bhedaghat

bhedaghat
भेड़ाघाट

Tuesday, March 21, 2017

नेता पुत्रों के राज 'तिलकÓ की बिसात

उत्तर प्रदेश में टूटी मोदी की आस, मप्र उल्लास
मप्र के एक दर्जन मंत्रियों के 'लालÓ ठोक रहे ताल
भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की समझाइस के बाद भी उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने टिकटों के वितरण में जिस तरह परिवारवाद और वंशवाद को प्राथमिकता दी है उससे मप्र के नेताओं में उल्लास है। इसके साथ ही एक बार फिर से प्रदेश में नेता पुत्रों के राज 'तिलकÓ की राजनीतिक बिसात बिछने लगी है। आलम यह है कि युवराजों को भारतीय जनता युवा मोर्चा में पद दिलाने के लिए नेताओं ने लॉबिंग तेज कर दी है, वहीं नेता पुत्रों ने अपने पिता की विरासत संभालने के लिए उनके क्षेत्र में सक्रियता बढ़ा दी है। आलम यह है कि प्रदेश के करीब एक दर्जन मंत्रियों के बेटों सहित कई नेताओं के 'लालÓ राजनीति के अखाड़े में ताल ठोक रहे हैं। उल्लेखनीय है की मोदी द्वारा भाजपा नेताओं को परिवार के सदस्यों के टिकट के लिए दबाव न बनाने की नसीहत के बाद 10 और 11 जनवरी को सागर में आयोजित प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में पार्टी ने राजनीतिक प्रस्ताव पारित कर परिवारवाद और वंशवाद में मुक्त रहने का संकल्प लिया है। हालांकि इसको लेकर नेता एकमत नहीं थे। लेकिन प्रस्ताव के बाद ऐसा लगने लगा था कि अब कम से कम मप्र में तो ऐसा नहीं दिखेगा। लेकिन उत्तर प्रदेश में मोदी के मंत्र को तार-तार होता देख यहां भी नेता पुत्रों के लिए बिसात बिछने लगी है। सोशल मीडिया पर छाए युवराज मप्र में लगभग हर मंत्री या नेता के बेटा-बेटी या परिजन राजनीति में अपना मुकाम बनाने में जुटे हुए हैं। कोई नेताजी के क्षेत्र में सक्रिय है तो अधिकांश सोशल मीडिया पर। आलम यह है की फेसबुक, ट्विटर और वाट्सएप पर नेता पुत्र हर मुद्दे पर अपनी राय बढ़-चढ़ कर दे रहे हैं। यही नहीं चौक-चौराहों पर भी नेता पुत्रों की सक्रियता नजर आने लगी है। इनमें से कुछ वे चेहरे हैं जो पिछले कई सालों से सक्रिय हैं और भारतीय जनता युवा मोर्चा के माध्यम से अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा पूरी करने की जुगाड़ में हैं। वहीं कुछ चेहरे ऐसे हैं जिनका नाम पहली बार चर्चा में आया है। मप्र में पहली बार ऐसा दृश्य देखने को मिल रहा है कि विधानसभा चुनाव से सालों पहले हाईप्रोफाइल नेताओं के पुत्र और उनके अन्य रिश्तेदार राजनीतिक परवाज भरने की तैयारी कर रहे हैं। सत्तारुढ़ भाजपा और 13 सालों से सत्ता से दूर खड़ी मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के कई नेताओं के पुत्रों की सियासी और सामाजिक गतिविधियों में एकदम इजाफा होने लगा है। पिछले कुछ दिनों से फेसबुक हो या व्हाट्सएप, सभी जगह कद्दावर भाजपा नेताओं के पुत्रों को जन्मदिन की बधाईयों का तांता लगा रहा। नेता पुत्रों के जन्मदिन के बहाने अपनी राजनीति चमकाने वालों में ऐसे लोग काफी आगे रहे जो इनकी ब्रांडिंग की आड़ में भारतीय जनता युवा मोर्चा के पदाधिकारी बनने की दौड़ में शामिल हैं। बता दें कि जल्द युवा मोर्चा की प्रदेश कार्यकारिणी का गठन होना है। इसके अलावा मोर्चा की जिला टीम के भी नए सिरे से गठन किए जाने के आसार हैं। राजनीति की पाठशाला में दस्तक मप्र की राजनीति में नेता पुत्र हमेशा से सक्रिय रहे हैं। लेकिन वर्तमान समय में सबसे अधिक भाजपा नेताओं के पुत्र सक्रिय हैं। इनमें से कुछ राजनीति की पाठशाला के माहिर खिलाड़ी बन गए हैं तो कुछ को राजनीति की बारिकियां सीखाई जा रही