर भी अटैक हो जाता है। बरहाल जो भी जिले में रेत और कोयले का अवैध उत्खनन कर धरती का सीना छलनी करने वालों की चांदी है और वे डंके की चोट पर कोयला एवं रेत का अवैध उत्खनन कर रहे हैं। नहीं होती कार्रवाई जिलेभर में रेत का अवैध उत्खनन जारी है लेकिन कहीं भी वन विभाग, पुलिस या खनिज द्वारा कार्रवाई नहीं की जा रही है। करकेली के आसपास पठारी, बदबदा, उजान, बीट के जंगल में स्थित भदभदा नाला, उजान नाला, पड़रिहा नाला से रात को रेत निकाली जाती है। हर रात यहां से 50 ट्रैक्टर ट्राली रेत पार हो रही है। नौरोजाबाद के ग्राम कुदरी के बिसना नाला तथा चफरी के जंगल से रेत निकाली जा रही है। यहां कई जगह से कोयला भी निकल रहा है पर कार्रवाई पूरी तरह से शून्य है। बिरसिंहपुर पाली के अमहा नाला, गोयरा, बन्नौदा नाला, परसौरा नाला, बेली नाला, पुरावल नाला, करकटी नाला, बरहाई, मुदरिया तथा बरम टोला से रेत निकाली जा रही है। यहां रामपुर बीट के एक फॉरेस्ट गार्ड पर तो लोगों ने हर ठेकेदार से प्रतिमाह 2500 रुपए लेने का आरोप भी लगाया है और इसकी लिखित शिकायत भी की गई है। मानपुर में चरणगंगा नाले से रेत का अवैध उत्खनन कई घाटों से किया जा रहा है। ताला से लेकर वहां तक इस नाले से रेत का उत्खनन हो रहा है जहां ये नाला सोन नदी में जाकर मिलता है। इसके अलावा बल्हौड़, सिगुड़ी, सेमरा तथा भड़ारी नदी से रेत का अवैध उत्खनन हो रहा है। मानपुर की एक पंचायत मे जनप्रतिनिधि ही उत्खनन करवा रहा है। बिलासपुर क्षेत्र अंतर्गत करुआ में इन दिनों जमकर अवैध उत्खनन हो रहा है। यहां से रेत का अवैध उत्खनन कर इसे शहपुरा ले जाया जा रहा है। कलेक्टर ने बनाई अपनी टीम सिंगरौली में तो प्रशासन अवैध खनन रोकने में फेल हो गया है। मुख्यमंत्री के निर्देश के प्रशासन थोड़ा सख्त हुआ तो पुलिस और जंगल विभाग के अधिकारियों ने खनिज करोबारियों के बीच इस बात की खबर लीक कर दी। इसको देखते हुए कलेक्टर शिवनारायण सिंह चौहान ने अवैध रेत परिवहन पर अंकुश लगाने के लिए टीम बनाई है। यह टीम अवैध रेत परिवहन पर निगरानी रखेगी। अवैध रेत के परिवहन की सूचना मिलने पर टीम मौके पर पहुंचकर कार्रवाई करेगी। दरअसल सिंगरौली में जियावन पुलिस के संरक्षण में रेत का अवैध करोबार चल रहा है। मजौना नदी से रेत निकाली जा रही है, जो मजौना, सहुआर, होते हुए खोभा देवसर पहुंचती है। जहां से आसपास के गांव मेें सप्लाई की जाती है। रेत का अवैध करोबारा निगरी, गढ़वा, चितरंगी एवं मोरवा में बड़े पैमाने पर होता है। इसको पुलिस एवं जंगल विभाग के अधिकारियों का संरक्षण है। पुलिस ने कुछ लोगों को संरक्षण दे रखा है वे बेखौफ रेत की सप्लाई करते हैं। उनके अलावा जो लोग सप्लाई करते हैं उन्हें ट्रैक्टर कभी-कभी पकड़ा जाता है। इनका कहना है -अभी मैं साऊथ कोरिया में हूं। वैसे सोन नदी में खनन प्रतिबंधित है। जहां कहीं भी खनन होता है उसके खिलाफ कार्रवाई की जाती है। जहां भी अवैध खनन की शिकायत होती है खनिज विभाग और पुलिस संयुक्त रूप से कार्रवाई करती है। अभय कुमार वर्मा कलेक्टर, सीधी -सोन नदी में अवैध खनन वाले क्षेत्र में प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित कर धारा 144 लगाने के बाद सुरक्षा बल हटा लिया गया। 16 फरवरी को फिर सुनवाई है, जिसमें वन, राजस्व अधिकारियों के साथ ही कलेक्टर और मप्र शासन को स्टेट्स रिपोर्ट पेश की जानी है। नित्यानंद मिश्रा अधिवक्ता, एनजीटी सीधी - जिले में स्कूल, आंगनवाड़ी, खदान सहित अन्य कार्यों की निगरानी के लिए टीम बनाई गई है। यह टीम कभी भी कही भी औचक निरीक्षण करने पहुंचेगी। शिवनारायण सिंह चौहान कलेक्टर, सिंगरौली -वैध खनन की आड़ में अवैध खनन हो भी रहा है तो चोरीछिपे ही। प्रशासन अवैध खनन को लेकर सतर्क है। अगर अवैध खनन हो रहा है तो उसे रोकने टीम भेजी जाएगी। अभिषेक सिंह कलेक्टर, उमरिया

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