हैं। नई पीढ़ी में राजनीतिक दस्तक देने वालों में मुख्यमंत्री के बेटे कातिर्केय के अलावा कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय, राज्य के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव और वित मंत्री जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ मलैया, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे देवेंद्र प्रताप सिंह तोमर उर्फ रामू, राज्यसभा सांसद प्रभात झा के पुत्र तुष्मुल झा और प्रदेश की काबीना मंत्री माया सिंह के बेटे पीतांबर सिंह इस साल सक्रिय राजनीति का हिस्सा बनने वाले हैं। हालांकि, माया सिंह के बेटे पार्टी में राष्ट्रीय स्तर पर एक कमेटी की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। इनके अलावा प्रदेश सरकार के वरिष्ठ मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा के बेटे सुकर्ण मिश्रा, गौरीशंकर शेजवार के पुत्र मुदित शेजवार, गौरीशंकर बिसेन की पुत्री मौसम बिसेन हिरनखेड़े, पारस जैन के बेटे संदेश जैन, कुसुम मेहदलेे के भतीजे पार्थ मेहदले, पीडब्ल्यूडी मंत्री रामपाल सिंह के बेटे दुर्गेश राजपूत, उद्यानिकी मंत्री सूर्यप्रकाश मीणा के बेटे देवेश राजनीतिक मैदान में उतरने की पूरी तैयारी कर चुके हैं। लगभग ये सभी नेता पुत्र-पुत्री पार्टी के कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं और पिता के करीबियों के साथ रहकर राजनीति सीख रहे हैं। कार्तिकेय चौहान..... भाजपा का अभेद्य गढ़ माने जाने वाले सीहोर जिले खासकर बुदनी विधानसभा क्षेत्र में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के ज्येष्ठ पुत्र कार्तिकेय ने क्षेत्र की राजनीतिक गतिविधियां तेज कर दी है। वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव के दौरान इन्होंने पिता के चुनाव की कमान संभाली थी। 2016 के अक्टूबर में वे एक बार फिर से चर्चा में आ गए जब उन्होंने अपनी दादी स्मृति में आयोजित कार्यक्रम में सक्रिय नजर आए। 21 साल उम्र पार कर चुके कार्तिकेय चौहान के राजनीति में पदार्पण की चर्चा जोर पकडऩे लगी है। दरअसल, कार्तिकेय चौहान इन दिनों राजनीतिक और सामाजिक कार्यक्रमों में सक्रिय नजर आ रहे हैं। साथ ही उनकी सक्रियता की चर्चा जोर भी पकड़ रही है और उनके आयोजनों का प्रचार प्रसार भी भाजपा की देख रेख में हो रहा है। इसलिए एक बार फिर सवाल उठ रहे हैं कि शिव के कार्तिकेय कहीं पिता के नक्शे कदम पर चलने की तैयारी में तो नहीं है। कार्तिकेय फिलहाल लॉ की पढ़ाई कर रहे हैं और जल्द ही उनकी डिग्री पूरी होने वाली है। 2013 विधानसभा चुनाव के समय पर कार्तिकेय ने 18 साल उम्र पूरी होने पर मतदाता सूची में अपना नाम जुड़वाया था और अपने मुख्यमंत्री पिता की व्यस्तता के चलते पिता के चुनाव अभियान की कमान संभाली थी और पिता के प्रतिनिधि के तौर पर पूरे बुधनी विधानसभा क्षेत्र में प्रचार किया था। उसी समय उनकी राजनीति में पदार्पण की बात उठी थी, लेकिन तब शिवराज सिंह चौहान ने हंसकर टाल दिया था। हालांकि उन्होंने कहा था कि कार्तिकेय सामाजिक और पारिवारिक कार्यक्रमों में बढ़ चढ़कर भाग लेता हैं और सक्रिय भी रहता है, लेकिन अभी उसके पढऩे लिखने का समय है। फिलहाल कार्तिकेय 21 साल की उम्र पार कर चुके हैं और उनकी सामाजिक सक्रियता लगातार बढ़ती जा रही है। भाजपा के कार्यक्रमों के अलावा पिता के विधानसभा क्षेत्र बुधनी में उनकी सक्रियता देखने को मिलती है। जहां तक उनके उम्र के लिहाज से आकलन किया जाए तो 2018 का चुनाव उनके लिए राजनीति का पूर्वाभ्यास माना जा सकता है और उसके बाद वो उम्र के उस मुंहाने पर पहुंच जाएंगे कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव के जरिए अपनी राजनीतिक पारी शुरू कर सकेंगे। आकाश विजयवर्गीय....... मध्यप्रदेश भाजपा के कद्दावर नेता व पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का कद पार्टी में लगातर बढ़ते जा रहा है। खासकर अमित शाह के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद उनका कद पार्टी में तेजी से बढ़ रहा है। वो राष्ट्रीय राजनीति में अमित शाह के खास रणनीतिकारों में शामिल है। कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय आगामी विधानसभा चुनाव में अपने पिता की महू सीट से उम्मीदवार बन सकते हैं। बताया जा रहा है कि केंद्रीय राजनीति में कद बढ़ जाने के कारण कैलाश विजयवर्गीय अब राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय रहना ज्यादा पसंद करेंगे। ऐसे में माना जा रहा है कि 2018 विधानसभा चुनाव में महू विधानसभा सीट से कैलाश नहीं आकाश विजयवर्गीय ही प्रत्याशी भी होगें। जहां तक आकाश के राजतिलक के लिए कैलाश विजयवर्गीय के प्लान की बात करें तो 2013 में आकाश के जन्मदिन के मौके पर कैलाश विजयवर्गीय सोशल साइट्स के जरिए आकाश को विरासत सौंपने का एलान कर चुके हैं। हालांकि ये उस समय की राजनीतिक परिस्थितियों का आंकलन करने के लिए कैलाश विजयवर्गीय ने दांव खेला था, लेकिन इसमें कहीं न कहीं आकाश के भविष्य का संकेत था। हालांकि पिछले साल कैलाश ने कहा था कि आकाश की राजनीति में कोई रुचि नहीं है। वह मेरे कहने पर ही महू जाता है। उसकी आध्यात्मिक क्षेत्र में रुचि बढ़ती जा रही है। बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव से ही आकाश विजयवर्गीय को कैलाश का उत्तराधिकारी माना जा रहा है। कैलाश के समर्थक भी आकाश का स्वागत कर रहे हैं। अनेक अवसरों पर होर्डिंग्स में आकाश के फोटो प्रमुखता से प्रकाशित किए जा रहे हैं। आकाश जिस तरह इंदौर और महू में सामाजिक और धार्मिक कार्यों में सक्रिय रहते हैं उससे कयास लगाए जा रहे हैं कि वे जल्द ही घोषित तौर पर अपने पिता की विरासत संभाल लेंगे। अभिषेक भार्गव....... अभिषेक प्रदेश सरकार के मंत्री गोपाल भार्गव के पुत्र हैं और युवा मोर्चा में प्रदेश उपाध्यक्ष है। प्रदेश की राजनीति में लगातार सात चुनावों से जीत हासिल करते आ रहे सूबे के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव ने भी अपनी राजनीति के साथ-साथ अपने बेटे के राजनीतिक पदार्पण की तैयारी कर ली है। हालांकि पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी के नियम के चलते वो अपने बेटे को लोकसभा चुनाव चाह कर भी नहीं लड़वा पाए, क्योंकि पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए नियम बना दिया था कि सीएम और मंत्री के परिवारों के किसी भी सदस्य को टिकट नहीं दिया जाएगा। ऐसे में गोपाल भार्गव चाहकर भी अपने बेटे को टिकट नहीं दिला पाए जबकि वो बुंदेलखंड की तीन लोकसभा सीट सागर, दमोह और खजुराहो में से कही भी चुनाव लडऩे के लिए तैयार थे। जहां तक अभिषेक की राजनीतिक सक्रियता की बात करें तो बुंदेलखंड इलाके में अभिषेक पिता की राजनीतिक विरासत एक तरह से संभाल चुके हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में तो अपने पिता के प्रतिनिधि के तौर पर वोट मांगने के लिए वो ही विधानसभा क्षेत्र रहली में जनसंपर्क में सक्रिय रहे थे क्योंकि गोपाल भार्गव ने फैसला किया था कि वो पिछले 30 सालों से क्षेत्र की जनता की सेवा कर रहे हैं और अब वोट मांगने नहीं जाएंगे, अगर जनता उनकी सेवा और समर्पण से खुश होगी तो खुद वोट देगी। ऐसे में अपने पिता के प्रतिनिधि के तौर पर अभिषेक भार्गव ने ही वोट मांगे थे, लेकिन माना जा रहा है कि गोपाल भार्गव अपने बेटे को लोकसभा पहुंचाना चाहते हैं और मध्यप्रदेश की राजनीति में खुद सक्रिय रहना चाहते हैं। पार्थ मेहदले...... पीएचई मंत्री कुसुम मेहदेले के भतीजे पार्थ मेहदेले पन्ना की राजनीति में खासे सक्रिय हैं। पार्थ अभी पन्ना में युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष हैं। अगले चुनाव तक कुसुम मेहदेले 75 की उम्र पार कर जाएंगी ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि पार्टी उनका टिकट काट सकती है। इसको देखते हुए पार्थ ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। वैसे पार्थ पिछले दो विधानसभा चुनावों से अपनी बुआ के चुनावी मैनेजमेंट को संभाल रहे हैं। पार्थ का परिवार जनसंघ के जमाने से ही पार्टी से जुड़ा हुआ है इसलिए उनकी राजनैतिक हैसियत सब जानते हैं। वैसे पार्थ पन्ना में निरंतर सक्रिय हैं और पार्टी के हर कार्यक्रम में उनकी सक्रियता रहती है। सिद्धार्थ मलैया......... वित्त मंत्री जयंत मलैया के पुत्र सिद्धार्थ मलैया पूर्व में भारतीय जनता युवा मोर्चा में प्रदेश कार्यकारिणी की सदस्य रह चुके हैं। वे इस बार भी पद के दावेदार हैं। वित्तमंत्री जयंत मलैया की बात करें तो इनकी विरासत उनके बेटे सिद्धार्थ को सौंपे जाने की तैयारी चल रही है। क्योंकि 2018 के चुनाव के समय जयंत मलैया करीब 72 साल के हो चुके होंगे। ऐसे में उम्र का फार्मूला लागू हो जाने के कारण जयंत मलैया हो सकता है कि आगामी विधानसभा चुनाव खुद न लड़कर अपने बेटे को अपनी राजनीतिक विरासत सौंप दे। वैसे 2008 के विधानसभा चुनाव में महज 130 वोटों से जीतने के बाद निराश जयंत मलैया ने एलान कर दिया था कि ये चुनाव उनका आखिरी चुनाव होगा, लेकिन पार्टी के दबाब के चलते उन्हें 2013 में फिर चुनाव लडऩा पड़ा था। हालांकि इस चुनाव में उन्होंने 2008 की अपेक्षा अच्छा प्रदर्शन किया था और करीब साढे चार हजार वोटों से जीते थे। लेकिन इस चुनाव के बाद भी उन्होनें आखिरी चुनाव की बात कही थी। वहीं 2013 के विधानसभा चुनाव में जयंत मलैया के चुनाव की पूरी जिम्मेदारी उनके अमेरिका में पढ़े बेटे सिद्धार्थ के कंधों पर थी और 2008 की अपेक्षा 2013 में अच्छा प्रदर्शन सिद्धार्थ के बदौलत ही माना गया था। सिद्धार्थ जहां मिशन ग्रीन दमोह और सामूहिक कन्या विवाह आयोजन के जरिए दमोह विधानसभा क्षेत्र में लोकप्रिय हो रहे हैं तो उन्होंने 2013 के बाद एक तरह से दमोह के विधायक की भूमिका संभाल ली है। वित्तमंत्री पिता भोपाल की राजनीति में सक्रिय रहते हैं और दमोह क्षेत्र में सिद्धार्थ ही सक्रिय रहते हैं। दमोह के स्थानीय लोगों की माने तो इस चुनाव में सिद्धार्थ को जयंत मलैया की राजनीतिक विरासत सौंप दी जाएगी। देवेंद्र प्रताप सिंह तोमर........ केंद्रीय पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के बेटे देवेन्द्र सिंह तोमर पिता की जिम्मेदारी संभालने के लिए तैयार हैं। नरेन्द्र तोमर का मध्यप्रदेश की सत्ता और संगठन में खासा दखल है और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी नरेन्द्र सिंह तोमर और संगठन में उनकी राय का विशेष महत्व है। जब से नरेन्द्र सिंह तोमर केंद्र में मंत्री बने हैं, उनकी मध्यप्रदेश में सक्रियता कम हुई है, हालांकि शिवराज सिंह सरकार और प्रदेश संगठन के लिए वो हमेशा उपलब्ध रहते हैं, लेकिन आम जनता के बीच अब उनकी मौजूदगी उनके बेटे देवेन्द्र सिंह तोमर के रूप में होती है। ग्वालियर चंबल की राजनीति में अहम स्थान रखने वाले नरेन्द्र सिंह तोमर के बेटे के जलवे की चर्चा भी इन दिनों खूब है। बताया जाता है कि ग्वालियर इलाके में मंत्री पुत्र का काफिला किसी मंत्री के काफिले से कम नहीं होता है, वो जहां पहुंचते हैं उनका स्वागत मंत्री की तरह ही होता है और कार्यकर्ता से लेकर अच्छे-अच्छे नेता भी देवेन्द्र सिंह तोमर के इर्द गिर्द नजर आते हैं। इन संकेतों के आधार पर माना जा रहा है कि राष्ट्रीय राजनीति में पदार्पण करने के बाद अब नरेन्द्र सिंह तोमर मध्यप्रदेश की राजनीति की विरासत अपने बेटे को सौंपने वाले हैं। पिता की मंशा के चलते देवेन्द्र ने राजनीतिक सक्रियता बढ़ा दी है। बताया जाता है कि जल्द ही इनकी सक्रिय राजनीति पार्टी के युवा मोर्चा या दूसरे बड़े मोर्चे से शुरू कराई जाएगी ताकि 2018 में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ाया जा सके। रामू तोमर पिता व उनके खास साथियों के साथ रहकर ही राजनीति के गुर सीख रहे। पार्टी में किसी पद पर नहीं है और कोई जिम्मेदारी नहीं निभाई। लेकिन नरेंद्र सिंह के कहने पर पार्टी के युवा से लेकर कई वरिष्ठ नेता रामू को जनता के सामने बतौर नेता पेश करते हैं। रामू कहते हैं कि मैं 2008 से भाजपा का सदस्य हूं और लगातार पार्टी के लिए काम कर रहा हूं। सामाजिक व खेल के क्षेत्र में अपना योगदान देने के साथ समाज सेवा कर रहा हूं। पीतांबर सिंह... ग्वालियर की राजनीति में इनदिनों मप्र की कैबिनेट मंत्री माया सिंह व पूर्व मंत्री ध्यानेंद्र सिंह के पुत्र पीतांबर सिंह की जोरदार चर्चा है। एक सीमेंट कंपनी के सीएंडएफ बनकर बिजनेस कर रहे पीतांबर सिंह भाजपा की टूरिज्म कमेटी में राष्ट्रीय चेयरमैन रह चुके हैं। अब वे ग्वालियर-चंबल संभाग में सोशल एक्टिविटी के माध्यम से राजनीति में पैर जमाने की कोशिश कर रहे हैं। बताया जाता है कि पिता व मां दोनों ही भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं और पार्टी नेतृत्व के अलावा आरएसएस में खासी पकड़ का फायदा उन्हें मिलेगा। हालांकि सार्वजनिक तौर पर स्थानीय राजनीति से अभी दूर बने हुए हैं। ग्वालियर में पार्टी के किसी भी आयोजन में नहीं देखा जाता। पितांबर कहते हैं कि मेरा जन्म ही राजनीतिक परिवार में हुआ है। मैं पार्टी के लिए काम करता हूं तथा पार्टी की ओर से मिलने वाली जिम्मेदारी को निभाता हूं। मौसम बिसेन हिरनखेड़े.... किसान कल्याण मंत्री गौरीशंकर बिसेन की बेटी मौसम बिसेन भी राजनीति में सक्रिय हैं। वे पिता की अनुपस्थिति में क्षेत्र भी संभालती है। भाजपा युवा नेत्री एवं युवा जोड़ो अभियान की संयोजिका मौसम हिरनखेड बिसेन की नई सोच पर बालाघाट के युवा कायल हैं। जिले के युवाओं की मांग है कि बालाघाट के विकास में मौसम की नई सोच सफलतम साबित हो सकती है। देखा जाए तो मौसम उच्च शिक्षा प्राप्त हैं और आज युवाओं को ऐसे नेतृत्व की दरकार है। पिछले लोकसभा चुनाव में भी राजनीति गलियारों में भाजपा की उम्मीदवारों की दौड़ में मौसम का नाम उछला था। अब एक बार फिर से मौसम सक्रिय नजर आ रही है। युवा मोर्चा में पद की दावेदारी भी कर रही हैं। डा. सुकर्ण मिश्रा...... पिता नरोत्तम मिश्रा की ही तरह मिलनसार और यार दिल डा. सुकर्ण मिश्रा दतिया और आसपास के क्षेत्रों खासे चर्चित हैं। विभिन्न धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक गतिविधियों में उनकी सशक्त भागीदारी दतिया में खुब दिखती है। वर्तमान में भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं के तौर पर वे सांगठनिक गतिविधियों में व्यस्त रहते हैं। कभी युवा मोर्चा कार्यकर्ताओं की कर तो कभी खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन कर जनता के बीच अपनी पैठ बना रहे हैं। डॉ. सुकर्ण पिता से अभी राजनीति की बारिकियां सीख रहे हैं साथ ही भारतीय जनता युवा मोर्चा में पद के लिए दावेदारी भी मजबूत कर रहे हैं। अभी हालही में डा. सुकर्ण के जन्म दिन पर दतिया में उनकी लोकप्रियता देखने को मिली। पूरे जिले में उनका जन्म दिन हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। मुदित शेजवार.... अभी हाल ही में वन मंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार द्वारा अगला चुनाव न लडऩे की घोषणा के बाद उनके पुत्र मुदित शेजवार का 2018 का विधानसभा चुनाव लडऩा लगभग तय माना जा रहा है। इसलिए मुदित इनदिनों सांची में सक्रिय हैं। अपनी राजनीतिक सक्रियता के चलते वे भारतीय जनता युवा मोर्चा मेंं पद के दावेदार हैं। ज्ञातव्य है कि 2013 के चुनाव के दौरान भी डॉ. शेजवार ने घोषणा भी कर दी थी कि यह चुनाव उनका आखिरी चुनाव है। ऐसे में यह संभावना बढ़ गई है कि उनके पुत्र मुदित अपने पिता की विरासत संभालेंगे। मुदित पिछले कुछ साल से सांची के सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक कार्यक्रमों में सक्रिय नजर आ रहे हैं। कई बार मंत्री शेजवार सार्वजनिक मंच से घोषणा कर चुके हैं कि उनकी जगह मुदित चुनाव लड़ेंगे। मुदित कहते हैं कि अगर पार्टी चाहेगी तो चुनाव लड़ सकता हूं। यही नहीं क्षेत्र में भाजपा के आयोजित कार्यक्रमों या किसी के स्वागत-सत्कार के लिए लगने वाले पोस्टर-बैनर में डॉ. शेजवार के साथ मुदित का भी फोटो लगाया जा रहा है। दुर्गेश राजपूत..... पीडब्ल्यूडी मंत्री रामपाल सिंह के बेटे दुर्गेश राजपूत पिता के विधानसभा क्षेत्र सिलवानी में अक्सर देखे जा रहे हैं। चर्चा है कि रामपाल बेटे को इसी सीट से चुनाव लड़ा सकते हैं। जिस तरह से रायसेन जिले के दो धुर विरोधी मंत्रियों (शेजवार और रामपाल) के बीच नजदीकियां बढ़ी हैं, उसमें भी बेटों को चुनावी मैदान में स्थापित करने का मोह दिखता है। 34 वर्षीय दुर्गेश कहते हैं पिता के व्यस्त होने पर आयोजनों में मैं ही शिरकत करता हूं। पिता की मुख्यमंत्री से दोस्ती और दुर्गेश सक्रियता से उम्मीद जताई जा रही है कि इस युवा को जल्द की राजनीतिक उड़ान का मौका मिलेगा। देवेश मीणा.... उद्यानिकी मंत्री सूर्यप्रकाश मीणा के बेटे विधायक प्रतिनिधि के तौर पर विदिशा की राजनीति में सक्रिय हैं। विधानसभा क्षेत्र में उनकी सक्रियता हर कहीं देखी जा सकती है। पिछले विधानसभा चुनाव के समय उन्हें पहली बार राजनीतिक गलियारों में देखा गया। कुछ समय तक राजनीति से दूर होने के बाद अब फिर पूरी तरह क्षेत्र में सक्रिय हो गए हैं। 27 साल के देवेश कहते हैं- जिस तरह पिताजी शून्य से शुरूआत कर शिखर तक पहुंचे, उसी तरह मैं भी राजनीति में मुकाम हासिल करना चाहता हूं। चुनाव के बारे में ज्यादा कुछ सोचा नहीं है। राजनीति में समीकरण अहम होते हैं। तुष्मुल झा...... प्रभात झा के पुत्र तुष्मुल झा इनदिनों ग्वालियर में पार्टी के कार्यक्रमों में भी नजर नहीं आते। राज्यसभा सांसद व भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा का संकेत मिलने के बाद से तुष्मुल की सक्रियता बढ़ गई है। फिलहाल उनकी कोशिश भारतीय जनता युवा मोर्चा में पद पाने की है। प्रदेश स्तर या फिर जिला स्तर पर पद पाकर वे आगे की राजनीति का रास्ता तैयार करने में जुटे हुए है। प्रभात समर्थक नेता और संघ के कुछ पदाधिकारी तुष्मुल को गढ रहे हैं। तुष्मुल राजनीति के अलावा सिंगरौली में पेट्रोल पंप, ग्वालियर व दूसरे शहरों में सीमेंट व रियल एस्टेट का कारोबार कर रहे हैं। उनका पार्टी के लिए अभी तक कोई योगदान नहीं। हाल ही में जन्मदिन के मौके पर शहरभर में समर्थकों ने होर्डिंग्स लगाकर तुष्मुल के बढ़ते कदम दिखाए। माना जा रहा है कि आरएसएस और भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व में पिता की अच्छी पकड़ होने का लाभ सीधे तौर पर मिलेगा। तुष्मुल कहते हैं कि राजनीति में मेरी रुचि है और जब पार्टी एवं परिवार का आदेश मिलेगा, राजनीति में प्रवेश करूंगा। संदेश जैन...... ऊर्जा मंत्री पारस जैन के पुत्र संदेश जैन उज्जैन में सक्रिय नजर आ रहे हैं। पिता के विधानसभा क्षेत्र उज्जैन उत्तर के साथ ही वे पूरे जिले में सक्रियता बढ़ा रहे हैं। मंत्री समर्थक जिले के नेता युवा मोर्चा में पद दिलाकर उन्हें सक्रिय राजनीति में लाने में लगे हैं। इसके लिए संदेश के नाम को विभिन्न स्रोतों से आगे बढ़ाया जा रहा है। मंत्री पुत्रों ने अटका दी सूची प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की परिवारवाद को लेकर दी गई सीख के बाद भी प्रदेश के कई मंत्री और नेता अपने पुत्रों को युवा मोर्चा के जरिए राजनीति में आगे लाने की कवायद में लग गए हैं। मंत्री पुत्रों को मोर्चा की प्रदेश कार्यकारिणी में एडजस्ट करने के दबाव के चलते नई टीम का ऐलान लटक गया है। इसके अलावा संगठन के भी कई नेता अपने पुत्रों को नई सूची मे जगह दिलान को लेकर पर्दे के पीछे से सक्रिय हो गए हैं। अभिलाष पांडे को युवा मोर्चा का अध्यक्ष बने दो माह से अधिक का समय हो गया है। इस दौरान वे प्रदेश के अधिकांश हिस्सों का दौरा भी कर चुके हैं। अपनी टीम को लेकर पांडे की प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान, प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत समेत अन्य वरिष्ठ नेताओं से बात हो चुकी है। सूत्रों की माने तो सूची फाइनल होने में नेता पुत्रों को कार्यकारिणी में लेना बड़ी बाधा बन रहा है। बताया जाता है कि संघ भाजपा में परिवारवाद का विरोध कर रहा है। संघ नेता संगठन को साफ कर चुके हैं कि भाजपा संगठन में किसी मोर्चे में परिवारवाद की झलक न दिखाई दे। इससे संगठन नेता फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं। युवा मोर्चा की नई टीम में केवल प्रदेश उपाध्यक्ष, महासचिव और प्रदेश मंत्री जैसे पदों पर 25 लोगों की नियुक्ति होनी है। अधिकांश नेता इन पदों पर अपने समर्थकों को चाह रहे हैं। उधर कार्यकर्ताओं को पार्टी का भगवान बताने वाली भाजपा के कार्यकर्ता, नेताओं की स्वार्थ भरी राजनीति से दुखी है। पिछले कई दशकों से मेहनत कर पार्टी को फर्श से अर्श तक ले जाने वाले कार्यकर्ता आज भी झंडे उठाने व नारे लगाने के काम आ रहे हैं। वहीं इस सवाल पर वरिष्ठ नेता बोलते हैं कि हर कोई ऊंचे पदों तक नहीं पहुंच सकता। जिनकी कार्यशैली सही नहीं, वे कैसे पार्टी की जिम्मेदारी में शामिल हो सकते हैं। वहीं जब नेतापुत्रों की बात आती है तो उनका जवाब सिद्धांतों को नहीं देखता। भाजपा में बढ़ रहा वंशवाद देश में सभी राजनीतिक दल एक दूसरे पर परिवारवाद का आरोप लगाते रहते हैं किन्तु सच तो यह है कि परिवारवाद के दलदल में सभी दल फंसे हुए हैं। चाहे वह एक परिवार की छाया तले पनप रही कांग्रेस हो या कांग्रेस को वंशवाद के नाम पर पानी पी-पी कर कोसने वाली भाजपा ये दोनों राष्ट्रीय दल और तमाम क्षेत्रीय दल परिवारवाद के संक्रमण से ग्रसित हो चुके हैं। जब इन पर राजनीति में वंशवाद और परिवारवाद का आरोप लगता है तो उनका सीधा-सा तर्क होता है कि जब डॉक्टर का बेटा डॉक्टर और उद्योगपति का बेटा बन सकता है तो राजनेता क्यों नहीं? भाजपा और कांग्रेस के सियासी घराने अपने-अपने वारिसों को तैयार कराने में लगे हैं। प्रदेश में दिग्गज नेताओं, मुख्यमंत्री, मंत्री से लेकर विधायक और पार्षद ही नहीं पूर्व विधायक भी अपने-अपने बेटे-बेटियों और अन्य रिश्तेदारों को राजनीति का पाठ पढ़ा रहे हैं। उनके यह संबंधी प्रभाव वाले क्षेत्रों में तो सक्रिय है ही उनके निर्णयों और प्रशासनिक क्षेत्रों में भी पूरा दखल रखते हैं। जिससे जमीन तक उनकी अपनी पहचान है। जिनकी दम पर वे नेक्स्ट जनरेशन का दावा करते हैं। मप्र में बढ़ रहा वंशवाद ज्योतिरादित्य सिंधिया स्व. माधवराव सिंधिया अजय सिंह राहुल स्व. अर्जुन सिंह अरुण यादव स्व. सुभाष यादव डा. निशिथ पटेल श्रवण पटेल संजय पाठक सत्येंद्र पाठक दीपक जोशी कैलाश जोशी विश्वास सारंग कैलाश सारंग सुंदरलाल तिवारी श्रीनिवास तिवारी के बेटे ध्रुवनारायण सिंह गोविंद नारायण सिंह हर्ष सिंह गोविंद नारायण सिंह शैलेंद्र शर्मा लक्ष्मीनारायण शर्मा राजेंद्र वर्मा पे्रम चंद वर्मा सावन प्रकाश सोनकर ज्योति शाह राघवजी की बेटी रमेश भटेरे दिलीप भटेरे ओमप्रकाश सखलेचा वीरेंद्र कुमार सखलेचा राजवर्धन सिंह दत्तीगांव स्व.प्रेम सिंह सत्यनारायण पटेल रामेश्वर पटेल सत्यपाल सिंह सिकरवार(नीटू)- पूर्व विधायक गजराज सिंह सिकरवार हिना कावरे पूर्व मंत्री स्व लिखीराम कांवरे कमलेश पटेल पूर्व मंत्री इंद्रजीत पटेल उत्तम ठाकुर प्रेमनारायण ठाकुर राजनीति में रिश्तेदार भी............. सुरेंद्र पटवा सुंदरलाल पटवा के भतीजे कृष्णा गौर बाबूलाल गौर की बहू मुकाम सिंह किराड़ रंजना बघेल के पति स्वामी लोधी उमा भारती के भाई भावना शाह विजय शाह की पत्नी मालिनी गौड स्व. लक्ष्मण सिंह गौड की पत्नी रेखा बिसेन गौरीशंकर बिसेन की पत्नी संजय शाह विजय शाह के भाई नीना वर्मा विक्रम वर्मा की पत्नी उमंग सिंघार स्व. जमुना देवी के भतीजे अलका नाथ कमलनाथ की पत्नी अश्विनी जोशी महेश जोशी के भतीजे ———— ये हैं प्रदेश का भविष्य कांग्रेस आदित्य विक्रम सिंह पूर्व सांसद लक्ष्मण सिंह विक्रांत भूरिया प्रदेश अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया नकुल नाथ केंद्रीय मंत्री कमलनाथ अजीत बोरासी सांसद प्रेमचंद गुड्डू पवन वर्मा सांसद सज्जन सिंह वर्मा नितिन चतुर्वेदी सांसद सत्यव्रत चतुर्वेदी पिंटू जोशी पूर्व मंत्री महेश जोशी गिन्नी सिंह पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह सुरेंद्र बघेल पूर्व मंत्री प्रताप सिंह बघेल राज तिवारी सुंदरलाल तिवारी वीरेंद्र तिवारी श्रीनिवास तिवारी का नाती नेवी जैन पूर्व सांसद डाल चंद जैन यशोवर्द्धन चौबे विधायक अरुणोदय चौबे भाजपा........... कातिर्केय चौहान शिवराज सिंह चौहान देवेंद्र सिंह तोमर अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर अक्षय राजे भंसाली यशोधरा राजे सिंधिया मंदार और मिलिंद महाजन सुमित्रा महाजन सिद्धार्थ मलैया जयंत मलैया अभिषेक भार्गव गोपाल भार्गव आकाश विजयवर्गीय कैलाश विजयवर्गीय राजेंद्र कृष्ण रामकृष्ण कुसमारिया मुदित शेजवार गौरीशंकर शैजवार सोनू चावला कैलाश चावला राजकुमार जटिया सत्यनारायण जटिया जितेंद्र गहलोत थावरचंद गहलोत संदीप पटेल कमल पटेल तुष्मुल झा प्रभात झा पीतांबर सिंह माया सिंह डॉ.सुकर्ण मिश्रा डॉ. नरोत्तम मिश्रा मुदित शेजवार गौरीशंकर शेजवार मौसम बिसेन गौरीशंकर बिसेन संदेश जैन पारस जैन पार्थ मेहदल कुसुम मेहदलेे दुर्गेश राजपूत रामपाल सिंह बेटे देवेश सूर्यप्रकाश मीणा ----------

No comments:

Post a Comment